साहित्यिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

साहित्यिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न
साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश  की काव्य-संध्या  का आयोजन रामेश्वर प्रसाद सिंह सभागार रासमंडल जौनपुर में ख्यात शायर प्रो.पी.सी.विश्वकर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुई।कार्यक्रम  की शुरुआत जनार्दन अष्ठाना पथिक  की वाणी वंदना से गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।आलोक रंजन  का गीत--आदमी रुआँसा है/कैसी अर्थ व्यवस्था हे/आम आदमी की कथा कह गया तो वहीं नंदलाल समीर  ने अपनी कविता--कहने  को तो मैं राजभाषा हिन्दी हूँ/पर गरीब मजदूरों  के बल पर जिन्दी हूँ/हिन्दी  की विवशता  का सटीक विश्लेषण कर गई। राजेश पांडेय की कविता--मत होना कभी तू मतवाला--मानवीय मूल्य  का दर्शन करा गई तो वही संजय सिंह सागर   की नज्म--एक शमा जो जल गई/हजार दर्द मिट गये। गोष्ठी में रूमानियत  का संचार कर गई। अनिल उपाध्याय   की क्षणिका--तंत्र  की संवेदना में निरन्तर ह्रास/सर्वाधिक प्रभावित मिडिल क्लास/सरकारी मशीनरी की क्रूरता कह गई। रामजीत मिश्र   का शेर--हौसला चाहिए,पंख भी चाहिए/एक मकसद सुखद कल्पना चाहिए/ आशा का संचार कर गया। गिरीश कुमार गिरीश  का मुक्तक---पतझर से लड़कर आया हूँ मैं वो गुलाब हूँ/माँ के अधीर आँखों  का नायाब ख्वाब हूँ/
मुझको सजा  के रख दिया है आप  ने महज/पढिए तो कभी मन से मैं एक  किताब हूँ। सबको संवेदित कर दिया।जनार्दन प्रसाद अष्ठाना  ने अपनी ठुमरी--बरसे झूमके बदरिया सावन में--गाकर गोष्ठी में रसधार बहा  दिया।
ख्यात व्यंग्यकार सभाजीत द्विवेदी प्रखर   ने जब पढ़ा--लंकापति रैलियों में थैलियां पाता है/चोर बाजारियां करवाता है/बाढपीडितों के चंदे खा जाता है/तब सामाजिक मूल्यों  के क्षरण पर प् किया।अंसार जौनपुरी  का शेर--सुबह ही देखने निकले हैं जो दरिया  की तुगयानी/उन्हे  क्या ये हमारे दीदये नम याद आयेंगे/प्रेम  की मार्मिकता  का वर्णन कर गया।अरविंद सिंह बेहोश  की  पंक्तियाँ--डाकू में सुधार  की संभावना व्याप्त रहती है/जबकि नेता में यह पूरी तरह समाप्त रहती है। राजनैतिक विसंगति पर  करारा प्रहार कर गई। 
अशोक मिश्र  का गीत---आँखों से सपने मत छीनो/इन्हें खेलने-खाने  दो/बाल मन का सुंदर भाव भर गया। प्रेम जौनपुरी का शेर--माँ का आँचल कीमती नेमत है इस संसार में/है वो खुश किस्मत कि जिसके सर पर ये साया रहे/खूब पसंद  किया गया।

     गोष्ठी में सुमति श्रीवास्तव,फूलचंद भारती दिनेश कुमार सिंह  की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। आभार डाॅ.विमला सिंह ने प्रकट किया।

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