*अवधी-मधुरस साहित्यिक मंच से एडवोकेट अनिल शर्मा का हुआ एकल काव्यपाठ*

*अवधी-मधुरस साहित्यिक मंच से एडवोकेट अनिल शर्मा का हुआ एकल काव्यपाठ*
मुंबई 
साहित्यिक संस्था अवधी-मधुरस पटल मेरठ के संस्थापक,  संयोजक श्री ज्ञानेन्द्र पाण्डेय जी के आमंत्रण पर बुधवार दिनांक 28 अप्रैल 2021 को सायंकाल मुंबई के ससक्त कवि, साहित्यकार,गज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार के अप्रतिम हस्ताक्षर अनिल शर्मा (एडवोकेट-उच्च न्यायालय मुंबई) का एकल काव्यपाठ में यादगार अवधी व हिन्दी सहित व्यंग रचनाओं की प्रस्तुति हुई।पटल पर उपस्थित सभी साहित्यकारों,श्रोताओं ने खूब प्रशंसा की और लाइक,कमेन्ट देकर खूब आशीर्वाद प्रदान की।अंत में संयोजक पाण्डेय जी ने उपस्थित सभी साहित्यकारों,श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया और काव्यपाठ का समापन किया।
एडवोकेट अनिल शर्मा की कुछ रचनाएँ-

 !! भगवान अगर हमके लइकी  बनाये होतेन !!

हथवा मे बाधित रक्षा , मथवा लगाइत टीका ,
लोटा मे लइके पानी मुँह मे खियाइत मीठा !
तब बहिनी क प्यार देखिके, भइयउ हमार रोवतेन,
भगवान अगर हमके ,लड़की बनाये होतेन !!1!!

भाई अउर बहिनी क खियाल करित दिल से ,
पढित-लिखित खेलित-खाइत हम सब हीलि-मिलि के !
घरवा में हँसी-खुशी क माहौल बना रहतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन!!2!!

बाबू क करित सेवा ,माई क मीजित गोड़ ,
भउजी  से हँसि बतियाइत,कुलि  लाज-बीज छोड़ !
हमहूँ माई - बाबू  क  आशीश खूब पवतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!3!!

नाचइ क बात छोड़ , गावइ में रहित माहिर ,
हर बढ़िया काम में हम होई जाइत जाहिर !
बनवइ में भोजन बढ़िया , सब सीख हमसे लेतेन,
भगवान अगर हमके लइकी  बनाये होतेन !!4!!

लइकिन त मोर सहेली , लइकन के बहु छकाइत ,
अदा सॆ अपने रात-दिन आगे - पीछे घुमाइत !
जे सॆ मिलत निगाह मोर, परलोक चला जातेन , 
भगवान अगर हमके ,लइकी बनाये होतेन !!5!!

शरारत हमार देखि के बाबू बियाह करतेउ ,
पढ़ा-लिखा अच्छा वर ,घर दुवार हेरतेउ ॥
हमरे साथे मिलि ओनहू , घर दुवार चेततेन ,
भगवान अगर हमके, लइकी  बनाये होतेन !!6!!

होई जात बियाह जब जाइ लगित ससुरे ,
हड़काइ देंइत रस्तेइ की चली जाब दूसरे !
एतना सुनत बीसन बार , चिरौरी हमार करतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!7!!

ठीक-ठाक रहतेन तब , भगवान जइसन मानित ,
वो हमके सीता , हम राम ओनके जानित !
सगरेउ सीताराम क गुणगान सब करतेउ ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!8!!

रहतेन न ठीक ठाक तब , बहुतइ चिढाइत ,
अपने मलिकाना से खाइ बिन तरसाइत !
गाढ़इ गोबरे लिपित जब , सुतारे  से न रहतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!9!!

सासु के समझित माई ,वो बिटिया जब समझतीन ,
खूब करित सेवा बड़ाई हमार करतिन !
घरवा में प्रेम भाव क मिठास सब बटतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!10!!

सासु मिलतिन हरहट, त बेलना से करित पूजा , 
उपारि लेइत झोटी,अंखिया में चोकित सूजा !
आन्हर होइके एक जगह , राम- राम कहतिन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !11!!

साथे हमरे हरदम ,ननदी हमार रहतिन ,
दुनियाँ में आदर से जीयइ क, गुन हमसे सिखतीन !
रिश्ता ननद भौजाई क, उदाहरण बनि जातेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!12!!

देवर के अपने हम मोहवा लगाइत ,
हर बात ओनके मजाक में समझाइत !
भौजी-भौजी रटत हमारे , आगे पीछे नचतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!13!!

जेठउत क अपने , बचाइत परछाई , 
जेठानी के संग काम करित  हँसी गाई !
देखि के व्यवहार मोर , पडोसी कुल जलतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!14!!

