संस्कृत पक्ष समापन समारोह का अयोजन

संस्कृत पक्ष समापन समारोह का अयोजन

नासिक। सैय्यद पिंपरी स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नासिक परिसर तथा शिक्षण प्रसार मंडल, एच पी टी महाविद्यालय, और संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वाधान में संस्कृत पक्ष समापन समारोह का अयोजन किया गया। 
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में मुख्यमंत्री कार्यालय में भाषा की प्रशासनिक अधिकारी डॉ मंजुषा कुलकर्णी ने कहा कि संस्कृत ही ऐसी भाषा है जिसमें आत्म जीवन का बोध होता है। लिखने, पढ़ने और बोलने में लगता है कि  आत्मा से परमात्मा का ज्ञान कराने की वास्तविक भाषा संस्कृत ही है। डॉ कुलकर्णी ने यह भी कहा कि सबसे विचारणीय बात यह है कि अन्य भाषाओं की तरह संस्कृत भाषा में गाली शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है। इससे सिद्ध होता है कि संस्कृत भाषा देववाणी है, जिसका प्रत्येक  शब्द हमारे जीवन मूल्यों को विकसित करने में सहायक है । संस्कृत भाषा को आत्मसात करने से हमारे दृष्टि, जीवनशैली, अनुशासन, आशा, विश्वास का मार्ग प्रशस्त होता है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय ओझर के प्राचार्य डॉ पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि पहले जर्मन, फ्रेंच, चाइनीज, स्पेनीज भाषाओं को सीखने के लिए पहल किया जाता था। किंतु वर्तमान भारत सरकार  शिक्षा नीति के तहत हिंदी, संस्कृत तथा अंग्रजी भाषा को सीखने के लिए विद्यार्थियों को अवसर प्रदान किया गया है। जिसमें संस्कृत भाषा का ज्ञान हम सभी के जीवन के लिए उपयोगी है। इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता करते हुए परिसर के निदेशक प्रो नीलाभ तिवारी ने कहा कि संस्कृत का विकास तभी हो सकता है जब सम्पूर्ण भारत में इसका प्रचार प्रसार होगा। तब जाकर आंग्ल भाषा के प्रति बढ़ते प्रेम की मानसिकता को रोक पाएंगे। संस्कृत केवल एक भाषा ही नही है बल्कि हमारे लिए एक जीवन शैली है जो हमारे जीवन साधन का कार्य करती है। संस्कृत एक किसी राज्य विशेष की भाषा नही है बल्कि पुरे भारत की भाषा है।  इस अवसर पर शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष तथा संस्कृत पक्ष के संयोजक डॉ कुमार ने प्रतिवेदन प्रस्तुत कर अपना विचार रखा। संस्कृत पक्ष के दिनों में  संस्कृत भाषा में वेषाभीनिवेश, बालगीत, कहानी, गीत, श्लोककंठ पाठ, गीतगायन, भाषण, एकपात्र अभिनय, निबंध लेखन, रस प्रश्न, तथा आशुभाषण  प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें प्राथमिक, मध्यम तथा उच्च शिक्षा स्तर के विद्यार्थिओ को प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने पर 700,500 तथा 300रूपये  की नगद धनराशि एवम प्रमाणपत्र देकर सम्मनित किया गया। इस अवसर पर स्वागत भाषण साहित्य विभाग की डॉ मंजुषा थेमदेव चन्ने, धन्यवाद साहित्य विभाग के डॉ संदीप जोशी तथा मंच संचालन शिक्षाशास्त्र विभाग के डॉ पी विद्याधर प्रभल ने किया। समापन अवसर पर विशेष अतिथि के रुप में संस्कृत भारती के डॉ  गजानन अंभोरे, डॉ लीना हुंगेरकर, डॉ जय प्रकाश अवस्थी, सभी शिक्षक,कर्मचारी तथा छात्र उपस्थित थे।

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