प्रेम की पराकाष्ठा में द्वैत समाप्त हो जाता है : आचार्य बसंत शुक्ल

प्रेम की पराकाष्ठा में द्वैत समाप्त हो जाता है : आचार्य बसंत शुक्ल 
जौनपुर। बुधवार को जनपद के रामपुर नद्दी स्थित ग्राम सभा में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर व्यासपीठ से आचार्य बसंत शुक्ल ने कहा कि, प्रेम की पराकाष्ठा में द्वैत समाप्त हो जाता है। जब संबंध स्वार्थ पर आधारित होता है तब दूसरे उपादान की उपस्थिति आवश्यक है।सच्चे अर्थों में प्रेम-रस में डूबते हैं तो दूसरा अनुपस्थित हो जाता है ।उस समय हम ही हम होते हैं।तब मैं ही अकेला रहता हूॅं और यार की महफ़िल होती है यह एकत्व बोध ही प्रेम की कसौटी है। गोपियों की भाव दशा ऐसी ही थी।

यजमान राजकुमारी देवी धर्मपत्नी चंद्रभान तिवारी ने सपरिवार षष्ठ दिवस की कथा श्रवण किया। 

कथा में कुलगुरु अशेष शुक्ल, कमला देवी, उर्मिला तिवारी, जमुना प्रसाद तिवारी,रीता तिवारी, विजय शंकर तिवारी, ज्योति तिवारी, बीना तिवारी, प्रभा शंकर तिवारी, 
जूही, सिद्धि, शिवानी, शांति, विकास, प्रकाश, पुष्पा,ध्वनी,ध्वनित,आरव,आरवी,ऋषा, पं. ओंकार नाथ मिश्र, अशोक मिश्र समेत श्रोतागण उपस्थित रहे।

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