अकेले हैं चले आओ बहुत घबरा रहे हैं हम।।खुद अपने आप से ही दूर होते जा रहे हैं हम।।
अकेले हैं चले आओ बहुत घबरा रहे हैं हम।।
खुद अपने आप से ही दूर होते जा रहे हैं हम।।
तुम्हारी याद आती है तो दुनिया भूल जाता हूँ-
तुम्हें खोकर जमाने में बहुत पछता रहे हैं हम।।
अभी टूटे नहीं हैं, तार उम्मीदों के पर कब तक-
मुसीबत की घड़ी में खुद को ही आजमां रहे हैं हम।।
कमी खलनें लगी उनकी, निकल आये नहीं माने-
खुशी की रात में आँसू बहाते जा रहे हैं हम।।।
कमी होने न पाये रौशनी की,ऐ गिरीश उनको-
अंधेरे में दिया बनकर के जलते जा रहे हैं हम।।।
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