,,डर,,मेरे डर से दोस्ती कर लोमुझें मेरी जिंदगी दें दोंडर में दम घुटता हैं

कविता का नाम
,,डर,,
मेरे डर से दोस्ती कर लो
मुझें मेरी जिंदगी दें दों
डर में दम घुटता हैं
तुम्हीं मुझें एक जीने की वजह दें दो
मेरे डर से दोस्ती कर लो



डर में मौत बुरी होती हैं
खाली होकर मौत 
यूं ही वे वजह रोती हैं
डर के आगें सबकुछ उल्ट रहा हैं
खाली डर का शोर 
यूं ही मेरे कानों में गूंज रहा हैं
तन्हा होकर अकेली ही रो रही हूं
तुम्हीं मेरे जीनें की एक वजह लिख दों
तुम्हीं एक कोशिश कर लो
मेरे डर से दोस्ती कर लो



खुशियों में सब गलें मिलते हैं
तुम मुझें 
मेरे डर में आकर मिलों
मैं पुनः जीने की एक कोशिश करना चाहतीं हूं
तुम्हारे होने पर ही मैं डर मुक्त जीवन जीना चाहतीं हूं
मेरे डर से दोस्ती कर लो
तुम्हीं मुझें मेरी जिंदगी दें दो

                      
            लेखिका
          चैतन्य कुमारी
           मुंबई

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