विश्व साहित्यकार - दृष्टिकोण और भूमिका मधुराज मधु वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और चिंतक
विश्व साहित्यकार - दृष्टिकोण और भूमिका
मधुराज मधु
वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और चिंतक
विश्व साहित्यकार किसी जाति विशेष, धर्म विशेष और राजनीतिक दल विशेष का पक्षधर नहीं बल्कि वह सत्य, निष्पक्ष न्याय, अहिंसा, मानवता समानता, एकता, सद्भावना, जन विकास, राष्ट्र विकास, विश्वविकास तथा विश्व शांति का अग्रदूत होता है। उसकी सर्जना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है, मगर उस स्वतंत्रता की अपनी मर्यादा होती है और अपनी गरिमा होती है। उसके मानस में स्वयं के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व समाज के लिए चिंतन होता है।
विश्व साहित्यकार मानवीय संस्कृति का अनुरागी है तो अमानवीय अपसंस्कृति का विरोधी भी है। मानवता, अहिंसा, शांति और प्रेम के प्रति उद्गार, मगर घृणा, दमन अशांति और कट्टरवाद के खिलाफ बगावत।
सिद्धांतों से समझौता नहीं।
घुटने टेकने की आदत नहीं ।।
सर्व धर्म सम भाव की भावना।
जन-जन में एकता की कामना ।।
विश्व साहित्यकार का अलौकिक रहस्यवाद से सरोकार नहीं, बल्कि लौकिक यथार्थ से सरोकार होता है। उसकी साहित्यिक सर्जना का विषय अतीत या मविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान होता है, जिसमें एक तरफ खुशियों का अंबार होता है तो दूसरी तरफ मुश्किलों का गुबार होता है।
कहीं गहन अंधेरा होता, तो कहीं मातम का बसेरा होता। उसकी सर्जना उत्सवधर्मिता नहीं, बल्कि संघर्षपथ की गूंजती आवाज़ है। वह गुंजन विश्व को नयी दिशा देने का आह्वान है। है। विश्व साहित्यकार अपने आप में साधक है। ऐसा साधक,जिसकी साहित्यिक साधना में स्वयं के लिए वरदान प्राप्त करने की आकांक्षा नहीं, बल्कि विश्वशान्ति की प्रबल उत्कंठा होती है। तप-त्याग के अलाव में सर्जना तपती है और उस तयन में संपूर्ण विश्व की अप्रतिम संस्कृति निखर उठती है।
ऐ साहित्य के सृजनहार !
हो ज्ञानप्रभा के शिष्टाचार ।।
मनवता के सर्वोच्च शिखर ।
अभिव्यक्ति के हो प्रखर स्वर ।।
ये सर्जना गेय नहीं, देय है।
कर्तव्यबोध का ये तो श्रेय है।
जनक्रांति के हो अग्रदूत ।
अशांत विश्व के शांतिदूत ॥
मर्म हो अप्रतिम प्रीति का ।
सार हो असीमित रीति का ।।
मधुराज मधु
वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और चिंतक
प्रस्तुति- डॉ. शशिकला पटेल
मुंबई
आपके उच्च विचार व समर्थन ही हम सबका प्रोत्साहन है।
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