बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग के आदर्श व्यक्तित्व उपेंद्र राय के कृतित्व को सलाम।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग के आदर्श व्यक्तित्व उपेंद्र राय के कृतित्व को सलाम

उपेंद्र एक भारतीय पुल्लिंग नाम है।संस्कृत शब्द उपेंद्र का अर्थ है"इंद्र का छोटा भाई 'और इसका तात्पर्य कृष्ण या विष्णु से है,जो अदिति के पुत्र (या वामन अवतार में) के रूप में इंद्र के बाद पैदा हुए थे। जिसके नाम का अर्थ ही इतना व्यापक है तो निश्चित रूप से वह सचमुच में बहुत ही आकर्षक होगा ही।वास्तव में ऐसे लोग विश्वास के योग्य होते हैं।इनमें सब्र होता और हमेशा खुश रहना पसंद करते हैं।इन पर आसानी से भरोसा किया जा सकता है।इसीलिए तो इनके बारे में लिखा गया है-"वाणी में है नम्रता, रहा चरित्र उदार। दया, क्षमा, संतोष गुण, आदर प्रीति विचार।।"
इस महान व्यक्तित्व का जन्म भारत देश के उत्तर प्रदेश प्रांत के ऐतिहासिक आजमगढ़ जनपद अंतर्गत महर्षि दुर्वासा, ऋषि दत्तात्रय व चंद्रमा ऋषि की पावन धरती पर अवस्थित ग्राम / पोस्ट मधसिया नामक ग्राम्यांचल में जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक पद से सेवा निवृत्त, विद्वान पिता स्मृतिशेष वैकुंठ राय तथा ममता एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति माता स्मृतिशेष इंदिरावती राय नामक दंपत्ति के यहां तीन भाइयों तथा दो बहनों के बीच चतुर्थ संतान के रूप में 23 जुलाई 1966 को एक कुलीन भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ। 
"होनहार विरवान के होत चीकने पात" उक्ति को चरितार्थ करते हुए इनके माता पिता इन्हें पाकर धन्य हो गए।इनकी प्राथमिक ,उच्च प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा ग्राम्यांचल के विद्यालयों में संपन्न हुई। इन्होंने इंटर मीडिएट, बीएस.सी.( एग्रीकल्चर) ( B.Sc .Ag.), एम.एससी. (M.Sc .Ag) वनस्पति विज्ञान तथा बी. एड. की शिक्षा एवं उपाधि  श्री दुर्गा जी स्नातकोत्तर महाविद्यालय -चण्डेश्वर  आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त किया। यह बचपन से ही लेखनी, कलम, आवाज तथा नेतृत्त्व के धनी एवं उदार स्वभाव से समृद्ध एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग में इनकी नियुक्ति  14 सितंबर1992 को शताब्दी सोहला मनपा हिंदी शाला सहकार नगर चेंबूर में प्रशिक्षित शिक्षक के पद पर हुई।   
तब से एक ही बात होती है -होगा कोई अजनबी ही जो तुम्हें न पहचानता होगा।
30 अप्रैल 1993 को इनका स्थांतरण मनपा शिक्षण विभाग के सबसे बड़े वार्ड एफ/उत्तर विभाग में बीट कार्यालय की सुप्रसिद्ध शाला जोगलेकरवाड़ी मनपा हिंदी शाला, सायन, मुंबई 400022 में हुआ। निश्चित काल अवधि के पश्चात दस (10 )माह के लिए इनका स्थानांतरण जी / उत्तर विभाग की लोकप्रिय शाला संत कक्कैया मार्ग मनपा हिंदी शाला में हुआ। शीर्ष अधिकारियों की उत्कट इच्छा, कुशल नेतृत्व क्षमता एवं विभाग में इनकी लोकप्रियता के मद्देनजर पुन:इनका  समायोजन इनकी पूर्व तथा सर्वाधिक प्रिय शाला जोगलेकरवाड़ी मनपा हिंदी शाला क्रमांक-2 में हुआ।पुनः विभागीय नियमानुसार मनपा शिक्षण विभाग की अधिकाधिक शालाओं को अधिवेशन तथा शिक्षकों की सुविधा के अनुसार क्रमांक-1 तथा क्रमांक-2 में वर्गीकृत किया गया तथा यह जोगलेकरवाड़ी मनपा हिंदी शाला क्रमांक-1 में वरिष्ठ शिक्षक के रूप में समायोजित किए गए।