सनातन परंपरा में संकल्प का विशेष महत्व: स्वामी नारायणानन्द तीर्थ
सनातन परंपरा में संकल्प का विशेष महत्व: स्वामी नारायणानन्द तीर्थ
मुंबई। कांदिवली (पूर्व) में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ के तृतीय पावन दिवस पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्द तीर्थ जी महाराज के प्रेरक प्रवचनों से संपूर्ण वातावरण भक्ति, शांति और वैदिक चेतना से परिपूर्ण हो उठा। श्रद्धालुओं ने भागवत कथा के माध्यम से जीवन को सरल, सात्त्विक और सार्थक बनाने वाले संदेशों को आत्मसात किया।
अपने सहज प्रवचन में स्वामी जी ने कहा कि सनातन परंपरा में संकल्प का विशेष महत्व है। बिना संकल्प के किया गया कर्म दिशाहीन हो जाता है। स्वामी नारायणानन्द तीर्थ जी ने कहा कि जब मन वासना और अहंकार से घिर जाता है, तब व्यक्ति उचित-अनुचित का भेद भूल जाता है।सत्संग के महत्व को रेखांकित करते हुए स्वामी जी ने कहा कि संगति मनुष्य के जीवन को गढ़ती है। स्वामी जी ने कहा कि भागवत कथा और सत्संग मनुष्य को भोग से योग, अहंकार से सेवा और अशांति से शांति की ओर ले जाते हैं। कार्यक्रम का आयोजन एडवोकेट जे. डी. सिंह, श्री राम मणि मिश्र, श्री ओम प्रकाश सिंह, श्री हरिश्चंद्र शुक्ल, प्रमोद दुबे, डॉ. दिनकर दुबे, संचित यादव, अनिल पांडेय, सूरज प्रताप सिंह देवड़ा सहित अन्य सहयोगियों द्वारा किया जा रहा है।
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