वीर बालदिवस मनाया गया।

वीर बालदिवस मनाया गया।
मुम्बई : सिख धर्म के 10वें गुरु गुरुगोविन्द सिंह के चार पुत्रों ने हिन्दू, सिख एवं राष्ट्र धर्म की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। भारत सरकार के निर्देशानुसार संपूर्ण देश में “वीर बाल दिवस'' पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्देश है। फलस्वरूप केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, क. जे. सोमैया परिसर, विद्याविहार के चाणक्य सभागार में “वीर बाल दिवस" के रुप में कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर के प्रभारी निदेशक प्रो. भारत भूषण मिश्र ने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए जिस तरह से गुरुगोविन्द सिंह के पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी, उसी तरह हम सभी को संकल्प लेकर धर्म एवं देश की रक्षा के लिए कर्तव्य निष्ठ होकर देश के प्रति सोचना चाहिए । व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो. बोध कुमार झा ने कहा कि यदि देश हित में  कोई बच्चा भी अच्छा कार्य करता है तो उससे हम सभी को सीख लेना चाहिए जैसे गुरुगोविन्द सिंह के पुत्रों ने राष्ट्र और धर्म के लिए शहीद हो हुए थे । हिन्दी भाषा की डॉ. गीता दूबे ने कहा कि वर्तमान केन्द्रीय सरकार का निर्णय हम सभी को संदेश देनेवाला है जो राष्ट्र के उन शहीदों को इतिहास के पन्नों में भूला दिया गया था। जिन्होंने देश के लिए कुरबानी दी थी । जिन्हें हमेशा याद करने की जरुरत है । मुख्य वक्ता के रूप में राजनीति विज्ञान के डॉ. रंजय कुमार सिंह ने कहा कि सिख धर्म के 10वें गुरु के पुत्रों की शहादत को 21-27 दिसम्बर तक "वीर बाल दिवस" सप्ताह के रूप में मनाया जाता है । उनकी माता गुजरी ने भी ठंडे वुर्ज में अपने पोतों की शहादत का समाचार सुनकर मृत्यु को वरण की थी । गुरुगोविन्द सिंह के पिता गुरुतेग बहादुर सिंह ने भी हिन्दू सिख तथा राष्ट्रधर्म की रक्षा करते हुए इस्लाम धर्म न कबूलते हुए मुगलों से युद्ध करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए थे । अपने पिता के आदर्श और सिद्धान्तों पर चलते हुए गुरुगोविन्द सिंह ने भी इस्लाम धर्म के खिलाफ पूरे हिन्दू, सिख एवं राष्ट्रधर्म के स्वाभिमान के लिए कार्य करते हुए अपनी शहीद दी थी। बाल्यावस्था में जिस तरह से गुरुगोविन्द सिंह के चार पुत्रों अजित सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह राष्ट्रधर्म की रक्षा के लिए वीर गति को प्राप्त हुए । हम सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। जोरावर सिंह और फतेह इस्लाम धर्म न कबूलते हुए अपने दादा पिता और भाईयों के द्वारा दिये गये बलिदान एवं सिद्धान्तों को स्वीकार किया ऐसे उदाहरण इतिहास के पन्नों में बहुत कम मिलते हैं हम सभी भारतवासियों को भी अपने देश की संस्कृति सभ्यता, धर्म स्वाभिमान के लिए प्रतिक्षण, तत्पर और प्रतिवद्ध रहते हुए अपने कर्तव्यनिष्ठा का पालन करना चाहिए। जिससे कोई भी हमारे देश और धर्म के प्रति आँख ना दिखा सके । इस अवसर पर पाक शास्त्री प्रथम वर्ष की छात्रा ज्योति मेहता तृतीय वर्ष की छात्रा वेदा कुलकर्णी ने भी वीर वाल दिवस पर अपने-अपने विचारों को व्यक्त किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण मराठी भाषा की डॉ. मीनाक्षी वरहाटे ने धन्यवाद, साहित्य के डॉ. सोमेश बहुगुणा ने जबकि मंच शारीरिक शिक्षा के डॉ. शंकर आंधले ने किया। सभा में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. संदीप जोशी, सभी शिक्षक, कर्मचारी उपस्थित थे। इस  अवसर पर  छात्र भी उपस्थित थे।

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