काव्यांजलि एक अनूठा आरंभ वार्षिकोत्सव में कवियों के संग गीतों के रंग संपन्न

काव्यांजलि एक अनूठा आरंभ वार्षिकोत्सव में कवियों के संग गीतों के रंग संपन्न
मुंबई
साहित्यिक,सामाजिक,सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संस्था काव्यांजलि एक अनूठा आरंभ विश्व मंच का वार्षिकोत्सव समारोह पूरे सप्ताह मनाई गई। उसी कड़ी में गुरुवार दिनाँक 27 अक्टूबर रात्री 8 बजे कवियों के संग,गीतों के रंग विशेष कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों में 
आ. भूदत्त शर्मा मुख्य अतिथि,आ. राजेन्द्र प्रसाद पांडेय,आ. प्रमोद मिश्र 'निर्मल' अध्यक्ष,आ. सोहनलाल शर्मा प्रेम संरक्षक ,आ. हरिनाथ शुक्ल 'हरि' महासचिव,आ. विनय शर्मा 'दीप' ,आ. राजकरण  सिंह,आ. विकास शुक्ल 'व्योम' के संचालन में भव्य कवि सम्मेलन संपन्न हुआ। इस समारोह के आयोजक दीपक शुक्ल 'चिराग'(संस्थापक),सुरेश फौजदार 'जिगर'(सह संस्थापक),अंजनी द्विवेदी 'अनमोल'(अध्यक्ष),पीयूष शुक्ल(उपाध्यक्ष) मुख्य रूप से उपस्थित थे। पटल पर देश के मूर्धन्य साहित्यकारों, गीतकारों की उपस्थिति में कवि सम्मेलन संपन्न हुआ।सम्मानित साहित्यकारों एवं श्रोताओं की उपस्थिति में यादगार साम कवियों के रंग गीतों के संग रहा,सभी ने खूब सराहा। कवियों की सराहनीय, प्रशंसनीय रचनाओं की चंद पंक्तियां कुछ इस प्रकार रही है-----
वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद मिश्र निर्मल के आशीष वचन के साथ सुंदर काव्यपाठ सुनने को मिला----
चाहे कितनी तपन सहे तन,चाहे  कितनी घुटन सहे मन......          
किंतु दर्द को होठों तक ला पाने का अधिकार नहीं ।।

कलमकार विकास शुक्ला व्योम की कविताएं खूब वाहवाही लूटी----
 जिनकी किस्मत मे मिलना था
वो सागर के पार मिले! 
बेंच सके जो पीड़ाओं को
दुनिया के बाज़ार मिले! 
सबको अपने चिंतन से ही 
दुनिया मे सत्कार मिले! 
तुमने हरदम छल सीखा
हमने चाहा प्यार मीले।।

कवि हरी नाथ शुक्ला की रचनाएं सराहनीय रही----
ये नजारा ये रंग रास यहां..
आज कुछ हो रहा है खास यहां..
चेहरे चेहरे पे नूर छलका है..
एक त्यौहार का एहसास यहां।।

गीतकार राजकरण सिंह के गीतों ने मन मोह लिया-----
खुशनुमा लम्हें फागुनी मौसम
नीले अम्बर के नीचे प्यार मुस्काये
मिलन का संगम शाम रंगीं है
पुण्य है किन जन्मों का आज रंग लाये।

कवि दीपक शुक्ला चिराग की रचना दिल को छूती हुई---
हृदय से नेह की पूंजी, यथा संभव समर्पित है।
नहीं कुछ दे तुम्हें सकता,ये बस स्नेह अर्पित है।
बढा़ना यूँ ही मेरा हौसला,तुम सब मेरे हमदम।
बड़ों को है नमन,छोटों को आशीर्वाद अर्पित है।।

मुंबई के कवि,पत्रकार,छंदकार विनय शर्मा दीप ने दीपावली को समर्पित अपनी सवैया से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया----
रजनी अवनी पर आजु इहां दुलही बनिके इठलाय रही।
घर आंगन औ डेहरी डेहरी निंदिया बिंदिया से उड़ाय रही।।
इस विशेष कवि सम्मेलन/वार्षिकोत्सव समापन के उपरांत संस्थापक दीपक शुक्ला चिराग ने उपस्थित सभी साहित्यकारों अतिथियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया तथा उन्हें धन्यवाद देते हुए कवि सम्मेलन का समापन सभी को सम्मान देते हुए किया।

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