ग़ज़लकार गिरीश श्रीवास्तव की खूबसूरत गजल

ग़ज़लकार गिरीश श्रीवास्तव की खूबसूरत गजल

आंखों में मेरे सपने सजाने के लिए आ।। 
महबूब मेरे मिलने मिलाने के लिए आ।। 

तन्हाइयों में कट रही है ज़िन्दगी जनाब
दिल की मेरी महफ़िल को सजाने के लिए आ।। 

प्यासा हूँ बेकार हूँ आंखे लगी हुई-
आंखों से अपनी जाम पिलाने के लिए आ।।

मेरी तो सारी उम्र मनाने में कट गई-
चाहत अगर है दिल में मनाने के लिए आ।।

मुद्दत  से परेशान हूँ दीदार के लिए
फिर एक बार जल्वा दिखाने के लिए आ।।

 बस इतनी गुज़ारिश गिरीश आप से मेरी -
उम्मीद के दिये को जलाने के लिए आ।।

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