हिन्दी प्रचार एवं शोध संस्था मुंबई की 256 वीं मासिक गोष्ठी संपन्न

हिन्दी प्रचार एवं शोध संस्था मुंबई की 256 वीं मासिक गोष्ठी संपन्न 
भायंदर।  हिन्दी प्रचार एवं शोध संस्था मुंबई द्वारा न्यु सी ब्यु न्यु रविराज काम्प्लेक्स जेसल पार्क भाईंदर पूर्व में डॉ. सुधाकर मिश्र की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का संयोजन किया गया। डॉ.मिश्र ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि सभी लोगों ने शब्द सौंदर्य की दृष्टि से बेहतरीन रचना पढ़ी। "गीत मैंने लिखें मैं यशस्वी बना। गीत तुम पर लिखें तुम अमर हो ग‌‌ई।" मुख्य अतिथि मुरलीधर पाण्डेय ने गीत पढ़ा "यह मत सोचो, किसने क्या क्या बात कही" एवं बाल कविता "बचपन के दिन प्यारे प्यारे" डॉ.उमेशचन्द्र शुक्ल ने  संचालन करते हुए कहा कि "यहां हर रोज परीक्षा है,हर लम्हा सबक, जिसने दिल से पढ़ा उसने ही अंजाम सहा।।" ग़ज़ल पढ़ा "खुला ये राज कि ये जिंदगी भी होती है"एवं "और चुप रहने को तैयार नहीं हैं ब्राह्मण।झूठ के आगे कभी लाचार नहीं हैं ब्राह्मण।" भोलानाथ तिवारी भारतांचली ने "अजब निराला देश बा,अजब निराला खेल, चालिस नंबर पास है अस्सी नंबर फेल" एवं "बेचकर सम्मान जिसको रहना आता नहीं" व्यंग्य रचना पढ़ी। कल्पेश यादव ने गीत "मोहब्बत छुपतीं नहीं छुपाने से" एवं "जब मैं बाज़ार में खरीदीं गई, तभी मेरे घर से ग़रीबी गई।" श्रीधर मिश्र आत्मिक ने आध्यात्मिक रचना "छोड़कर बाहर भीतर पाया तुम्हें।" संजय सिंह निर्जल ने "मौसम के बदलने का भी एक वक्त होता है" अमरनाथ द्विवेदी ने धारदार व्यंग्य रचना पढ़ी "एक चौराहे पर कुछ लोग कह रहे थे कैसी है व्यवस्था हस्ताक्षर के नाम पर अँगूठा लगाते हैं।" विजय नाथ मिश्र ने "चलीं है चुनावी लहर धीरे धीरे" एवं "गिरगिट तो बदनाम है केवल आदम रंग बदलता है।" व्यवस्था कि विसंगतियों पर करारा प्रहार करती है। विनोद मिश्र ने"तुम कितनी सुन्दर लगती हो" बेहद भावपूर्ण रचना पढ़ी। बीना त्रिपाठी ने "दिक्कतें आती है तो आने दें।" एवं "मुकद्दर भी रूठ सकता है।" बेहद भावपूर्ण खूबसूरत रचना का पाठ किया। डॉ. ओमप्रकाश तिवारी ने " दर्पण टूट गया" एवं "झंझावातों से ना डर तू, ये तेरे" ओजस्वी वाणी में काव्य पाठ किया।
 मार्कंडेय त्रिपाठी ने सरस्वती वंदना करके विधिवत कार्यक्रम का आरंभ किया किया। काव्य गोष्ठी का संचालन डॉ उमेशचन्द्र शुक्ल ने किया एवं संस्था के कोषाध्यक्ष प्रभाकर मिश्र ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में सूर्यकांत त्रिपाठी वाराणसी, संतोष मिश्र, बब्लू दुबे, सभाजीत उपाध्याय हरहर जी, ओंकार नाथ मिश्र, आदि गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।

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