*संगठन सिर्फ पैसा कमाने के लिए बने हैं**----------- जमदग्निपुरी*
*संगठन सिर्फ पैसा कमाने के लिए बने हैं*
*----------- जमदग्निपुरी*
दुनियां सुरक्षित रहे।जन सुरक्षित रहें। मजदूर सुरक्षित रहें। दुनियां में मारकाट न हो। मजबूत देश किसी कमजोर देश को सताये न। इसलिए कई छोटे बड़े संगठन बने। सामाजिक ताने-बाने सुचारु रूप से चलते रहें। सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न न हों।सब एक दूसरे से मिलकर रहें, भाईचारा बनाए रहे।सब सुचारु रूप से चलता रहे, कहीं भी किसी भी तरह की उथल पुथल न हो। इसलिए तमाम संगठन बने हैं।इन संगठनों में तीन संगठन बहुत महत्वपूर्ण हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ,विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व मानवाधिकार आयोग।ए तीनों पूरी दुनियां का ठेका लिए घूम रहे हैं। सारे विश्व को एक सूत्र में बांधने का काम करते हैं।मगर इन तीनों की कार्यप्रणाली से ऐसा लगता नहीं है।वैसे तो छोटे मोटे जितने भी संगठन बने हैं।सबकी कार्यप्रणाली एक जैसी ही है।सबके सब सिर्फ और सिर्फ पैसा बनाने में मशगूल हैं।चाहे कम्पनी का संगठन हो। चाहे सामाजिक संगठन हों चाहे राजनीतिक।सबके सब एक सरीखे ही हैं।सब में एक बात कामन है वो ये कि पैसा बनाना।यदि इसमें से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को निकाल दें तो कोई ऐसा संगठन नही है।जो पैसा बनाने में मशगूल न हो।
इनमें तीन जो मुख्य हैं उनमें सबसे पहले हम बात करते हैं संयुक्त राष्ट्र संघ की।इसका गठन इसलिए हुआ था कि कोई मजबूत देश किसी कमजोर देश का अतिक्रमण न करें।यदि कोई देश ऐसा करता है तो उस देश को दंडित करके उस देश की मान्यता खत्म कर विश्व विरादरी से अलग थलग करना।मगर ऐसा करता दिखाई देता नहीं है। प्रमाण के तौर इतिहास में अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं है।अभी विगत दिनों की ही बात है जब रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ न युद्ध रुकवा सका और न ही रूस का कुछ कर सका।दूसरा प्रमाण इजराइल फिलीस्तीन मुद्दा है। आतंकवादियों के पीछे रहके फिलिस्तीन ने इजराइल पर अचानक से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। हजारों निर्दोष लोगों को की हत्या करवा दी। सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया।और आज तक नहीं छोड़ा। इजराइल की अमानवीय घटना की भर्त्सना करने की बजाय कुछ मुस्लिम देशों ने जो घटिया नंगा नृत्य किया था, वह तो और मानवता को शर्मशार करने वाला था।इसके बावजूद भी संयुक्त राष्ट्र संघ मौन रहा।जबकी चाहिए तो ए था कि जितने देश समर्थन किए थे,सबका हुक्का पानी बंद कर दंडित करना चाहिए था। बहरहाल इजराइल ने जब अपने नागरिकों को सकुशल छुड़ाने की कोशिश की और इजराइल आज भी जद्दोजहद कर रहा है।तो संयुक्त राष्ट्र संघ इजराइल को संयम बरतने व उसकी प्रक्रिया को रोकने के लिए कह रहा है।मगर उन बंधकों की रिहाई के लिए एक बार भी खुलकर नहीं बोला।तीसरा प्रमाण अभी हाल ही में भारत में पाकिस्तान ने आतंकवादियों द्वारा निर्दोष लोगों को मरवाया।एक तरह से भारत के ऊपर उसने हमला ही किया।२६ पर्यटकों को उनका धर्म पूॅंछकर उनके बीबी बच्चों के सामने नृशंस हत्या की।सभी मौन थे।जैसे ही भारत ने आतंकवादियों पर कार्रवाई शुरू की सब मानवता की दुहाई देकर भारत को ही समझाने लगे।इसी से ये लगता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ सिर्फ पैसा बनाने में मशगूल हैं। दुनियां जायें भाड़ में।