*हर अशांति के मूल में कांग्रेस ही क्यों*?

*हर अशांति के मूल में कांग्रेस ही क्यों*?
      १५ अगस्त १९४७ को जब भारत को अंग्रेजों ने आजादी प्रदान की,तब सबको शांति की बड़ी उम्मीद थी।मगर कुछ क्षण भी खुशी नहीं मना पाये थे कि लाखों क्षत विक्षत लाशों का स्वागत करना पड़ा हम भारतीयों को।एक तरफ हम आजादी का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे थे।दूसरी तरफ हम भारतीयों को लाशों का उपहार मिला था।वे लाशें मिली थीं जिनके परिवार के लोग आजादी के लिए बलिदान दिये थे।वे लाशें थी,जो आजादी के लिए लड़े थे। लाठियां खाई थी। बलिदान इसलिए नहीं दिये थे कि लोग अपनों की लाशें लाशों के ढेर में से चुनें।लाठियां इसलिए नहीं खाईं थी कि अपनों के आंसू बहें। बलिदान इसलिए दिए थे कि लोगों के जीवन में खुशहाली आये। लाठियां इसलिए खाई थी कि लोग स्वतंत्रता पूर्वक निर्भय होकर जीयें खायें।मगर हुआ सब उसके उलट।१९४७ से लेकर २०२५ लगभग ७८ वर्ष हो गये।मगर भय का वातावरण आज भी बदस्तूर जारी है।कहीं सत्ता से लोग भयभीत हैं तो कहीं दुर्दांत अपराधियों से तो कहीं नक्सलवाद से तो कहीं आतंकवादियों से।भय का माहौल २०१४ से कम हुआ है पर पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।हाॅं धीरे धीरे ग्राफ जरूर नीचे आया है।
      २०१४ के पहले हर रेलवे स्टेशन बस स्टैंड, सरकारी अस्पताल, सार्वजनिक शौचालय, स्कूल, सार्वजनिक स्थलों पर लिखा होता था, किसी भी लावारिस बैग आदि को हांथ न लगायें,बम हो सकता है।किसी भी सार्वजनिक बस या रेलवे में यात्रा करते समय कृपया सीट के अगल या नीचे कोई वस्तु दिखे तो तुरंत पुलिस को सूचित करें व जगह खाली कर दें।सुबह घर से निकलने के बाद शाम को घर पहुॅंचने पर हमेशा संसय बना रहता था।२०१४ के बाद से भारतवासी इस भय से मुक्त हुए हैं। अपराध में भी कमी आई है। इसमें दो राय नहीं है। जहाॅं धड़ल्ले से अपराधी घूमते थे।अब उसमें बहुत कमी आई है।और भारत धीरे धीरे शांति की तरफ उन्मुख हुआ है।आजादी के बाद से देश लगभग ६०वर्ष तक कांग्रेस के हाॅंथ में था।जब तक उसके हाॅंथ में था,हम भारतवासी चैन की नींद नहीं सो पाये। कहीं आतंकवादियों का ताण्डव तो कहीं नक्सलवाद का कहर।तो कहीं हर जिले का एक डाॅन तो कहीं धर्मवादी व जातिवादी दंगा का प्रकोप।उससे यदि बचता था तो राजनीतिक हत्यायें।हर चुनाव में हजारों जिंदगियां काल कवलित हो जाया करती थीं।कम से कम आज वो दुर्दिन हम लोग नहीं देख सुन रहे हैं।
     इन उपरोक्त घटनाओं की गहराई में जाने पर पता चलता है कि इन सबके मूल में कांग्रेस ही थी। कांग्रेस ही अपनी सत्ता बनाये रखने के लिए हिन्दू मुस्लिम का नैरेटिव चलाया।सवर्ण दलित का नैरेटिव सेट किया।और सबको लड़ाती रही।सदैव भेद भाव वाली रणनीति अपना कर लोगों में विष वमन कर भारतवासियों की भावनाओं से खिलवाड़ करती रही।सत्ता पाने के लिए देश विभाजित करवा दी।यह कहते हुए कि शांति स्थापना के लिए जरूरी है।इसके बावजूद भी शांति स्थापित नहीं कर पाई।उसे हमेशा डर लगा रहा कि हमारी सत्ता कहीं खिसकने न पाये।इसलिए हम भारतीयों को भी विभाजित करके रखा। भारतवासी नहीं बनाया।बनाया सवर्ण दलित हिन्दू मुसलमान।यदि कांग्रेस देश व देशवासियों का हित सच में चाही होती तो धर्म के आधार पर बंटवारा ही न करती।