उठ चल तूउठ चल तू, उठ चलसपनो को अपने पूरा कर चल
उठ चल तू
उठ चल तू, उठ चल
सपनो को अपने पूरा कर चल
शत्रु विजयी है तो कोई बात नही
जब तक न माने तेरी हार नही
अपने से ही खुद की खोज कर
मन का दिया जलाकर किसी घर को उजियारा कर
विपदाओं से घबराकर राह को न मोड़
हिम्मत हार के मन को न मोड़
बीमारी, निराशा, हार का बलि न पड़
लक्ष्य पर ध्यान कर और आगे बढ़
उठ चल तू, उठ चल
सपनो को अपने पूरा कर चल।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर कवि, मुम्बई
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