साखी के 40 वें अंक "बुद्ध की धरती पर कविता" का लोकार्पण एवं काव्य पाठ संपन्न
साखी के 40 वें अंक "बुद्ध की धरती पर कविता" का लोकार्पण एवं काव्य पाठ संपन्न
ग़ाज़ीपुर । "अपने जीवन में आए अंधकार को को दूर करने के लिए अपना दीपक खुद बनना होगा। बुद्ध का यह कथन प्रत्येक व्यक्ति को कर्मशील बनाता है। बुद्ध आज विश्व की जरूरत हैं।" उपर्युक्त कथन राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,गाजीपुर में आयोजित त्रैमासिक पत्रिका साखी के 40 वें अंक ‘बुद्ध की धरती पर कविता' के लोकार्पण के अवसर पर प्रोफेसर अनीता कुमारी ने कही। इस अवसर पर प्रख्यात कवि प्रमोद कुमार अनंग , हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. संगीता मौर्य, कवि दिलीप दीपक, कथाकार शशि कला जायसवाल, अँग्रेजी साहित्य के विद्वान डॉ० रामनाथ केसरवानी, डाॅ० सारिका सिंह, मीडिया सचिव शिवकुमार, नेहा कुमारी एवं डाॅ० निरंजन कुमार यादव ने पत्रिका का लोकार्पण किया।
इस मौके पर इस अंक में प्रकाशित अपनी पसंद की कविताओं का पाठ उपस्थित लोगों ने क्रमशः किया। गगन गिल की कविता 'अंधेरे में बुद्ध' का पाठ संगीता मौर्य ने और पत्रिका के संपादक सदानंद शाही की कविता 'मैं जिस धरती पर चलता हूँ' का पाठ शशि कला ने किया। नेहा कुमारी ने पुंडरीक की कविता 'बुद्ध एक विचार हैं' तथा ओम शिवानी ने पंकज चतुर्वेदी की कविता ' एक ही चेहरा ' जैसी अन्य कविताओं का सुंदर पाठ किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रामनाथ केसरवानी जी ने कहा कि, "यह पत्रिका संग्रहणीय है। इसमें बुद्ध की एक रेंज दिखती है। बुद्ध कितने व्यापक और विस्तृत रूप से हमारे साहित्य में उपस्थित हैं इस बात की मुक्कमल तस्दीक यह पत्रिका कराती है। इसमें अँग्रेजी कवि की कविता लाईट ऑफ एशिया का अनुवाद भी है और कई लेख हैं जिसे पढ़कर एक नई दृष्टि बनती है।"
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डाॅ०:प्रमोद कुमार अनंग ने कहा कि, "मुक्ति की खोज खुद के भीतर सम्पन्न होती है। यह खोज ही बुद्ध को पाना है। जो लोग मुक्ति की तलाश बाहर करते हैं वे पाखंड के शिकार बनते हैं। शाही जी इस दिशा में बहुत महत्त्वपूर्ण काम कर रहे हैं। बुद्ध भारतीय विचार हैं इस पर बात होनी चाहिए। यह पत्रिका इसका प्रस्ताव करती है जिसकी शुरुआत गाजीपुर से हो चुकी है। इन्होंने चरथ भिक्खवे यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक यात्रा थी जिसमें गाजीपुर से दिलीप दीपक और निरंजन जुड़े थे। इसके आगामी यात्राओं से हम लोगों को भी जुड़ना चाहिए।" डॉ शिव कुमार ने कहा कि ' बुद्ध की धरती पर कविता ' और ' चरथ भिक्खवे ' एक ऐसा सामाजिक सांस्कृतिक अभियान है जो हमें हजारों साल की मानव सभ्यता की यात्रा में प्राप्त वृहत्तर मानवीय मूल्यों से जोड़ता है ।
दिलीप दीपक ने कहा कि ,"बुद्ध ने बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय के लिए निरंतर यात्राएं करते हुए लोगों से संवाद किया। हम लोगों ने भी पिछले महीने बुद्ध से जुड़ी स्थलों को देखा और उनके विचारों से परिचित हुए। बुद्ध पूरे दुनिया को अपनी देशना से गहरे तक प्रभावित किया। बुद्ध के विचारों ने भारत ही नहीं विश्व कविता, कला और स्थापत्य को भी प्रभावित किया है और कर रहे हैं। आज देश-दुनिया के सामने उत्पन्न गहरे मानवीय संकट के हल के लिए हमें फिर से बुद्ध के पास जाना होगा। इस यात्रा और पत्रिका का सारा प्रयास उसी दिशा में है।"
कार्यक्रम संयोजक डॉ० निरंजन कुमार यादव ने स्वागत वक्तव्य देते हुए बताया कि, "कुशीनगर का मूल निवासी होने के नाते एक बात मुझे हमेशा हैरत में डालती रही है कि महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली जहाँ दुनिया भर के लोग सिर झुकाने आते हैं, उसके महत्व के प्रति हम वहाँ के रहवासी बिल्कुल अनजान हैं। बुद्ध के विचारों को लेकर खास तरह की निस्पृहता मौजूद रहती है। कुशीनगर हमारे लिए पर्यटन, व्यवसाय और रोजी रोजगार तो है पर दैनन्दिन जीवन में प्रेरणा भूमि कभी नहीं बना। जो संदेश महात्मा बुद्ध ने दिया था वह न तो हमारे जीवन में है और न ही हमारे चिंतन-मनन में। जब हमारी यह स्थिति है तो शेष की बात ही क्या करनी। इस दिशा में यह पत्रिका बहुत मददगार है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण लेख के साथ बुद्ध पर केन्द्रित कविताओं का प्रकाशन किया गया है। इसमें देश भर के 80 कवियों की कविता शामिल हैं।"
कार्यक्रम का संचालन डाॅ०संगीता मौर्य ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ० शशिकला जायसवाल ने किया।
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