देश के लिए आत्मघाती साबित होते जातिवादी, धर्मवादी,पंथ वादी,संगठन व बड़े बड़े एनजीओ*
*देश के लिए आत्मघाती साबित होते जातिवादी, धर्मवादी,पंथ वादी,संगठन व बड़े बड़े एनजीओ*
किसी भी देश की उन्नति के लिए शांतिपूर्ण वातावरण अति आवश्यक है|यह तब सम्भव है जब उस देश में एक निशान एक विधान एक भाषा शक्ती से लागू हो,और शासक भी शक्त प्रजापालक न्यायप्रिय निष्पक्ष और कठोर निर्णय लेने वाला हो|और उस देश की जनता अपने शासक का सम्मान करती हो|शासक द्वारा बनाये हुए नियमों का निष्ठापूर्वक पालन करती हो|वही देश विकास करता है,और विकसित भी होता है|उसी देश का विश्व पर प्रभुत्व भी होता है|
जब शांति होती है तो समृद्धि होती है|जब अशांति होती होती तो पतन होता है|एक समय था अंग्रेजों ने लगभग पूरे विश्व पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया था|क्योंकि ब्रिटेन में कोई जातिवादी, धर्मवादी, पंथवादी ,अतिवादी संगठन नहीं थे|वहाँ के लोगों की अपने शासक में पूर्ण निष्ठा थी|वहाँ के लोग अपना भरपूर विकास करके खुद को आधुनिक हथियारों से सज्ज हो लिए|इसके बाद धीरे धीरे पूरे विश्व पर अतिक्रमण कर लिए|कुछ अंतराल के बाद कुछ देश जिसमें जातिवादी,धर्मवादी,पंथवादी,और एनजीओ नहीं थे|वे देश भी आधुनिक हथियारों से खुद को सज्ज किये|और अंग्रेजों को अपने अपने देश से खदेड़ना शुरू किए|मगर भारत में तमाम धर्मवादी,जातिवादी,पंथवादी संगठन के अलावा,एनजीओ होने के कारण,अंग्रेज यहाँ लगभग सबसे अधिक चार सदी तक शासन किए|इन तमाम विषमताओं के होते हुए भी उन वीर बाँकुरों की जिजीविसा और बलिदान के चलते एन केन प्रकारेण भारत भी आजाद हुआ|आजादी के बदले भारत को और भारतियों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी|तबके कर्णधारों ने आजादी के बदले हम भारतियों से बहुत बड़ी कीमत वसूली|अपने सत्ता सुख के लिए,सबसे पहले तो भारत के दो टुकड़े कर दिए|इसके बाद जो हुआ वह बहुत ही हृदयविदारक हुआ|हम लोग तो आज उस दृश्य को केवल फिल्मों में अखबारों में देखते हैं|उस दृश्य को चित्र में देखने से ही सिहर जाते हैं|जरा सोंचिए जिनके सामने प्रत्यक्ष था,उनकी क्या दशा हुई होगी तब|खैर हम आजाद हो गये|खुशी मनाये|नाचे गाये|और आज भी नाच ही रहे हैं,अपने कर्णधारों के इशारों पर कठपुतली की तरह|
हम आजाद हुए,हमें अपना संविधान मिला|बहुत से मौलिक अधिकार मिले|फिर भी हमारा देश पिछड़ता ही चला गया|जबकी अपार प्राकृतिक सम्पदाओं से देश सम्पन्न है|जो चीजें और देश खरीदते हैं वह हमें प्रकृति से मुफ्त में मिलती है|फिर भी हम पिछड़े रह गये तो क्यों?जहाँ तक मेरा अपना आकलन है,और जीवन से प्राप्त अनुभव है,वो ए कि हमारे देश में तमाम जो जातिवादी,धर्मवादी,पंथवादी के अलावा एनजीओ हैं|ए ही भारत को पछाड़ने में मुख्य रूप से जवाबदार हैं|विगत कुछ वर्ष पीछे लगभग 2014 के पहले हमारे देश में हर महीने कहीं न कहीं धर्मवादी दंगा,जातिवादी दंगा,पंथवादी दंगा,और अतिवादी आतंकी घटनाओं से हमारा देश दहलता रहता था|जो अर्थ देश के विकास में लगना चाहिए था|वह इन घटनाओं में स्वाहा हो जाता था|हमारे देश में जो सामाजिक संगठन बने देश हित के लिए,वे विदेशियों से धन लेकर हमारे विकास कार्यों में वाधक बने रहे|जिससे हमारे देश का काफी नुकसान होता रहा|इसमें विगत सरकारें भी दोषी रहीं|अपनी सत्ता बनी रहे इसलिए उपरोक्त घटनाओं को सही तरीके से सुलझाने की कोशिस नहीं की|जिसका कारण ए हुआ कि भारत 1947 से लेकर 2014 तक सुलगता ही रहा|शासक की गलत नीतियों के चलते व सत्ता लोलुपता के चलते भारत पिछड़ता ही रहा|2014 में भारत को एक चतुर और सशक्त शासक मिला,उसने उपरोक्त विसंगतियों पर अंकुश लगाने में बहुत हद तक सफलता पाई|जो देश दंगों और आतंकी बम विस्फोटों के नाते जाना जाता था,वह आज शांति का सिम्बल बनता जा रहा है|जो धन पहले उपरोक्त विसंगतियों में स्वाहा हो जाता था|आज वह धन गरीब कल्याण और देश के विकास में लग रहा है|इसलिए आज यदि देश विकास के पथ पर गतिमान है तो एक ही कारण है|शांति|आज देश में कोई आतंकी घटना नहीं,कोई धर्मवादी जातिवादी दंगल नहीं|कोई विकास के काम में एनजीओ द्वारा रुकावट नहीं|यदि ऐसे ही देश चलता रहा तो,वह दिन दूर नहीं जब हम विकसित भारतवासी कहलायेंगे|
अभी भी देश में जातिवादी ,धर्मवादी, अतिवादी,पंथवादी संगठन रह रहकर शीश उठा रहे हैं|इसलिए देश में आज एक निशान एक विधान एक भाषा एक पहचान की बहुत जरूरत है|संविधान में लिखित समान नागरिक संहिता लागू कर उपरोक्त विसंगतियों को स्वाहा करना अति आवश्यक है|सबको समान अधिकार होगा तो कोई हिन्दू मुसमान न होगा|न कोई दलित और सवर्ण होगा|होगा तो सिर्फ मानव होगा|जब सभी मानव होंगे तो झगड़ा ही नहीं होगा|झब झगड़ा नहीं होगा तो शांति होगी|और जब शांति होगी तो विकास होगा|और भारत विश्व पटल पर विश्व गुरू बनकर राज करेगा|देश में ऐसे सभी उपरोक्त अतिवादी संगठनो की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए|जो सिर्फ देश और देशवासियों का अहित कर रहे हैं,और देश के लिए आत्मघाती बने हुए हैं|
पं.जमदग्निपुरी
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद