*कोविड का घात..अब अपने लोगों पर..आर पी सिंह रघुवंशी

*कोविड का घात..अब अपने लोगों पर..आर पी सिंह रघुवंशी 
      यूं तो पृथ्वी पर हर तरह की घटना रोज ही होती है। मृत्यु और जन्म भी रोज ही होता है। लेकिन ऐसा जब कुछ हमारे आस-पास, घर में, हमारे करीब वालों के साथ होता है तो हमारे लिए ज्यादा ही महत्वपूर्ण होता है। आज ऐसी घटना के बारे में सुनकर हमें भी बेहद दुख हुआ। आप सभी भी हमारे करीबी हैं, हमारे मित्र हैं, हमारे साहित्य-परिवार से हैं। मैं नहीं चाहता हूं कि इस तरह की घटना और भी दोहराई जाए। इसलिए कुछ बातें आपसे शेयर करना चाहता हूं।
  *पहले हमारे वरिष्ठ गज़लकार नागेंद्र नाथ गुप्ता और उनका* *परिवार कोविड के संपर्क में आया। नरेंद्र जी की धर्मपत्नी को*अधिक कॉम्प्लिकेशन होने के कारण हॉस्पिटल में*एडमिट करना पड़ा। ईश्वर की कृपा से उनका पूरा परिवार अब ठीक है।*
*दूसरी घटना मुंबई के जाने माने संचालक की है.. उमेश चंद्र मिश्र*जी की है।उमेश जी के विद्यालय केकोई अध्यापक* *कोविड-19 के संपर्क में आ चुके थे लेकिन  उन्हें*पता नहीं था कि वे संपर्क में हैं।एक दिन उन्होंने* मिश्रा जी को फोन  किया...अरे भाई..! कहां हो..? एक कप चाय तो पी के जाइए। अब इस तरह के आग्रह को जनरली हम ठुकरा नहीं पाते हैं और भला मिश्रा जी कैसे ठुकराते..? मिलने चले गए ।चाय पानी तो किएऔर लौट आए। एक-दो दिन बाद पता चला कि उनके मित्र कोविड-19 के संपर्क में आ चुके हैं। अब उमेश जी को भी कुछ-कुछ होने लगा और एक ही दो दिन बाद उन्हें महसूस हो गया कि वह भी कोविड  के संपर्क में आ चुके हैं। कल 11 दिन बाद उमेश जी काफी जद्दोजहद के बाद ठीक होकर हास्पिटल से बाहर.. घर पर आए।कांप्लीकेशन के कारण उन्हें रेमडीशिविर के पांच इंजेक्शन भी लेने पड़े..। जबकि उनका परिवार सिर्फ क्वरंटाइन रहने से ठीक हो गया है। मुझे इस घटना से बेहद अफसोस हुआ है। मेरा मकशद आप लोगों को बताना इसीलिए है कि आप भी विशेष एहतियात बरतें और अब किसी से मिलना जुलना बिल्कुल बंद  रखें। हमें अपने आसपास की घटनाओं से ही सबक लेना पड़ता है।कल मेरे खास मित्र ने अपनी बेटी की शादी का कार्ड भेजा और इस घटना के बाद मैंने  बेटी को दूर से ही आशीर्वाद देने का निर्णय लिया। मित्रों हम सभी बहुत ही नाजुक घड़ी से गुजर रहे हैं।सभी शहर  और गांव तक  कोविड के संपर्क में तेजी से आ रहे हैं। इसबार बच्चे भी इससे अछूते नहीं रह गए। सोचिए अगर आप के वजह से आपका परिवार भी कोरोना के संपर्क में आता है तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती है। जन-धन की हानि के साथ साथ कोरोना हमें आर्थिक तंगी की ओर भी धकेल रहा है। ऐसे में जो लोग जीवित रह भी गए उनका जीवन भविष्य के लिए कितना दूभर होने लगता है। हमारे बहुत अच्छेअच्छे साहित्यकार भी इस कोरोना  की भेंट चढ़ गए। मेरी गुजारिश है कि आप सभी और एहतियात बरतें, सेफ रहें और स्वस्थ रहें।
   कृपया फोन नं करके केवल संदेश द्वारा ही अपनी संवेदनाएं
भेजें.. 🙏🏻🙏🏻

🙏🏻 'रघुवंशी' रामप्यारे सिंह

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