भारत तब और अब*

*भारत तब और अब*
    तमाम झंझावातों को झेलते हुए,तमाम बलिदान देते हुए भारत सन 1947 में आजाद तो हुआ|मगर एक टीस देते हुए|दो खण्ड होकर|उस समय के हमारे कर्णधारों को राजा बनने की इतनी भूख इतनी आतुरता थी की अंग्रेजों की हर शर्त को मानते हुए आजादी ले ली|वहाँ भी बहुत कुछ बिलदान बेवजह दिलवाया गया|और आजादी लेने वाले अंग्रेजों के आगे अपरोक्ष रूप से गुलाम की तरह ही नतमस्तक खड़े रहे|जब हमें पूरा भारत मिलने वाला था|तभी सत्तालोभियों ने धोखे से हम सबके साथ खेल कर दिया|और भारत को दो टुकड़ों में विभक्त कर स्वतंत्रता सेनानी बन गये|उन तमाम शूरवीर बलिदानियों के सपनों पर बज्रपात करते हुए होंशियारी और शातिराना अंदाज में भारत को हथिया लिए|आम जन की हालत जस की तस|एक कहावत है "मगरगोह भागि त बहचरिया के डेरा" उतने कत्ल भारतीयों के पूरी आजादी की लड़ाई में नहीं हुए जितने की आजादी मिलने के तत्काल बाद हुए|और उसके बाद भी लगातार होते ही आ रहे हैं|जाति धर्म सम्प्रदाय के नाम पर|
      आजादी के बाद भारत को अपना संविधान मिला केवल कहने के लिए|90% नियम कानून उसमें या तो मुगलों के हैं या अंग्रेजों के|हमारी तरफ से 10% ही उसमें नियम निहित हैं|जो हमारी तरफ से निहित किये गये उसमें से 5% ही लागू हुए हैं जिसमें आरक्षण पर्सनल ला मंडल आयोग ही मुख्य रूप दिखाई पड़ता है|जिससे भारत आगे बढ़ने की बजाय पीछे की तरफ जाने लगा|हमारी संस्कृति नष्ट होती गई असभ्य संसकृति हमपे सवार होती गई|शिक्षा बद से बदतर होती गई|इसाई मिशनरियाँ और मदरसे बढ़ते गये|गुरुकुल इतिहास बन गये|प्रतिभायें दब गई,प्रतिभाहीन लोगों के हाँथ में प्रशासनिक व्यवस्था के चलते भारत का जो विकास होना चाहिए था नहीं हुआ|जिस गति से और देश अपने को विकसित किए|भारत उनसे कोसों दूर होता गया|क्योंकि यहाँ की प्रतिभा वहाँ काम कर रही थी|यहाँ अनुभव हीन लोग देश के प्रगति में लगकर देश को आगे की बजाय पीछे धकेलते रहे|इसलिए भारत की गुरुता करीब करीब खतम सी हो गई थी|सत्तालोभियों ने भारत की महत्ता को मटियामेट कर दिया|देश में जो रोजगार के साधन थे वो  सरकार की गलत नीतियों के चलते जमींदोज हो गई|रोजगार घटते गये|जनसंख्या बढ़ती गई|सत्ता के लिए मुफ्त की रेवड़ियाँ बँटने लगी| देश पर कर्ज का भार बढ़ता गया|देश पिछड़ता जा रहा था|जो काम चालीस साल पहले हो जाना चाहिए था वह काम अाज भी नहीं हो पाया|आये दिन जातिवादी दंगा धर्मवादी दंगा होते रहे|भारत की आधी से अधिक जीडीपी उपरोक्त दंगो में स्वाहा हो गई|बची खुची छात्र मजदूर और किसानों ने मिलजुलकर पूरा कर दिया|भारत में विकास की गति मंद रही और राजनीति की गति तीब्र व तीक्ष्ण दोनो रही|जिसके चलते भारत पिछड़ता गया|गरीबी भुखमरी भारत की पहचान बनती जा रही थी|विश्व के छोटे छोटे देश भारत को धकियाते रहते थे|तब के भारत में परिवार प्रथम राष्ट्र अंतिम हो गया|इसलिए कोई भी आँख दिखाता था|ये इसलिए सम्भव हो पा रहा था कि तब के भारत में एक परिवार समृद्ध होता गया|देश पिछड़ता गया|राज तंत्र हावी होता गया|प्रजा तंत्र दबता गया|परिवार बचाने के लिए विगत सरकारों ने देश को पीछे कर दिया|मगर एक न एक दिन बदलाव निश्चित है,यह हमारी गीता कहती है|और बदलाव हुआ|
