सैन सांस्कृतिक मंच द्वारा हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

सैन सांस्कृतिक मंच द्वारा हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन 
मुंबई 
महानगर मुंबई के साहित्यिकार, पत्रकार कवि विनय शर्मा दीप के आयोजन,संयोजन व वरिष्ठ साहित्यकार पवन कुमार पवन, वरिष्ठ साहित्यकार माथुरकर जबलपुरी के मार्गदर्शन में रविवार दिनांक 27 जून 2021 अपराह्न 3 बजे से कोविड-19 का पालन करते हुए गूगल जूम ऐप पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया।जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अनिल वर्मा "कौशल"(लखनऊ) ने की तथा मंच संचालन विनय शर्मा दीप ने की।उक्त गोष्ठी का आयोजन सैन समाज के कवियों को एक मंच देने के उद्देश्य से किया गया था,जिसमें 25 से तीस साहित्यकारों की उपस्थिति देखी गयी।उक्त राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में उपस्थित साहित्यकारों में क्रमशः कुछ कवियों की रचनाओं ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
वरिष्ठ साहित्यकार अनिल वर्मा "कौशल "(लखनऊ) ने दोहे सुनाकर मनमोह लिया-----
आग लगाती लू चली,सूरज खेले दांव।
छांव छांव को ढूढ़ती,कंकरीट के गाँव।।
भोजपुर,बिहार से अर्जुन कुमार ठाकुर ने भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की विधा पुरवईया को जिंदा रखते हुए लोगों को आह्लादित कर दिया---
नेहिया लगाके चली, गइनी कवना गलिया से,
रहिया निहारे आंंखिके, कजरा सांवरिया।
पड़त $फुहारवा से, भइनी सराबोरवा से,
पछेया बहेला लिलिकारी रे सावंरिया।

हरिद्वार से सुप्रसिद्ध कवियत्री विजयलक्ष्मी ने देश के दयनीय दुर्दशा पर देशद्रोही को लताडते हुए कहा----

भ्रम किसने किया पैदा वही समझें वही जानें।
हमें जो ठीक लगता है, कलम कहती वही बातें।
गुनाह बोलूं, तिंरगे का किया अपमान ये सच है।
झूठा दम्भ भरा उनमें, हैं धोखेबाज ये सच है।
कृषक मानूं उन्हें कैसे , तिंरगा फेंक कर माने ।

कवियत्री पुष्पलता भार्गव(छत्तीसगढ़) जिंदगी को बखूबी तराशते हुए कहा---
तुझे बहार कहूं या
 खिजां कहूं जिंदगी 
दिल को देती है जो सुकूं,
फिज़ा कहूं जिंदगी
तुझे मैं सुबह कहूं ,दोपहर या शाम कहूं....
या काली रात की मानिंद
निशा कहूं जिंदगी .....

देवरिया-उप्र• से सैन प्रेम कुमार मुफ़लिस ने अपनी शानदार गज़ल से मंत्रमुग्ध कर दिया---
अपने  अहद में  रखकर ,
गुजरने  न दिया  ।
जीने की आरज़ू ने मुझे, 
मरने न दिया ।।"

 वरिष्ठ साहित्यकार रामजीलाल वर्मा  (कल्याण मुंबई) ने आज के परिवेश योग पर बल देते हुए कहा-----
जोड़ , योग का अर्थ है,
ऋषि मुनि करते सभी बखान ॥
करते सभी बखान,
नियम से करो सब योगा ।
   ना होता कुछ खर्च,
जीवन बनै निरोगा ॥

एॅड• अनिल शर्मा (जौनपुर-उप्र)ने क्या खूब कहा-----
भरी  सभा  में  हंसने  वाले  अश्क  छुपाकर  पीते  हैं।
दिल में गम को रखकर अक्सर हंसी लुटाकर जीते है।।
खोने का गम क्या जानें जिनको मिलने की खुशी नहीं।
वो भले भरे हों धन दौलत से पर प्रेम फुहार से रीते हैं।।

कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए भारत वासियों को इंगित करते हुए विनय शर्मा दीप ने कहा------
ज़मीं से  प्यार करना  और  रज  चंदन सदा करना।
सुखी हों सब दिलों में रख मुहब्बत तुम दुआ करना।।

छत्तीसगढ़ राजनांदगाँव से तुलेश्वर  कुमार सैन ने अपनी रचनाओं से दिल जीत लिया-------
जितनी राज है राज ही रहने दो।
दिल की बात को दिल में रहने दो।।
लोग सुनकर हमारा मजाक उड़ाएंगे।
देखो कोई कुछ भी कहे कहने दो।।
इसी तरह उपस्थित कवियों में रेखा शर्मा,गौरव सेन रत्नाकर (अजमेह-राजस्थान),वरिष्ठ साहित्यकार निरंजन सैन(जबलपुर),राजेश कुमार सैन(प्रतापगढ़-राजस्थान) ने अपनी-अपनी रचनाओं से हजारों की संख्या में कमेन्ट,शेयर करने पर मजबूर कर दिया और अंत में अध्यक्षिय भाषण तदुपरांत एॅडवोकेट अनिल शर्मा ने उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन करते हुए आभार व्यक्त कर कवि सम्मेलन का समापन किया।

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