मेड़कटवा संस्कृति की भेंट चढ़ती ग्रामीण सड़कें

मेड़कटवा संस्कृति की भेंट चढ़ती ग्रामीण सड़कें
जौनपुर। गांव के विकास में सड़कों का विशेष महत्व होता है। सड़कों के माध्यम से गांव आसपास के शहरों या बड़े बाजारों से जुड़े होते हैं, जहां कृषि उत्पादनों की न सिर्फ खपत होती है अपितु दैनिक उपयोग की चीजों को ले जाने ले आने में सुगमता होती है। पिछले कुछ वर्षों से सरकारों ने ग्रामीण सड़कों की दिशा में सराहनीय काम किया है। अच्छी सड़कें बन रही हैं, परंतु उनके रखरखाव तथा अतिक्रमण की समस्या जस की तस बनी हुई है। सड़कों पर लगातार फावड़े रहे हैं। परिणाम स्वरूप सड़कों का आकार सिमटता  जा रहा है।मेड़कटवा संस्कृति के चलते सड़कों के किनारे कटते जा रहे हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी ,प्रशासनिक अधिकारी स्थानीय पुलिस बल यह सब देख कर भी आंखें मूंदे हुए हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ यदि एक बार जुर्माना कर दिया जाए तो दोबारा वे सड़कों की शक्ल बिगाड़ने का प्रयास नहीं करेंगे। बदलापुर तहसील अंतर्गत स्थित घनश्यामपुर से एक सड़क शाहपुर सानी होते हुए वापस पिलकिछा पुल के पहले मुख्य सड़क में आकर मिल जाती है। यह सड़क कई गांव के लिए जीवन रेखा का काम करती है। कहने के लिए तो यह सड़क पीडब्ल्यूडी विभाग की है। परंतु इसके निर्माण से लेकर मरम्मत तक का काम बंदरबांट की शक्ल में चलता रहता है। कुछ किलोमीटर तक सड़क अच्छी रहती है तो कुछ किलोमीटर जर्जर। सड़क की राजनीति लोगों की समझ से परे है। इस सड़क पर  मेड़कटवा संस्कृति की अपार कृपा है। खबर के साथ प्रकाशित फोटो को देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सड़क कम से कम एक मीटर काटी जा चुकी है। आने वाले कुछ वर्षों में मुख्य सड़क की कटाई भी शुरू हो जाएगी। और हम चुपचाप बैठ कर तमाशा देखते रहेंगे।

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