जनभाषा द्वारा आयोजित हुआ "साहित्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव" प्रतियोगिता
जनभाषा द्वारा आयोजित हुआ "साहित्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव" प्रतियोगिता
ठाणे
साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था भारतीय जनभाषा प्रचार समिति ठाणे द्वारा शनिवार दिनांक 27 सितंबर 2025 को गद्य गोष्ठी में ' साहित्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव '
का आयोजन विष्ट जी कार्यालय सिडको ठाणे,पश्चिम में किया गया।गद्य गोष्ठी में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें दस साहित्यकारों ने भाग लिया और दो लोग उपस्थित न रह सके पर अपना वक्तव्य लिखकर भेजा जिसे पढ़ा गया।कार्यक्रम वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मी यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।निर्णायक मंडल में प्रसिद्ध पत्रकार,लेखक राजेश विक्रांत एवं विद्वान कवि, ग़ज़लकार , वक्ता अवनीश दीक्षित उपस्थित थे। यद्यपि सभी दस लोगों में सभी का वक्तव्य अत्यंत सराहनीय रहा इसलिए निर्णायक मंडल को निर्णय लेने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा।पुरस्कार विजेता साहित्यकारों में प्रथम लालबहादुर यादव कमल, द्वितीय नरसिंह हैरान जौनपुरी,तृतीय रामजीत गुप्त,प्रोत्साहन राकेश मणि त्रिपाठी तथा अन्य प्रतियोगियों में श्रीमती सत्यभामा सिंह,डा.आनंदी सिंह रावत,त्रिलोचन सिंह अरोरा, सदाशिव चतुर्वेदी 'मधुर',विनय शर्मा दीप,अधि. अनिल शर्मा तथा लिखकर वक्तव्य भेजने वालों में डा.कनकलता तिवारी,श्रीमती लक्ष्मी यादव ओजस्वनी थी।मंच को सुसज्जित करने में संस्था अध्यक्ष नंदलाल क्षितिज के साथ अनिल कुमार 'राही' और नरसिंह 'हैरान जौनपुरी' का योगदान काबिले तारीफ रहा। गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलित करके सभी अतिथियों ने किया। सदाशिव चतुर्वेदी ने सुंदर प्रार्थना से वातावरण को भावुक बना दिया।अतिथियों का सत्कार सुंदर गमछे के द्वारा किया गया।अध्यक्षा लक्ष्मी यादव का सुंदर लाल शाल से स्वागत किया गया। प्रतियोगिता के पश्चात नौ उपन्यास, तीन कहानी संग्रह, तीन नाटक और कार्यालयीन हिंदी नामक पुस्तकों के लेखक डॉ प्रभु दयाल मंढ़इया विकल के देवलोकगमन होने पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद राष्ट्रगीत पश्चात समारोह का समापन किया गया।
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