आडम्बरों से त्रस्त, हर मानव निराश है ! पाखण्ड खंडिनी की, आज फिर तलाश है !!-- सुरेंद्र आर्य पँछी पुहाना

आडम्बरों से त्रस्त, हर मानव निराश है  ! 
पाखण्ड खंडिनी की, आज फिर तलाश है  !!-- सुरेंद्र आर्य पँछी पुहाना
महरौनी(ललितपुर)-- महर्षि दयानन्द सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज के तत्वाधान में वेदोद्धारक, युग प्रवर्तक, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के 198 वे जन्मोत्सव एवं वीर सावरकर की पुण्यतिथि एवं अमर शहीद क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आजाद के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का चन्द्रकान्ता आर्या की अध्यक्षता  एवं आचार्य संजीव रूप  बदांयू  के मुख्य आतिथ्य एवं संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य के संचालन में  सम्पन्न हुआ।
सुरेंद्र  आर्य पँछी पुहाना ने  "आडम्बरों से त्रस्त, हर मानव निराश है  ! 
पाखण्ड खंडिनी की, आज फिर तलाश है"  !!

 "फन फैला फुफकार रहे, 
कुछ विषधर काले हैं सावधान हो जाओ , 
इक दिन डसने वाले हैं  !!
आंखें खोलो और समझ  लो, मैं जो कहने वाला! धीरे-धीरे सुलग रही है, नफरत की इक ज्वाला!!तैयारी कर रहे, घरों में घुसने वाले हैं !सावधान हो जाओ , इक दिन डसने वाले हैं
सत्य प्रकाश भारद्वाज फरीदाबाद ने 
"पुकार सुनी क्या कभी मात की क्या कभी व्यथा पर ध्यान दिया।
चाहा जो क्या मातृभूमि ने क्या तुमने प्रदान किया।।"

डॉ चैतन्य चेतन एडवोकेट बरेली  ने 
"जो गीत बना था हस्ताक्षर, आजादी के परवाने पर,       है ऐतराज किसलिए आए वन्देमातरम के गाने पर। 


धर्मेश अविचल इंद्रप्रस्थ गुरूकुल फरीदाबाद ने "ऋषिवर के सपनों को,हम कभी न भूलेंगे।
पढ़ वेद ऋचाओं को, आनंद से फूलेंगे।।

"उग आए हैं खेत में,अनगिन खरपतवार।
अविचल इनको दूर कर,कर में ले औजार।।"


आचार्य संजीव रूप बदांयू  ने "तू कण कण में समाया, सभी की आत्मा में हैं,जिसे हराकर ऋषिवर ने पिया,वो अमृत का प्याला हैं।

नरेन्द्र आहूजा विवेक दिल्ली ने 
"जो खुद को पहचानता , विजय मौत पर पाए। 
अन्तिम दस्तक पर सदा , कपाट खोल वह पाए।।
अन्तिम समय जब आ गया , देना पड़े हिसाब। 
कर्म बना कर लेखनी , लिखी तूने किताब।। "

दिनेश यागिक रायसेन ने "उठो ये भारत माँ के लाल,भारत माँ के गद्दारों पे टूटो बनके काल"

दर्शनाचार्या विमलेश बंसल  आर्या दिल्ली  ने ऋषि दयानन्द और सत्यार्थप्रकाश पर काव्यपाठ किया- सत्यार्थप्रकाश पढ़ेगा विज्ञान से भरेगा,
नहीं कभी भुलाया जा सकता अहसान उस ऋषि का

सतीश यादव समर्थ मैनपुरी ने 
"घर छोड़कर जिसने सन्यास लिया था
दयानन्द ने लक्ष्य खास लिया था
शिव का सच्चा स्वरूप जान लिया था
मथुरा में जाके अभिज्ञान लिया था"

"काकोरी कांड जो अटूट किया था
क्रांति कार्य हेतु कोष लूट लिया था"

"सावरकर माने तप,तेज त्याग" 

महेश योगी क्रांति दिल्ली  ने "साधक सुधारक विचारक महानथा 
देव दयानंद स्वयं मे हिंदुस्तान था"

रामजी राजा परमार ने " सुनो बात ऋषि कि उसी पर चलो सब
जग मे भेद भाव मिटा कर जियो सब
बुराई के रास्ते को मिटा दो तुम
सत्यार्थ के मार्ग पर पग रखो तुम"|

कवि सम्मेलन में नीलम धमीजा चंडीगढ़, मिथलेश गौर खुर्जा,रामकुमार सेन अजान,जय पाल सिंह बुन्देला मिदरवाहा, इंजीनियर सन्दीप तिवारी ,ईश आर्य हरियाणा  पतजंलि,उषा सूद ,विमलेश सिंह शिक्षक,बाबू सिंह महरौनी,दामोदर अहिरवार शिक्षक सहित अनेकों आर्य जन जुड़े थे।
संचालन संयोजक आर्य रत्न  शिक्षक लखन लाल आर्य एवं आभार डॉक्टर वेद प्रकाश शर्मा ने जताया।

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