भूल कर हद को पार मत करना।। दिल को अपने बेज़ार मत करना।।

भूल कर हद को पार मत करना।। 
दिल को अपने बेज़ार मत करना।। 
खुद से रूठा हुआ है दिल मेरा।। 
किसने लूटा नहीं है दिल मेरा।। 
जाने कितने चुटिले वार सहे-
यूँ ही टूटा नहीं है दिल मेरा।।

भूल कर हद को पार मत करना।। 
दिल को अपने बेज़ार मत करना।। 
ये गुज़ारिश है आप सब से मेरी-
रिस्तों को तार-तार मत करना।।

भारत की आत्मा है तोते में जान है।। 
मानस पवित्र गीता बाइबिल कुरान है।। 
हम हिन्द के वासी है सम्मान करेंगे-
हर धर्म से बढ़ कर गिरीश संबिधान है।।

हलचल मची हुई है मूरख प्रबुद्ध में।। 
तुलसी कबीर सूर में गिरीश बुद्ध में।। 
कौरव की जीत होगी या जीत पांडव की-
होता है क्या ये देखिये इस धर्म युद्ध में।।

तुला की क्या जरूरत बिन तुला के तोल देते हैं।। 
हृदय की खिड़कियां दरवाजे पल में खोल देते हैं।। 
असंभव कुछ नहीं दृढ़ साधना से और परिश्रम से-
अगर कोशिश किया जाये तो पत्थर बोल देते हैं।।

किसी का दिल,कोई कहदे,कभी आहत नहीं करता।। 
तसल्ली सिर्फ कोरी कोई भी  राहत नहीं करता।। 
मैं जुगनू के उजाले में बसर कर लेता हूँ जीवन-
सितारे चांद सूरज की कभी चाहत नहीं करता।।

बन रहा है विशेष योग क्या किया जाये।। 
हो रहा है नया प्रयोग क्या किया जाये।।
देश से प्रेम दिखावे के लिए करते हैं-
सत्ता के लोभी ऐसे लोग क्या किया जाये।।

किसी की याद में खो जाते हैं हम ड़ूब जाते हैं।। 
सुनाने हाले- दिल अपना जिन्हें हम खूब जाते हैं।।
चले जाना अभी तो आये हो रुक जाओ थोड़ा सा-
 अकेले बैठे-बैठे ज़िन्दगी से ऊब जाते हैं।।

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