     2014 के बाद सत्ता बदली भारत को एक ताकतवर नेता मिला|जो भारत को विकसित करने के लिए दिन रात जी जान से मेहनत कर रहा है|उसी की मेहनत नीति नीयति की कामयाबी आज पूरे विश्व में झलक रही है|इसने भारत को विश्व में एक ताकतवर देश बनाकर प्रस्तुत किया|भारत की दिशा और दशा दोनो बदल दिया|आज देश बंदे भारत तेजस जैसी मेक ईन इण्डिया द्वार निर्मित रेलगाड़ियाँ दौड़ाने लगा है|सड़कों रेलवे मैट्रो हवाई जल मार्गों का जाल बिछ रहा है|स्मार्ट शहरों का विकास हो रहा है|गरीबों को जल,विजली, इज्जतघर,मकान गैस जैसी सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है|रोजगार के नये उद्यम स्थापित किए जा रहे हैं|प्रतिभाओं को काम पर लगाया जा रहा है|लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है|भारत जो मंद गति से बढ़ रहा था विगत कुछ वर्षों से गतिमान हुआ है|इस सब के बावजूद भी लक्ष्य अभी बहुत पीछे है|क्योंकि घटता रोजगार बढ़ती जनसंख्या अवरोधक बनी हुई है|तब के भारत से अब के भारत में बदलाव तो हुआ है|मगर अभी भी ऊँट के मुँह में जीरा ही साबित हो रहा है|परिवहन के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम तीब्र गति से हो रहा है|आजादी के 65 सालों में जो नहीं हो पाया था वह विगत कुछ दिनो से तेजी से हो रहा है|कई हाइवे एयर पोर्ट नई रेलवे लाइने बन रही हैं|सभी राज्यों को परिवहन से जोड़ने का काम तीब्र गति से हो रहा है|जो राज्य रेलवे से नहीं जुड़े थे उनको या तो जोड़ दिया है या जोड़ा जा रहा है|परिवहन के साथ साथ इस सरकार ने पर्यटन पर भी खूब जोर दिया है|जिससे बहुत से स्वरोजगार उत्पन्न हो रहे हैं|तब के भारत से  अलग अबके भारत की एक चमचमाती तस्वीर सामने आ रही है|भारत एक ताकतवर देश बनकर विश्व भर में उभर रहा है|जहाँ भारत सिर्फ सुनता था|वहीं आज भारत को पूरा विश्व सुनता है|कोई भी विश्व का मसला हो सब भारत की तरफ देख रहे हैं|आज कोई भी मसला सुलझाने के लिए  लोग अमेरिका की तरफ नहीं भारत की तरफ आस भरी नजरों से देखते हैं|और गुहार भी लगा रहे हैं|जिसका जीता जागता प्रमाण रूस यूक्रेन युद्ध,इसराइल हमास युद्ध अफगान तालिबान युद्ध हैं|जहाँ लोग भारत से समझौता कराने की गुहार लगाते दिखे|जो आस जगा रहा है कि हम शीघ्र ही महाशक्ति बनने की राह में अग्रसर हैं|
     जहाँ तब के भारत ने कई हेक्टेयर जमीने चीन को दे दी,वहीं आज चीन का दम घुट रहा है|1971 में जहाँ भारत ने 93000 सैनिकों को जीतने के बाद भी पाकिस्तान को सौंप दिया मरने के लिए|वहीं एक अभिनंदन के लिए अब के भारत ने पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया|जहाँ हमारे कई जवान देश की रक्षा खातिर कई देशों में पकड़े गये और तब के भारत ने उनकी खोज खबर तक नहीं ली|वहीं अबके भारत ने कतर जैसे देश को घुटने पर ला दिया|और अपने सैनिको के प्राण की रक्षा की|जहाँ तब के भारत में काश्मीर धीरे धीरे भारत से छिटक रहा था|वहीं अब के भारत का वह पूरी तरह से हिस्सा बन गया|तब के भारत में जहाँ लालचौक पर तिरंगा न फहराने की धमकी दी जाती थी|वहीं अब के भारत में पूरे काश्मीर में लोग तिरंगा लेके गीत गा रहे हैं|"झंडा ऊँचा रहे हमारा ,विजयी विश्व तिरंगा प्यारा|"तब के भारत में जहाँ विदेशी शेखों के आने पर मंदिर ढँक दिये जाते थे,वहीं अब के भारत में शेखों से मंदिर बनवाये जा रहे हैं|ए है तब के भारत में अबके भारत में अभूतपूर्व अंतर|
पं.जमदग्निपुरी

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