अपने मूल स्वभाव के अनुसार यह लेखनी, कलम तथा आवाज की समृद्धि के साथ साथ विद्यार्थियों के गुणवत्ता विकास में सदैव सक्रिय भूमिका का निर्वहन करते रहे।  मेधावी प्रतिभा के धनी एक आदर्श शिक्षक तथा उत्तम जनसेवक के रूप में भी शिक्षा तथा समाज में  उत्तम भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। शिक्षकों,कर्मचारियों एवं अधिकारियों की समस्याओं के निराकरण में भी इन्होंने अद्वितीय किरदार को बखूबी निभाने का प्रशंसनीय कार्य किया है। फलस्वरूप वर्तमान समय में  शिक्षक सेना के सर्वोच्च शिखर कार्याध्यक्ष पद पर विराजमान होते हुए शिक्षकों की समस्याओं के समाधान हेतु इनका सफलतापूर्वक नेतृत्व एवं मार्गदर्शन मिल रहा है। अधिकारियों, शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की श्रेष्ठ उपलब्धियों तथा सेवा निवृत्ति के अवसर पर इनके मार्गदर्शन में सदैव शिक्षक सेना का मान पत्र प्रदान कर  उनका विशेष गुण गौरव तथा सम्मान अनवरत किया जाता रहा है। मनपा शिक्षण विभाग में  शैक्षणिक/सह शैक्षणिक, प्रशिक्षण तथा प्रत्येक प्रकार के कार्यक्रमों के कुशल संयोजक, आयोजक, ओज पूर्ण तथा प्रभावशाली वक्ता एवं उत्तम मंच संचालक के रूप में भी प्रसिद्ध तथा लोकप्रिय हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि में इनका  विवाह 6मार्च,1992 को गोरखपुर में तत्कालीन उप जिलाधिकारी की सुपुत्री तथा तीन राजपत्रित अधिकारियों की बहन एम. ए. , बी. एड. की उपाधि से अलंकृत सौभाग्यवती  वीणा राय के साथ संपन्न हुआ।इनका एक पुत्र तथा एक पुत्री के रूप में अत्यंत ही छोटा परिवार है। एम. कॉम, तथा बी. एड की शिक्षा प्राप्त कर इनकी इकलौती सुपुत्री  सूर्या सचिन राय कुशल गृहिणी तथा जामाई  डॉ. सचिन राय लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय विश्वविद्यालय दिल्ली में कार्यरत हैं। इकलौते सुपुत्र  उत्कर्ष राय ठाकुर कॉलेज कांदिवली, मुंबई से एम. सी. ए. अंतिम वर्ष की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।इनके सबसे बड़े अग्रज स्मृतिशेष महेंद्र प्रताप राय मुंबई मनपा में ही शिक्षक पद पर आसीन रहे तथा द्वितीय अग्रज  वीरेन्द्र प्रताप राय कृषि अधिकारी के रूप में अपना वैभव फैला चुके हैं। इस प्रकार इनका संपूर्ण परिवार संस्कारों, सामाजिक, सांस्कृतिक विरासत सहित  समृद्धता की परंपरा का निर्वहन कर रहा है। संपूर्ण परिवार की विनम्रता, आदर भाव, प्रेम, गतिशीलता तथा प्रगति प्रशंसनीय तथा शिक्षा एवं समाज के लिए अनुकरणीय है।
बृहन्मुंबई महानगर पालिका शिक्षण विभाग में 31 वर्ष 10 माह तथा 17 दिन की दीर्घकालिक, अखंड तथा निष्कलंक सेवा पूर्ण करते हुए  श्री राय साहब 01 अगस्त, 2024 से सम्मानपूर्वक सेवा निवृत्त हो रहे हैं।इनकी सेवानिवृत्ति के पश्चात निश्चित रूप से सृजनशील शिक्षक रूपी एक प्रकाश पुंज मनपा शिक्षण विभाग से अलविदा हो जाएगा।इनकी कमी मनपा शिक्षण विभाग के सभी विद्यार्थी, पालक, शिक्षक / कर्मचारीवृंद , अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि तथा शिक्षक सेना सहित सभी शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी एवं सदस्य गण को न खले इसलिए सभी चाहते हैं कि ये अनवरत किसी न किसी रूप में सभी की समस्याओं को पहले की तरह हल करते रहें।आगे इनके परिवार की इच्छा पर निर्भर है। परम पिता परमात्मा से इनके सुखमय, समृद्धमय तथा आरोग्यमय जीवन की "जीवेत शरदः शतम" के साथ शुभ तथा मंगल कामना हेतु सभी की प्रार्थना है।