एनएसई `अनलिस्टेड शेयर स्कैम’ में फंसाने की साजिश नाकाम …कोर्ट ने एफआईआर पर लगाया स्टे!

एनएसई `अनलिस्टेड शेयर स्कैम’ में फंसाने की साजिश नाकाम …कोर्ट ने एफआईआर पर लगाया स्टे!
कथित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज अनलिस्टेड शेयर घोटाले में एक कंपनी के निदेशकों को फंसाने की साजिश नाकाम हो गई, जब कोर्ट ने उक्त में दायर एक एफआईआर पर स्टे लगा दिया।
उपरोक्त मामले में ऑप्टिमस फाइनेंशियल सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजय दमानी और नीरज निसार के खिलाफ कोर्ट को कोई सबूत नहीं मिले। बता दें कि शिकायतकर्ता ने आप्टिमस के दोनों निदेशकों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने २६.५ करोड़ का अनलिस्टेड शेयर स्कैम किया है। जिस पर कोर्ट ने पाया कि दमानी और निसार के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं, न ही लेनदेन में किसी भी तरह की अनियमितता ही है। कोर्ट को इस कथित स्कैम में कंपनी के निदेशकों की कोई हिस्सेदारी नजर आई। लिहाजा एफआईआर पर रोक लगाते हुए न्यायालय ने दमानी और निसार की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। बचाव पक्ष के अनुसार अदालत ने उक्त मामले में लेन-देन और शेयरों की बिक्री को सही पाया है। जांच पर यह निर्णायक रोक मुंबई सिटी सिविल एवं सत्र न्यायालय के विस्तृत आदेश के बाद लगाई गई है, जिसमें अभियोजन पक्ष के मामले की गहन समीक्षा के बाद किसी भी षड्यंत्र में उनकी संलिप्तता नहीं पाई गई।
१२ सितंबर, २०२५ को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एन. जी. शुक्ला ने संजय दमानी और नीरज निसार की अग्रिम जमानत आवेदन संख्या १३२५/२०२५ मंजूर की। बचाव पक्ष का तर्क है कि इस दोषसिद्धि की ताकत जमानत में नहीं, बल्कि अदालत के विस्तृत निष्कर्ष में निहित है, जिसमें ऑप्टिमस के निदेशकों को कथित धोखाधड़ी से जोड़ने वाले साक्ष्यों का अभाव था। अभियोजन पक्ष का आरोप था कि शिकायतकर्ता मेहता फाइनेंशियल सर्विसेज को एटम कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड ने धोखा दिया, जिसने उन्हें गैर-सूचीबद्ध शेयर बेचने की पेशकश की, लेकिन देने में विफल रहा। तर्क दिया गया कि दमानी और निसार ने उनके पैसे का उपयोग करके सौदे को एक अन्य कंपनी होलिस्टिक हाउस इंटरनेशनल लिमिटेड के शेयर में बदलकर शिकायतकर्ता को धोखा देने की साजिश की। परंतु अदालत के आदेश से निष्कर्ष अलग निकल रहा है।
षड्यंत्र के लिए कोई प्रमाण नहीं
आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अभियोजन पक्ष या शिकायतकर्ता द्वारा ऐसी कोई सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई है जो आवेदकों की साजिश और भूमिका को दर्शाती हो।
बिक्री वैध, साजिश नहीं
अदालत का आदेश आवेदकों की संलिप्तता की वास्तविक प्रकृति को स्पष्ट करता है और अभियोजन पक्ष के ‘घोटाले’ के दावे को खारीज करता है। न्यायाधीश ने इसे साजिश नहीं, बल्कि एक मानक, गोपनीय व्यापारिक सौदे के रूप में वर्णित किया।
आदेश का निष्कर्ष
आवेदकों की कंपनी और मेसर्स सुप्रीमस एंजेल के बीच लेन-देन पूरी तरह से अभियुक्त संख्या ३ की मांग के अनुसार मेसर्स होलिस्टिक हाउस इंटरनेशनल के शेयरों की बिक्री है।

मुख्य समझौते की तस्वीर में नहीं
अदालत ने नोट किया कि दमानी और निसार शिकायतकर्ता को प्रारंभिक अभ्यावेदन के समय तस्वीर में नहीं थे, न ही वे १८ अप्रैल २०२५ के महत्वपूर्ण समझौते के निष्पादन में शामिल थे, जिसने मेसर्स एटम कैपिटल और मेसर्स के बीच होलिस्टिक हाउस के शेयरों में ‘स्विच’ को औपचारिक रूप दिया था।

पूछताछ का कोई आधार नहीं
कथित साजिश में आवेदकों की कोई भूमिका नहीं पाते हुए, न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि संजय दमानी और नीरज निसार को हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।

गलत बयानी में कोई भूमिका नहीं
अदालत ने पाया कि एफआईआर के आरोपों को मान भी लिया जाए, तो भी गलत बयानी के संबंध में आवेदकों की कोई भूमिका नहीं है। यह निष्कर्ष उन मीडिया रिपोर्टों का सीधा खंडन है जिनमें उन पर इस षड्यंत्र की योजना बनाने का आरोप लगाया गया था।

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