‌‌नज़मतेरी यादों ने मुझको,तन्हां होने नहीं दिया।रातों को भी शकून से ,सोने नहीं दिया।।---------डॉ मलय तिवारी

‌‌नज़म
तेरी यादों ने मुझको,तन्हां होने नहीं दिया।
रातों को भी शकून से ,सोने नहीं दिया।।
ग़मों के दौर में भी मैंने ,हौसला न छोड़ा,
आंसू से‌ कभी पलकें ,भिगोने नहीं दिया ।
तेरी यादों ने मुझको ,तन्हां होने नहीं दिया।
बाद मुद्दत के उनसे,मेरी मुलाकात हुई तो,
फिर दुनियां की भीड़ में,उन्हें खोने नहीं दिया।
तेरी यादों ने मुझको ,तन्हां होने नहीं दिया।
बेकाबू  हुई थीं लहरें, तूफ़ान बहुत था ,
कस्ती  हमारी  रब़ ने, डुबोने नहीं दिया ।
तेरी यादों ने मुझको ,तन्हां होने नहीं दिया।
प्यारा था "मलय* जो मुझे,जां से जियादा,
तशवीर अपनी दिल में संजोने नहीं दिया।
उनकी यादों ने,मुझको तन्हां होने नहीं दिया।
   ‌     डाक्टर मलय तिवारी
                 जौनपुर

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