अखिल भारतीय अग्नि शिखा मंच का गणतंत्र दिवस पर कवि सम्मेलन संपन्न
अखिल भारतीय अग्नि शिखा मंच का गणतंत्र दिवस पर कवि सम्मेलन संपन्न
अखिल भारतीय
अग्निशिखा मंच एक साहित्यिक, सांस्कृतिक सामाजिक संस्था है मंच समय-समय पर कवि सम्मेलन, सामाजिक कार्य और अन्य गतिविधियों करती रहती है ।
26 जनवरी के उपलक्ष में ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें करीब 30 कवियों ने भाग लिया कार्यक्रम के समारोह अध्यक्ष अभिलाष शुक्ला, मुख्य अतिथि, राम राय, विशेष अतिथि, संतोष साहू, शिवपूजन पांडे, पन्नालाल शर्मा, जनार्दन सिंह, कार्यक्रम का संचालन अलका पांडे ने किया आभार प्रदर्शन अश्विन पांडे ने किया सरस्वती वंदना रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कर कार्यक्रम की शुरुआत की राम राय जी ने अपने उद्बोधन में वीरों को याद किया और श्रीराम के अयोध्या आने की खुशी जाहिर की और अपनी एक रचना प्रस्तुत कर मंच को गौरवान्वित किया ।
अभिलाष शुक्ल ने अपने अध्यक्ष भाषण में मंच को शुभकामनाएं देते हुए कहा सामाजिक और साहित्यिक कार्यक्रम होते रहने चाहिए समाज को ऐसे कार्यक्रमों की बहुत जरूरत है और उन्होंने आगे भी सहयोग करने का आश्वासन दिया बाकी अतिथियों ने भी दो शब्द कहे
तो प्रतिभागी थे
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, सीमा त्रिवेदी, ओम प्रकाश पांडे, मीना त्रिपाठी, ब्रज किशोरी त्रिपाठी, रवि शंकर कोलते, डॉक्टर देवी दी अविनाशी, हीरालाल सिंह कौशल, अनीता झा, रानी नारंग, अलका पांडे ,राम राय, सुरेंद्र हरड़े,डा.महताब आज़ाद,
अंत में मंच की अध्यक्ष अलका पांडे ने सभी प्रतिभागियों को सम्मान पत्र दे कर सब को शुभकनाए दी।
कुछ कविता की चंद पक्तिया
वंदे मातरम्
26 जनवरी को जब तिरंगा लहराता है
तब कोयल गीत सुनाती है
और भंवरा नगमे गाता है
बच्चे ताली बजाते हैं
और हम सब झूम के वंदे मातरम वंदे मातरम कहते हैं
तिरंगे को देखकर पवन शोर मचाती है
गगन झूम झूम के इढालता हैं।।
तब हमे बलिदानों की याद आती है।।
शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जब बात निकलती है आजादी की।।
याद आते हैं तब वीर जवान ।
याद आते हैं भारत देश का नक्शा आंखों में छाती है तोपों की सलामी ।।
बंदूक गरजने लगती है
धरती माता जवानों को तिलक करती है ।।
आकाश इंद्रधनुष सा बन जाता है
आजाद भारत का सपना साकार होता है।।
गणतंत्र दिवस हम मनाते हैं ।
सविधान हमारा हमें याद दिलाता है ।।
लोकतंत्र की बात निराली है संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं ।।।
सबको समानता का अधिकार दिया है ।
अमीरी गरीबी का भेद मिटाया है।।।
ऊंच-नीच का भेद मिटाया है
सब धर्मों को नेक बताया है। ।
मानव सेवा को धर्म बताया है ।
जनवरी को जब तिरंगा लहराता है ।।
आकाश झुमके नाच दिखाता है। पुरवइया झूम झूम महक फैलाती हैं।।
शहीदों की याद आती है
उनकी वीरता की कहानी हम सुनाते हैं
अलका पाण्डेय मुम्बई
*बसंती चोला ही जिनकी*
*दुल्हन बनकर आई थी*
*इंकलाब के नारे ने*
*जन जन में अलख जगाई थी*
*मीना गोपाल त्रिपाठी*
मेरे दिल का पूरा यह अरमान हो।
प्यारा तिरंगा मेरे कफ़न की शान हो।।
डा.महताब आज़ाद
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