भारत तो अमानवीय कृत्यों को सदियों से भुगतता चला आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ बनने से कुछ उम्मीद जगी थी मगर कुछ फायदा भारत को उससे हुआ नहीं।जब भी भारत पर कोई बड़ा आतंकी हमला हुआ। संयुक्त राष्ट्र संघ हमलावर पर कभी मुखर होके कार्यवाई नहीं किया।हाॅं मुखर होके भारत को कार्रवाई करने नहीं देता है। बांग्लादेश देश में तख्तापलट हुआ।वहॉं हजारों हिन्दुओं को मारा गया बेघर किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ वहॉं भी मौन ही रहा।मगर गाजा में जहॉं आज भी आतंकवादियों का संरक्षण किया जा रहा है।उनके के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ साथ कईअन्य संगठन काफी विचलित हैं।वहाॅं उन संगठनों की मानवता जाग गई है।जहाॅं आज भी सैकड़ों बंधक पता नहीं किस पीड़ा से २४×७ दिन गुजर रहे हैं।उन बंधकों की रिहाई की कहीं से भी एक भी आवाज नहीं निकल रही है।
इसी तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन भी है।विश्व स्वास्थ्य संगठन का काम है दुनियां स्वस्थ रहे।कोई देश किसी देश पर जैविक हथियार से हमला न करे।यदि करें तो उसपर कार्यवाही कर दंडित करे।मगर वो ऐसा करती कभी दिखी नहीं।खासकर के २०२० में जब सारी दुनियां कोरोना संक्रमण से संक्रमित हो काल के गाल में समाने के लिए आतुर दिख रही थी।समूचा विश्व भय के साये में जी रहा था।तमाम मिडिया चीन से आया चीख चीख कर कह रहे थे। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति तो खुलकर कई बार कहे।मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन चूं तक नहीं बोला।चुप चाप केवल सूचना और चेतावनी जारी करते रहा। अरबों लोग काल कवलित हो गये।मगर चीन के ऊपर कोई कार्रवाई न होना दर्शाता है कि यह संगठन भी केवल पैसा बनाने के लिए ही बना है।आज भी उसके विषाणु रह रह के दुनियां को डरा रहे हैं।आज भी कोरोना चीन से ही नया नया रूप रंग बदलकर सक्रिय हो रहा है।फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन मौन है।
तीसरा है मानवाधिकार आयोग।यह भी तभी बोलता है जब आतंकवादियों पर कार्रवाई होती है।जब तक आतंकी नहीं मारे जाते तब तक यह मौन रहता है।यह तब बोलता है जब आतंकी मारे जाते हैं। बांग्लादेश में अभी हाल ही में तख्तापलट हुआ। मुस्लिम देश, मुस्लिम शासक।भगाना शासक को था।मगर मारे गये हिन्दू।घर उजाड़े गये हिन्दू के। हिन्दू महिलाओं का शील भंग किया गया।मानवता को हर एंगल से शर्मशार किया गया,औश्र आज भी किया जा रहा है इसके बावजूद भी मानवता की रक्षक मानवाधिकार कहीं नहीं दिखी।वही हाल इजराइल में हुआ था। वहॉं भी विश्व मानवाधिकार नदारद था। फिलिस्तीन के समर्थक अपनी संसद फिलिस्तीन का थैला लेकर जाने वाले सभी मौन। पहलगाम की घटना पर भी सभी मौन।मगर जैसे ही आतंकवादियों के ऊपर आफत आई,सभी जाग गये।आज संयुक्त राष्ट्र संघ कह रहा है फिलिस्तीन में अनाज की घोर कमी है लोग भूखों मर रहे हैं।मगर संयुक्त राष्ट्र संघ ने फिलिस्तीन से या उनके समर्थकों से कभी नहीं पूॅंछा कि फिलिस्तीन में हथियारों की कमी क्यों नहीं हो रही।उनके पास हथियार कहाॅं से और कैसे पहुॅंच रहे हैं।और वे बंधक बेचारे कहाॅं और किस हालत में हैं।जिन्दा भी हैं कि नहीं।इन संगठनों की मानवतावादी सोच भी हम लोगों की सोच से परे है।इसी सोंच के चलते कहना पड़ रहा है कि जितने भी संगठन हैं, उन्हें मानवता से कुछ लेना देना नहीं है। ये सबके सब पैसा बनाने में मशगूल हैं।
पं.जमदग्निपुरी
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