चलो मान लिया जब धर्म के आधार पर बंटवारा हो गया तो पाकिस्तान धार्मिक राष्ट्र बना तो हिन्दुस्थान को क्यों नहीं धार्मिक राष्ट्र बनाया।यदि बना दिया होता तो आज भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ होता।बनाया क्या,धर्मनिरपेक्ष। उसमें भी एक खास धर्म यूं कहें मुसलमान के रक्षार्थ ही सदैव दिखी। हिन्दुओं को विभाजित कर दिया। हिन्दुओं को विभाजित करने के लिए आरक्षण रूपी खाईं खोद दिया।जिससे देश का न भला हुआ न आरक्षण पाने वालों का।हाॅं कांग्रेस का जरूर हुआ।भारत पर एक शासक के रूप में एक ही घराने एक क्षत्र शासन लम्बे वर्षों तक बना रहा।आज भी वो एन केन प्रकारेण सत्ता पाने के लिए हर उस संगठन के सम्पर्क में व साथ में मजबूती से खड़ी है
मुस्लिम आतंकवादियों को मासूम और भटका हुआ नौजवान कहके उनके मनोबल को बढ़ा रही है।
और हिन्दुओं को आतंकी कह रही है।जितने भारत विरोधी संगठन हैं या व्यक्ति हैं सबका सम्बन्ध कांग्रेस से है।चाहे डीप स्टेट अमेरिका हो।चाहे हिजबुल मुजाहिद्दी हो,चाहे युनुस खान हो,चाहे दाऊद हो,हाफीज हो,मुनीर खान हो,पन्नू हो।सबसे बड़े ही मधुर सम्बन्ध आज भी कांग्रेस से यथावत हैं।यदि नहीं तो जरा २०१४ के पहले के भारत पर नजर दौड़ाएं सब पिक्चर स्पष्ट हो जायेगी।पहले आतंकवादियों को पीएम हाउस में बिरियानी खिलाई जाती थी। विश्वास न हो तो मनमोहन सिंह और यासिन मलिक को याद कर लीजिए।जाकिर नाईक जैसे लोग कांग्रेस की निगाह में समाज सुधारक थे।ऐसे बहुत से लोग और संगठन हैं जो भारत विरोधी और कांग्रेस के बड़े समर्थक हैं।पकिस्तान भी उसी में से एक है। विश्वास न हो तो कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर की २०१४ के बाद पाकिस्तान यात्रा देख लीजिए।वो पाकिस्तान गये थे डिप्लोमैट बनकर नहीं।गये थे वहाॅं समर्थन मांगने।कि मोदी की सरकार गिरावा कर कांग्रेस को स्थापित करवाइए।अब बताइए पाकिस्तान से समर्थन लेकर भारत में सरकार बनायेंगे तो भारत का काम तो नहीं ही करेंगे ये तय हैं।ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिससे ये कहना पड़ रहा है कि भारत में हर अपराध के मूल में कांग्रेस बस कांग्रेस ही है।
        आज विगत कुछ वर्ष से कांग्रेस अलग अलग नैरेटिव सेट कर रही है। हालांकि सफल नहीं हो पा रही है।एक तरफ भारत जोड़ने के लिए यात्रा निकाली
दूसरी तरफ भारतीय को ही बिहारी गुजराती मराठी बंगाली कहके बांट रही है।उसके नेता बिहारी को मेहतर की उपाधि देते हैं। गुजराती को बाहरी बताते हैं।वोट चोरी का मुद्दा उठाए।मगर आज तक एक भी वोट चोर पकड़कर कर अदालत तक नहीं ले जा पाये। कांग्रेस के ही चलते बड़े बड़े डाॅन पैदा हुए और मंत्री भी बने।जैसे हरिशंकर तिवारी तेज बहादुर सिंह ऐसे तमाम दुर्दांत अपराधी कांग्रेस पार्टी से सांसद विधायक बनकर मंत्री भी बने। इसलिए ही कहना पड़ रहा है कि हर अपराध के मूल में कांग्रेस ही है 
पं.जमदग्निपुरी

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

श्रीमती गुजना इंग्लिश हाई स्कूल का 45वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से संपन्न

*एन के ई एस स्कूल के विद्यार्थियों ने जीता कबड्डी प्रतियोगिता*

योगेश्वर इंग्लिश स्कूल का 25 वां वार्षिक उत्सव संपन्न