मुझको मत मारो मांअजन्मी बेटी हूंमुझे कोख में मारो ना

मुझको मत मारो मां
अजन्मी बेटी हूं
मुझे कोख में मारो ना
छुरी से मत काटो
टुकड़े टुकड़े कर के
तन मन को न बांटो

कितना मैं तड़प रही
सांसे घुट घुट कर के
मेरा दम तोड़ रही

नदी नालों में फेंकोगे
श्वानो का ग्रास बनकर
 तुम टुकड़े देखोगे

मेरा हाथ कहीं होगा
होगा ये शीश  कहीं 
मेरा घड़ भी कहीं होगा

अजन्मी बेटी का
क्या हाल "सजल" होता 
खुद आंखों से देखो मां

मंजु कट्टा "सजल "मेड़ता सिटी, नागौर (राज.) 9784189891

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