साहित्यिक पटल साहित्य सरोवर के द्वारा हुआ भव्य कवि सम्मेलन

साहित्यिक पटल साहित्य सरोवर के द्वारा हुआ भव्य कवि सम्मेलन
मुंबई 
साहित्यिक,सांस्कृतिक,सामाजिक संस्था राष्ट्रीय साहित्य सरोवर के तत्वावधान में शुक्रवार दिनांक 30 जुलाई 2021 को सायं 8 बजे से कोविड-19 का पालन करते हुए वर्चुअल ब्रोडकास्ट पर वरिष्ठ साहित्यकार डाॅक्टर शिवदत्त शर्मा 'शिव' (जयपुर-राजस्थान) की अध्यक्षता एवं युवा शक्ति विकास द्विवेदी मंच के संस्थापक विकास द्विवेदी (नई दिल्ली) के मंच संचालन में भव्य कवि सम्मेलन  संपन्न हुआ।कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई के सुप्रसिद्ध कवि लेखक गीतकार पत्रकार विनय शर्मा दीप उपस्थित थे और विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ गजलकार सुभाष राहत बरेली (बरेली-उप्र),सुप्रसिद्ध कवियत्री डाॅक्टर सुधा मिश्रा (लखनऊ-उप्र) एवं गीतकार अश्विनी कुमार यादव(ठाणे- महाराष्ट्र) उपस्थित थे।कवि सम्मेलन की शुरूआत विनय शर्मा दीप ने अपनी सवैया से माँ वीणापाणि की वंदना से की----------
माई सरस्वती बार हजार गुहार तहार लगावत बानी।
प्यार क भूखल बा लरिका तनिका से दरश जगावत जगावत बानी।
धूप कपूर लेइके हथंवा,मन मंदिर आज सजावत बानी।
देर अबेर कर जनि तू नेहिया से हौं राह बुहारत बानी।

डाॅक्टर शिवदत्त शर्मा 'शिव' ने काव्यपाठ करते हुए कहा-------

 देखिए मुझको यूँ ना तड़पाईए
जुबां से अगर कुछ कहना सको,
प्यार नज़रों से ही जतलाईए।

नसीबों से मुझको मिलो जो हो तुम,
जन्मो से जैसे बिछुड़े थे हम,
अब मिलकर फिर ना बछुड़ जाइए। प्यार नज़रो से ही जतलाईए।

 युवा कवि गीतकार अश्विनी कुमार यादव ने क्या खूब कहा-------

अभी गिर कर उठा हूँ संभल लेने दो।
एक कदम दो कदम साथ चल लेने दो।
मैंने माना कि सूरज की हो रोशनी,
मैं भी जुगनू हूँ थोड़ा सा जल लेने दो।

 गज़लकार सुभाष राहत बरेलवी ने खूबसूरत गज़ल की चंद लाइनों से खूब समां बांधा----------

जिन्हें  नाकामियां  मेरी  यहाँ  पर  लोग कहते हैं !
असल में मेरी मंज़िल के सभी वो मील पत्थर हैं !!

 युवा कवि विकास द्विवेदी ने कोविड-19 की हालत पर प्रशासन को लेकर जबरदस्त प्रहार किया-----------

ना जान बच रहा है,ना जहान बच रहा है।
पैसे देने पर भी,ना इंसान बच रहा है ।
जान बचाने के लिए,बिक रहे हैं मंगलसूत्र।
फ़िर भी देखो दोस्तों,ना सुहाग बच रहा है ।।

एकमात्र गज़लकारा डा सुधा मिश्रा ने जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा---------
कई खामियां हैं मुझमें,मैं इसका अफसोस करती हूँ।
मैं जैसी हूँ, वैसी हूँ, मैं इसका पुरजोर करती हूँ ।।

अंत में पटल के अध्यक्ष डाॅक्टर शिवदत्त शर्मा शिव ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया व सम्मान पत्र देकर सभी को सम्मानित किया तथा कवि सम्मेलन का समापन करते हुए कहा कि आगामी दिनों में आप सभी साहित्यकारों को पुनः आमंत्रित करूँगा।

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