शुभ दीपावली ---- छंदकार गिरीश कुमार गिरीश
शुभ दीपावली ---- छंदकार गिरीश कुमार गिरीश
आगि लगी बा अकासे चढ़ी बा, चढ़ी न कराही कढ़ी न सोहारी।।
ताने बा आलू पियाज घी तेल, जराई दिया का मनाई देवारी।।
बारी क कारी न भइ अंखिया कइसे क गिरीश कही कजरारी।।
माहुर मेलि दिहा रेलवे में त कैइसे क आंखिक काजर पारी।।
दीप से दीप के लेसत बाइन मोद भरी मन बारिन बारी।।
शोर मचावत नाचत गावत छूटत बा चरखी घन कारी।।
देखा तनि सहमी सहमी अंन्हियार घिरी बा झरैइ उजियारी।।
बालक वृद्ध जवान सबैइ हरषाइ मनावत देखा देवारी।।
हाथे के हाथ न सुझातबा गहबर अंन्हियार बा कारिन कारी।।
साध अगाध मोरे मन में अंन्हियार रहैइ न अजोर दुआरी।।
आवा गिरीश जराइ दिया, तम दूर भगाइ मनाई देवारी।।
नेह क दीप सनेह क बाती आवा सभे गोलियाइ के बारी।।
धरती विहंसैइ, परती विहंसैइ हरियाली चहुँ दिश भावत बारी।।
मनमोद उमंग तरंग भरी अंग-अंग छटा लहरावत बारी।।
लहरातबा धान सिवाने में खड़ा, मन मोद किसान लुभावत बारी।।
मुसुकाइ गिरीश उमा से कहैंइ,धना आइगा कातिक आइ देवारी।।
कातिक मास अमावस के दिन, सांझ सजी दुलही कैइ भांती।।
जात जरावैइ मातु लिए कर सोहत सूप सगुन की बाती।।
लागैइ न नैन बयारिन कैइ अंचरा कैइ ओट छिपावत जाती।।
गावत मंगल गीत जरैइ निमिया के तरे घियना कैइ बाती।।
आइग कातिक मास अमावस,लीप अउ पोती के चउक पुरावा।।
कोठा अटारी दुआर घरे बहरे, देउढ़ी चहुँ ओर सजावा।।
साफ़ सफाई करा मन क मन मे नेहिंया कैइ दीप जरावा।।
पूजि के लक्ष्मी देव गनेस के सूप के पीटी दरिद्र भगावा।।
देव महान महा महिमा जग में प्रभु नाम क डंक बा गूंजा।।
ज्ञान अउ बुद्धि विवेक के दाता समान नहिं जग में कोउ दूजा।।
तीनहुँ लोक बखान करैइ यशगान करैइ कन कन अनुगूंजा।।
पूजिके पांउ श्री चित्रगुप्त क, लेखनी अउर दवात के पूजा।।
------------सादर गिरीश जौनपुर
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