*हमारा सम्विधान सम्वैधानिक संस्थान और उसके कर्णधार*

*हमारा सम्विधान सम्वैधानिक संस्थान और उसके कर्णधार*
     भारत जब आजाद हुआ तो सबसे बड़ी समस्या ये आई कि भारत बिना भेदभाव के सुचारु रूप से कैसे चले|मंथन हुआ कि मनुस्मृति से चले या और कोई विधान बनाया जाय|जिससे सामाजिक सौहार्द भी बना रहे,और देश भी सुचारु रूप से चलता रहे|तत्कालीन नेताओं को मनुस्मृति में विसंगति दिख रही थी|जो कि थी नहीं|फिर भी लोगों ने मिल बैठकर इसका समाधान खोजे|एक 11 सदस्यीय विद्वानों का संगठन बनाया गया|जिसकी अध्यक्षता बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को दी गई|विद्वानों ने कई देशों के संविधान की गहन छानबीन करके मसौदा तैयार किया|उसके गुण दोषों पर गहन चिंतन मनन करके निर्णय लिया कि देश मनुस्मृति से नहीं संविधान से चलेगा|और सभी लोग संविधान में निहित बातों का निष्ठा पूर्वक पालन करेंगे|नेताओं को गीता की जगह संविधान की शपथ दिलाई जाने लगी|लेकिन जिस भेदभाव को मिटाने के लिए ऊँच नीच की खाईं पाटने के लिए संविधान लिखा गया|उसमें आरक्षण जैसा कोढ़ शुरू से ही लग गया|जो आज तक मवाद बनकर रिस रहा है,और पीड़ा दे रहा है|ए तो रही संविधान निर्माण व लागू होने की बात|लेकिन संविधान जब से इस देश में लागू हुआ तब से लेकर आज तक सही ढंग से अपने मूल रूप में मूर्त रूप नहीं ले पाया|संविधान की शपथ लेने वालों ने इसे अपने हिसाब से संचालित किया|क्योंकि उसमें समयानुसार संशोधन की छूट रही|जिसे हमारे कर्णधारों ने अपने हिसाब से संविधान को चलाया या यूँ कहें कि अपने सुविधानुसार चलाते आ रहे हैं|जब संविधान लागू हुआ तब से अधिकाधिक देश की बागडोर कांग्रेस के हाँथ में रही|कांग्रेस इसमें अपने हिसाब से अनेको बार कई संशोधन किए|और कई संविधान की मूल भावना को आहत किया|जिसमें सबसे बड़ा कलंक आपातकाल था|उसी समय सामाजिक ताने बाने को भेदने के लिए तत्कालीन सरकार ने कई धारायें घुसेड़ दी|जो आज कैंसर की तरह पीड़ा पहुँचा रही हैं|
        आज वही कांग्रेस जिसने संविधान की मूल भावना को छिन्न भिन्न करते हुए 370 और 35 ए जैसी धारा जोड़ी,पर्सनल ला बोर्ड जोड़ा,वक्फबोर्ड जोड़ा,हिन्दू कोड बिल जोड़ा,अगड़ा पिछड़ा जोड़ा,धर्मनिरपेक्षता जोड़ा,ऐसी अनेक ऊल जलूल धारायें जोड़कर हमेशा हम भारतियों को आपस में लड़ाते रहने की अपनी कुत्सित कुनीति जोड़ी,वही कांग्रेस आज संविधान बचाने की बात करती है|उसे बचाने के लिए  यात्रायें निकाल रही है|जबकी संविधान में निहित बातों को कांग्रेस न तब मानी था न अब ही मानती है|यदि मानती होती तो संवैधानिक संस्थाओं को इस तरह न विश्व भर में बदनाम करती न गाली देती|कांग्रेस आजादी से लेकर अब तक देश को संविधान के अनुसार नहीं अपने अनुसार से चलाई और चलाना चाहती है|इसीलिए वह सभी संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करती व गाली देती चल रही है|कांग्रेस और कांग्रेसी मानसिकता वाले लोग यही सोंच रहे हैं और यही चाहते हैं कि जितने संवैधानिक संस्थान हैं सब हमारे हिसाब से और हमारे पक्ष में काम करें|उन्हें न संविधान पर भरोसा है न संवैधानिक संस्थान पर है न ही जनता पर|कांग्रेसी नेता तो जनता को कभी मूर्ख कभी राक्षस तक भी कहते हैं|
