ससुराल में होगी, बेटी की पहचानबाबुल मोह ना पालो,तुम कर दो कन्यादान

ससुराल में होगी, बेटी की पहचान
बाबुल मोह ना पालो,तुम कर दो कन्यादान
                    1
बगिया की बाबुल तेरी कली हूँ
आंगन में तेरे ,मै भी पली हूं
आज जिगर का टुकड़ा क्यों लगता है अंजान.....
           बाबुल....
                2
जाना न चाहुं बाबुल घर में पराये
जाना पडेगा लेकिन सबको भुला के
दुनियां की रीति का ,करना होगा सम्मान
         बाबुल...
                    3
जिस घर में जाऊंगी, स्वर्ग बनाऊंगी
तेरे घर की यादें सारी, यहीं छोड़ जाऊंगी
दोनों कुल का बाबुल ,रखना है मुझको मान
       बाबुल.....
. मंजु कट्टा "सजल" मेड़ता सिटी नागौर (राज.)9784189891

Comments

  1. बहुत सुंदर रचना। हार्दिक शुभकामनाएं
    सुभाष राहत बरेलवी

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