प्रामाणिक इतिहास भविष्य की विरासत है - पुराविद डॉ पांडेय


प्रामाणिक इतिहास भविष्य की विरासत है  - पुराविद डॉ पांडेय
वर्तमान युवा पीढ़ी सनातन संस्कृति से नहीं जुड़ेगी तो भविष्य कैसे सुरक्षित होगा - प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री जोशी 

विक्रमादित्य , राजा भोज और परमार राजवंश का गौरवशाली इतिहास रहा है - फ़िल्म निर्माता श्री प्रदीप शर्मा

जनपरिषद स्थापना दिवस पर मंदसौर में हुई सम्पन्न साहित्य - इतिहास संगोष्ठी

( विशेष प्रतिनिधि )
मंदसौर । कोई डेढ़ सौ वर्ष बाद देश के पराक्रमी परमार राजवंश पर प्रामाणिक ग्रंथ दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत हुआ है । यह स्वागत योग्य है ।
भारत के गौरवशाली इतिहास में परमार राजवंश का भारत ही नहीं विश्वभर में अग्रणी स्थान रहा है । उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य , धार के राजा भोज का राजकाज आज भी व्यवस्था का आधार माना जाता है । यह बात कही दशपुर प्राच्य शोध संस्थान निदेशक एवं राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पुराविद , इतिहासकार डॉ कैलाशचंद्र पांडेय ने । 
आप सामाजिक - सांस्कृतिक क्षेत्र की अग्रणी संस्था जनपरिषद के स्थापना दिवस अवसर पर बुधवार शाम आयोजित इतिहास और साहित्य विषय की संगोष्ठी में मुख्य अतिथि रूप में संबोधित कर रहे थे ।
डॉ पांडेय ने कहा कि शोध और अनुसंधान के साथ मालवा के गढ़ी भैंसोला ( खाचरोद - रतलाम ) निवासी श्री नरेंद्र सिंह पँवार ने  एक हजार पृष्ठों का प्रामाणिक ग्रंथ तैयार किया है । जो शोधकर्ताओं और इतिहावेत्ताओं के लिए दस्तावेज बन गया है ।
प्रमाणिकता ही भविष्य का आधार पूर्ण दस्तावेज होता है ।

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि ख्यात फ़िल्मकार एवं पटकथा लेखक श्री प्रदीप शर्मा ने कहा कि तथ्यों के साथ भ्रम नहीं हो
ओर प्रस्तुतिकरण भी सबके अनुकूल हो यह कठिन है , पर परमार राजवंश केंद्रित रत्नमाला का संकलन ओर प्रकाशन इतिहास बन गया है । तत्कालीन समय के सभी पक्षों का चित्रण हमें इतिहास से रूबरू कराता है । बारह वर्ष की साधना उपरांत तैयार यह कृति वर्तमान के साथ भविष्य के लिए भी सार्थक उपलब्धि है । 

अध्यक्षता करते हुए जिला प्रेस क्लब अध्यक्ष एवं हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रदेश प्रतिनिधि श्री ब्रजेश जोशी ने जनपरिषद के रचनात्मक कार्यों की सराहना की और प्रदेश में मंदसौर को " बेस्ट चैप्टर ऑफ द ईयर "अवार्ड मिलने पर बधाई दी ।
श्री जोशी ने कहा नई पीढ़ी को इतिहास और विरासत की जानकारी जरूरी है । अपनी संतति संस्कृति से नहीं जुड़ेगी तो सांस्कृतिक वृक्ष पोषित और विकसित कैसे होगा । लिखित और प्रामाणिक इतिहास ही वास्तविकता सामने रखता है । यह रचित ग्रंथ सिद्ध करता है । आपने संपादक लेखक श्री नरेंद्र सिंह पँवार को इस तपस्या पूर्ण काम के लिए बधाई दी ।
इतिहासकार एवं लेखक श्री नरेंद्र सिंह पँवार ने परमार राजवंश रत्नमाला के बारे में प्रस्तावना के साथ तथ्यों की जानकारी दी । मालवा - मेवाड़ से लेकर देश भर के राजकाज विवरण एवं विदेशी भूमि पर भी परमार राजवंश के आधिपत्य आदि से भी संगोष्ठी में अवगत कराया ।

साहित्य और इतिहास के लिए इस योगदान के लिए जनपरिषद मंदसौर चैप्टर द्वारा मालवा क्षेत्र के लेखक संपादक श्री नरेंद्रसिंह पँवार का सार्वजनिक सम्मान किया गया । अतिथियों ने शॉल स्मृति चिन्ह भेंट कर योगदान की सराहना की ।

आरम्भ में जनपरिषद मंदसौर चैप्टर जिला संयोजक वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल ने स्वागत संबोधन देते हुए संस्था की सामाजिक सांस्कृतिक , खेल , पर्यावरण , साहित्यिक गतिविधियों की जानकारी दी ।
जनपरिषद मंदसौर चैप्टर एवं राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के माध्यम से इस अवसर पर सेवा क्षेत्रों में अग्रणी *श्रीमती चंदा डांगी अजय डांगी , शिक्षाविद डॉ दिनेश तिवारी , साहित्यकार कवि श्री गोपाल बैरागी , संगीत महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष श्री नरेंद्र कुमार त्रिवेदी , साहित्य परिषद महासचिव श्री नंदकिशोर राठौड़ आदि को  स्मृति चिन्ह , प्रमाण पत्र एवं उपरना भेंट कर सम्मानितकिया।*

बालनारायण निकेतन सभागार  , गोल चौराहा पर संपन्न साहित्य और इतिहास समीक्षा संगोष्ठी में गणमान्य जनों के साथ राजाराम तंवर , महावीर रघुवंशी , अजिजुल्लाह ख़ालिद ,दिलीप कुमार जोशी ,कमल रैगर , अजय सिंह परमार आदि उपस्थित थे ।
संगोष्ठी संचालन जनपरिषद संयोजक डॉ घनश्याम बटवाल ने किया आभार माना साहित्य परिषद महासचिव श्री नन्दकिशोर राठौड़ ने ।

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