कठिन दिनों की साथी थी माँ*(आज माँ की बारहवीं पुण्यतिथि पर..)

*कठिन दिनों की साथी थी माँ*
(आज माँ की बारहवीं पुण्यतिथि पर..) 
दुःख की बदली छा जाए 
आँखों में आँसू आ आए
हिम्मत खूब बंधाती थी माँ
कठिन दिनों की साथी थी माँ

खीर-बखीर, ठोकवा, दलपूरी
रहे न किसी की साध अधूरी 
व्यंजन सभी बनाती थी माँ 
कठिन दिनों की साथी थी माँ 

खिचड़ी, होली, रोट, दिवाली 
घर में  रहती थी खुशहाली 
ममता खूब लुटाती  थी माँ 
कठिन दिनों की साथी थी माँ

सुख को मेरे, अपना सुख माना 
अकथ वेदना, दर्द को जाना 
हर संझा की बाती थी माँ
कठिन दिनों की साथी थी माँ

🟢डॉ. जीतेन्द्र पाण्डेय 

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