इसका प्रत्यक्ष प्रमाण बृहनमुंबई महानगरपालिका -शिक्षण विभाग एफ/उत्तर सेवा साफल्य समारोह में गौरवमूर्ति उपेंद्र प्रताप बी.राय  प्रत्यक्ष रूप से दिखाई दिया।जिसमें छुट्टी के दिन आयोजित भव्य समारोह में मुंबई महानगर की ख्याति प्राप्त हस्तियों के साथ बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वर्तमान एवं पूर्व के अधिकारियों के साथ ही उच्च पदस्थ अधिकारियों और500 से अधिक शिक्षको ने इस समारोह में शिरकत किए।जिसमें समारोह अध्यक्ष रामचंद्र आर.पाण्डेय,माध्यमिक के शिक्षणाधिकारी राजू अमीर तडवी , उपशिक्षणाधिकारी कीर्तिवर्धन किरतकुडवे,पूर्व उपशिक्षणाधिकारी रविंद्र काळे,जयश्री मुकुंद यादव,पूर्व प्रशासकीय अधिकारी एवं वर्तमान महाराष्ट्र राज्य पाठ्य पुस्तक निर्मिती व अभ्यासक्रम  संशोधन मंडल पुणे(बालभारती)में हिंदी प्रथम भाषा के चयनित अध्यक्ष शिक्षाविद् रामहित यादव,मुंबई के सुप्रसिद्ध कॉलेज एस.आय.एस. कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.डॉ.दयानंद तिवारी,राष्ट्पति पुरस्कार प्राप्त आदर्श मुख्याध्यापिका पुष्पा दुबे, हवलदार सिंह, प्रशासकीय अधिकारी कैलाश चंद्र आर्य, विभाग निरीक्षिका किरण डिसिल्वा, राजकुमारी गिरी,मोहनी कावळे,कनिष्ठ पर्यवेक्षक मधुकर माली,पूर्व शिक्षा निरीक्षक जगदीश एन.गायकवाड, लालजी यादव,राजदेव यादव सहित प्रशासकीय अधिकारी,विभागनिरीक्षक वर्तमान में कार्यरत मुख्याध्यापकों,शिक्षकों एवं मनपा कर्मचारियों के साथ ही शिक्षक सेना के पदाधिकारी साहित्यकार रामअवतार यादव, मुख्याध्यापक डॉ.नागेश पाण्डेय,माताप्रसाद यादव,जयनाथ यादव  ,शिक्षक नेता राज्य पुरस्कार प्राप्त धर्मराज यादव एवं शिक्षक सभा के महासचिव शरद कुमार सिंह,सहसचिव ओमप्रकाश  यादव,अशोक कुमार सिंह ,योगेंद्र सिंह ,शिक्षक नेता बृजेश उपाध्याय,उग्रसेन सिंह,मयाशरण सिंह, राजोल कुमार मिश्रा, पूर्व मुख्याध्यापक सुबेदार विश्वकर्मा, उमाशंकर सिंह,डॉ.अमर यादव,नीलम पांडे,इंदु मिश्रा,रजिया शेख,सपना आंबोरे,नंदा म्हाले,अनिता मिश्रा,नामदेव धनकुटे, सत्यदेव यादव,प्रदीप पाटिल,जितेंद्र दमाहे,मीता भट्टाचार्य, अनिल कुरील,अरविंद गुप्ता ,सुमन विश्वकर्मा,कुसुम यादव सहित अनेक लोगों की सुबह से शाम तक की एक पल भी बिना हिले डटे रहना सचमुच में एक सुखद अनुभूति रही।सबसे बड़ी बात मंच पर विराजमान गौरवमूर्ति के मामा दयानंद राय जो बृहन्मुंबई महानगरपालिका में मुख्याध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।उनकी उम्र 90वर्ष  है लेकिन उनके चेहरे पर उत्साह इतना था कि वे मंच पर एक युवा की तरह विराजमान थे और समारोह के संचालक वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार मनपा के महापौर पुरस्कार प्राप्त शिवपूजन पाण्डेय जो इस समारोह का संचालन करने हेतु जौनपुर उत्तर प्रदेश से आए थे।उन्हीं के साथ आदर्श मंच संचालिका डॉ.पूर्णिमा पाण्डेय ने समारोह के प्रारंभ में गौरवमूर्ति के सबसे प्रिय साथी आलोक सिंह का नाम शोले फिल्म के जय और वीरू की जोड़ी से संबोधित कर सभी का दिल जीत लिया। 

"कर्म ही जिसकी रीत है, सत्य से जिसको प्रीत है।
अंत में उसकी जीत है, समय भी उसका मीत है।।"
"मन मंदिर में ध्वनित हो रहा, कर्म बोध का वंदन।
दो शब्द भावना के देकर, सभी इनका अभिनंदन सदैव करते ही रहेंगे।

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