रिश्तेदार आये पे निहाल होइ जाइत ,
खूब करित  सेवा, हम बहुत सुख पाइत !
खान-पान बात अउर व्यवहार खूब करतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!15!!

अगर पट्टीदारन से होत झगरा- झगरी ,
ओनके गरियावइ में हम ,सदा रहित अगरी !
एक - एक साँस में पचास गारी देतेन ,
भगवान अगर हमके ,लइकी  बनाये होतेन !!!16!!

भाई-बाप बेटवा ,जवांई खाइ नाइत  ,
नाती ,दमाद खाइके ,रणसारी पहिनाईत !
तब तक गरियाइत ,जब तक गला न बइठतेन ,
भगवान अगर हमके ,लड़की बनाये होतेन !!17!!


 (1) मनहरण छंद (घनाक्षरी)
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कितना भी दुख सहें,किन्तु घर हीं में रहें,
विनती  है हाथ  जोड़, बाहर  न  जाइये।

साबुन से धुले हाथ, चेहरे पे रखें मास्क,
सर्दी हो बुखार खांसी,जांच को कराइये।

जब दवा दूध भाजी,राशन दुकान जायें,
तब - तब  तीन फीट, दूरी  को  बनाइये।

अभी तक दवा नहीं, केवल बचाव सही,
लाकडाउन  द्वारा  यूं, कोरोना  भगाइये।
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             (2) कविता
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कोरोना के कठिन कष्ट को,
            सम्पूर्ण  जगत है झेल रहा।
है षष्ट  मास होने को आया,
            औषधि अन्वेषण फेल रहा।
दूसरे  देश  की  देख  दुर्दशा,
            कुछ कदम उठाया भारत ने।
सब राज्यों में लाकडाउन से,
            दर  मृत्यु  रुकाया  भारत ने।
गली सड़क चौराहों पर देखें,
            एक अजब सन्नाटा पसरा है।
कर्फ्यू  की थामे हुए  कमान,
            सिपाही  दल  का  पहरा  है।
माना कुछ देशद्रोहियों द्वारा,
            कोरोना  प्रसार का नर्तन है।
पुलिस चिकित्सक सेवा का,
          शत प्रतिशत मिला समर्थन है।
उद्योग घराने फिल्मी दुनिया,
          जन-जन का सहयोग हुआ है।
निश्चय हीं हम विजयी  होंगे,
            जो यह वैश्विक रोग हुआ है।
क्रूर कोरोना के शिकस्त हेतु,
            सब अपने घर में बंद पड़े हैं।
सब लाकडाउन के पालन में 
            स्वागत हित स्वच्छंद खड़े हैं
बच्चे बूढ़े  औ नौजवान संग,
            महिलाओं ने  दीप  जलाया।
ताली थाली  शंख  बजाकर,
            राष्ट्र सेवकों का मान बढ़ाया।
कोरोना से यदि बचना है तो,
            घर  में  रहना हीं युक्ति एक।
घर मे रहने की  शपथ  करो,
            तकलीफें आयें भले अनेक।
        

हिंदी को तुम कसौटी पे रखना नहीं देखना एक दिन ये शिखर जाएगी।
होगी भाषा पर जब राजनीति यहॉं
दिन नहीं दूर जब ये विखर जाएगी।।

             ( 1 )   
मातृभाषा का उपयोग करिए बेशक
कीजिये उपयोग अंग्रेजी का बेझिझक 
दिल ओ दिमांग में बात रखो इतना
हिंदी  की  होने  पाये  न अवहेलना
वरना अपने हीं घर देश में अपनी हिंदी 
एक दिन रोते - रोते हीं मर जाएगी
हिंदी को तुम............

               (2)
मानस तुलसी की और सूर का पद बनी
मीरा का ये भजन  भूषण का छंद  बनी
कबीरा विहारी की दोहावलियां बनी
हिंदी गिरधर जी की कुंडलियां बनी
यही हिंदी जो मुंशी की कहानी बनी
लब पर तुम भी उतारो उतर जाएगी
हिंदी को तुम .............

                (3)
हिंदी जन जन की भाषा बने ये ललक 
हिंदी  बोले  धरा  गूंजे  अम्बर   तलक
पढिये  लिखिए और  हिंदी ही बोलिये 
हिन्द  जन  जन  में  हिंदी सुधा घोलिये
जिस दिन हिंदी बने कामकाजी भाषा
नशा  अंग्रेजियत  की   उतर  जाएगी
हिंदी को तुम.........

(4)
शिक्षा तकनीकी विधि या चिकित्सा का हो
हिंदी  में  हो  पठन  पाठन  अच्छा  सा  हो
लेकर पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्खिन
लोकप्रिय  हिन्दी  होना बहुत मुमकिन
राष्ट्रभाषा   बने .... हिंदी   तो   देखना 
हालत हिंदी  की  अनिल सुधर जायेगी
हिंदी को तुम .........

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