रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका
मुंबई। अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में आयुर्वेद को घर-घर तक पहुंचाने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वैद्य छोटेलाल यादव एवं प्रमुख अतिथि व वक्ता वैद्य विजय सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना काल में महामारी से निपटने में भारतीय आयुर्वेद ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। जनमानस की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद बहुत उपयोगी रहा। समारोह में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर और ज्यादा ध्यान देने का निर्णय लिया गया है।
दहिसर स्थित स्पोर्ट्स फाउंडेशन में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन में भाग लेने के लिए दूर दराज से वैद्या आए। दक्षिण मुंबई शाखा द्वारा आयोजित सम्मेलन में वैद्य राजदेव यादव, वैद्य जगदीश राय, वैद्य वीरेंद्र नौटियाल, वैद्य एच.डी. सिंह, वैद्य राजकुमार मकवाना, वैद्य प्रसाद तांबे सहित अन्य जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया। समारोह में सामान्य जनमानस के स्वास्थ्य की रक्षा एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया। वैद्य एच.डी. सिंह ने कहा कि सामान्य जनमानस को  शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से परिचित करना जरूरी है। आमतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से संबंधित वस्तुएं हर किसी भारतीय के किचन में आसानी से मिल जाता है। उन वस्तुओं का उपयोग रोजमर्रा के जीवन में अपनाना है। इससे बहुत सारे आने वाले रोगों से छुटकारा मिल जाएगा। कोविड काल के दौरान लोगों को आयुर्वेद के उपयोगिता अच्छी तरह से समय में आई। 117 साल पुरानी संस्था
वैद्य एच.डी. सिंह ने बताया कि देश की सबसे पुरानी संस्थाओं में से एक है। अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन की स्थापना 117 साल पहले वैद्य शंकर दाजी पाड़े शास्त्री ने 24 मई 1907 को नाशिक जिले के त्र्यंबकेश्वर में किया गया था। आगे चलकर संस्था का विस्तार राज्य और जिला स्तर पर किया गया। देश के जाने माने आयुर्वेद के डॉक्टर इस संस्था से जुड़े हुए है। आयुर्वेद से संबंधित नीति बनाने में संस्था सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव देता है।

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