      अभी हाल ही में महाराष्ट्र समेत देश के कई भागों में आम चुनाव के साथ साथ उपचुनाव हुए|जिसमें कांग्रेस समेत उनके समर्थन वाली पार्टियों की बुरी तरह पराजय हुई|जिससे बौखलाकर एक कांग्रेसी नेता ने चुनाव आयोग को कुत्ता कहकर सम्बोधित किया|बहुत ही घटिया और निंदनीय शब्दों का प्रयोग एक संवैधानिक संस्थान के लिए किया|उसने चुनाव आयोग को ही नहीं साथ में भारतीय जनता को भी अपरोक्ष रूप में कुत्ता कह दिया|ऐसे ही इनकी समर्थित पार्टियाँ भी हैं,जो दिनरात पानी पी पी कर संवैधानिक संस्थानों को गरियाती फिर रही हैं|ए सभी चाहते हैं कि संविधान अपनी मूल भावना से नहीं हमारी भावना से चले|सभी संवैधानिक संस्थान हमारे हिसाब से हमारे लिए काम करें|चाहे ईडी हो,सीबीआई हो,एनआईए हो या चाहे सर्वोच्च न्यायालय हो|सब हमारे लिए हमारे हिसाब से काम करें|
       जिस तरह का व्यवहार आज विपक्षी पार्टियाँ कर रही हैं,उससे यही साबित होता है कि जब ए सत्ता में थी तो सभी संवैधानिक संस्थानों को रावण की तरह जैसे रावण सभी देवताओं और ग्रहों को अपनी जूती के नीचे रखता था,जैसा चलाना चाता था वैसे चलाता था| उसी तरह यह लोग चलाते थे,और आज भी चलाना चाहते हैं|अब चला नहीं पा रहे तो गाली दे रहे हैं|जनता में भ्रम फैला रहे हैं कि संविधान बदल जायेगा|जबकी संविधान की तो कब की ऐसी तैसी कर चुके हैं|यदि ए विपक्ष की पार्टियाँ सच में संविधान को मानती होती तो,सीएए,एनआरसी,यूसीसी का,जो संविधान की मूल प्रति में निहित है,उसका विरोध नहीं करती,370,35 ए की बहाली की बात नहीं करती|वक्फ संशोधन बिल का विरोध नहीं करती|और सबसे महत्वपूर्ण बात,संविधान को गाली नहीं देतीं|
      आज जिस पार्टी को देखो वही संविधान को गाली देकर संविधान की मूल भावना के साथ खिलवाड़ कर रहा है|सभी पार्टियाँ संविधान को अपनी कठपुतली बनाकर चल रही हैं|जिसमें कांग्रेस सर्वोपरि है|क्योंकि कांग्रेस ही सबसे अधिक संविधान की मूल भावना को क्षति पहुँचाई है|कांग्रेस ही सबसे अधिक संविधान का उपभोग किया है|इसी से उसे आज लग रहा है कि जो सत्ता में है वह भी मेरे ही जैसा संविधान का उपभोग कर रहा है|इसीलिए कांग्रेस सभी सम्वैधानिक संस्थानों को सरकार के हाँथ की कठपुतली बताते फिर रही है|क्योंकि कठपुतली बनाने का उसका अनुभव सबसे अधिक है|अब सत्ता नहीं है इसलिए छटपटा रही है|और संविधान की दुहाई देते हुए संवैधानिक संस्थान को बदनाम करके गाली दे रही है|
पं.जमदग्निपुरी

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