जन्मदिन (31 जुलाई) पर विशेषकृपाशंकर सिंह को मैंने संघर्षों में भी मुस्कुराते देखा है– लल्लन तिवारी

जन्मदिन (31 जुलाई) पर विशेष
कृपाशंकर सिंह को मैंने संघर्षों में भी मुस्कुराते देखा है– लल्लन तिवारी

महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह उत्तर भारतीय समाज के एक ऐसे देदीप्यमान व्यक्तित्व हैं, जिनको मैंने कभी विचलित होते नहीं देखा। संघर्षों के दौर में भी वह हमेशा मुस्कुराते और दूसरों की मदद करते दिखाई दिए। राजनीति के क्षेत्र में उनका व्यक्तित्व अजातशत्रु के रूप में रहा। उम्र के इस पड़ाव में वह किसी जवान की तरह सक्रिय ,उत्साही और ऊर्जावान हैं। मैं मानता हूं कि उन पर भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा है। मैंने उनके संघर्षों से भरा दौर भी देखा है और शैडो चीफ मिनिस्टर के रूप में प्रभावशाली स्वरूप भी देखा है। दोनों विपरीत परिस्थितियों में मैंने उन्हें सूरज की तरह देखा है। सूरज उगते समय भी लाल होता है और डूबते समय भी लाल होता है। कृपाशंकर सिंह चाहे दुख में रहे हों ,चाहे सुख में रहे हों, उनकी विनम्रता, शालीनता और अपनापन के व्यवहार में किसी प्रकार का बदलाव नहीं आया। कोरोना संकट काल में मैंने उन्हें प्रवासी लोगों के आवागमन और भोजन की सुविधाओं के लिए दिन रात मेहनत करते देखा है। मैं समझता हूं कि वे एकमात्र ऐसे उत्तर भारतीय नेता हैं, जिन्हें उत्तर भारतीय समाज के साथ-साथ अन्य समाज के लोगों का भी भरपूर प्यार और समर्थन मिलता रहा है। किसी ने ठीक ही कहा है–

राह संघर्ष की जो चलते हैं,
वही सूरज बनकर निकलते हैं।

कृपाशंकर सिंह सच्चे अर्थों में समाज के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं। किसी पद पर रहे ना रहे, समाज के साथ हमेशा खड़े नजर आते रहे हैं। आज भी जिस तरह से उनको चाहने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उससे साफ है कि उनके निर्मल छवि और उदार व्यक्तित्व में जरा सी भी गिरावट नहीं हुई है। कृपाशंकर सिंह ऐसे उत्तर भारतीय नेता हैं, जिन्होंने अपनी कर्मभूमि के साथ-साथ,अपनी जन्मभूमि को भी संवारने और खुशहाल बनाने का समर्पित काम किया। उन्होंने अपने गृह जनपद जौनपुर में अनेक सड़कों, अनेक पुलों, अनेक तालाबों, अनेक थानों आदि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत के अनेक राज्यों में उनकी अच्छी पकड़ है। हमारे समाज में लोग कहते हैं कि आप भारत के किसी कोने में चले जाइए और वहां आपको यदि कोई असुविधा हो रही हो तो आप कृपा जी को फोन करिए, आपकी समस्या का तत्काल हल हो जाएगा। आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ-साथ युवा वर्ग दूर होता चला जाता है। परंतु यदि आप कृपा जी के पीछे खड़े होने वाले लोगों की संख्या देखें तो आपको युवा वर्ग की संख्या अधिक दिखाई देगी। कहीं न कहीं यह उनके आकर्षक व्यक्तित्व और युवा मन का परिचायक है। वे बच्चों के साथ बच्चा, युवाओं के साथ युवा और बुजुर्गों के साथ बुजुर्ग नजर आते हैं।कृपाशंकर सिंह की सबसे बड़ी विशेषता उनकी शालीनता और विनम्रता है। कहते हैं कि विनम्रता बिना मोल बिकती है पर उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है। उनके इसी गुण से लोग उनकी तरफ खिंचे चले आते हैं। मिलने वालों से वे कभी भेदभाव नहीं करते। क्या हिंदू क्या मुस्लिम, क्या गरीब क्या अमीर, क्या ब्राह्मण क्या दलित, सबसे समान भाव के साथ व्यवहार करते हैं। उनका यह गुण हम सबके लिए प्रेरणा है।

वह शख्स जो झुक कर तुमसे मिला होगा,
यकीनन उसका कद तुमसे बड़ा होगा।।

 कृपाशंकर सिंह में मानवीय संवेदनाएं कूट-कूट कर भरी हुई है। अपनों के सुख में वे भले ही न पहुंच सकें, परंतु अपनों के दुख में आधी रात को भी पहुंच जाते हैं। 31 जुलाई को उनके जन्मदिन के साथ-साथ उनके धर्मपत्नी श्रीमती मालती सिंह का भी जन्मदिन है। मैं अपने पूरे परिवार की तरफ से दोनों को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे सदैव स्वस्थ रहें ताकि समाज को उनकी सानिध्यता मिलती रहे।

हर खुशी खुशी मांगे आपसे,
जिंदगी जिंदादिली मांगे आपसे,
उजाला हो मुकद्दर में आपके इतना,
कि चांद भी रोशनी मांगे आपसे।।

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