सकट चतुर्थी* *चिंतन* *विधा ----दोहा छंद*
*सकट चतुर्थी*
*चिंतन*
*विधा ----दोहा छंद*
आज चतुर्थी है सकट,माघ मास शुभ वार।
विघ्नहरण का व्रत करो, सुखी रहे परिवार।।
व्रत करतीं माता बहन,कर गणेश का ध्यान।
इच्छित फल पातीं सभी,और जगत में मान।।
वरदायक गणराज जी,सुनते करुॅंण पुकार।
अपने भक्तों का सदा, करते हैं उद्धार।।
बस इतना ही चाहतीं, सुखी रहें संतान।
कृपा दृष्टि रखना सदा, दें सबको सद्ज्ञान।।
नाथ गजानन आपसे, विनती है करजोर।
तमस मिटे मनके सभी,हो उर में शुभ भोर।।
संकट से रखना सदा,हमको आप सम्हाल।
शरण पड़ा हूॅं आपका,हे गौरी के लाल।।
शुद्ध बुद्धि के देवता, मानें सब संसार।
रिद्धि-सिद्धि देकर हमें, करते हैं उपकार।।
प्रथम पूज्य श्री आप हो, देवों के सरताज।
पूर्ण मनोरथ आपसे,होते हैं सब काज।।
चिंतन करते आपका, जो भी आठों याम।
होता है उनका सदा,जग में ऊॅंचा नाम।।
मन में आप विराजिए,हे गजबदन गणेश।
*राम* मिटे सारी व्यथा,रहे न कोई क्लेश।।
*रचयिता*
*रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार*
*सक्ती (छग)*
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