भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली के तत्वावधान में पूर्वांचल के प्रसिद्ध कवि गीतकार गिरीश श्रीवास्तव गिरीश के सम्मान में कविगोष्ठी संपन्न
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली के तत्वावधान में पूर्वांचल के प्रसिद्ध कवि गीतकार गिरीश श्रीवास्तव गिरीश के सम्मान में कविगोष्ठी संपन्न
नई दिल्ली
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ICCR,आजाद भवन, नई दिल्ली में पूर्वांचल के प्रसिद्ध कवि गीतकार श्री गिरीश श्रीवास्तव ‘गिरीश’(जौनपुर) के सम्मान में एक सरस कविगोष्ठी का आयोजन ICCR के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक अशोक जाजोरिया की अध्यक्षता में हुआ।
कार्यक्रम में गिरीश श्रीवास्तव को मुख्य अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध गज़लकार अरविंद असर, दोहाकार दिनेश मंजर, मनोज अबोध एवं प्रसिद्ध कवि ताराचंद नादान सहित ICCR के कई अधिकारी सम्मिलित हुए।
अरविंद असर की नज़्म और ग़ज़लें ख़ूब सराही गईं
"प्रान्तवादी बात ये अब तक नहीं समझे
देश है कश्मीर से कन्याकुमारी तक
रोज़ ही होता है वध दो चार लोगों का
हम सुरक्षित हैं यहां बस अपनी बारी तक"
सरस कवि तारा चंद नादान ने सुनाया–
"शजर से टूटकर पत्ते का कोई दर नहीं होता
कटा जो अपनी मिट्टी से फिर उसका घर नहीं होता"
वरिष्ठ कवि दिनेश मंज़र ने फरमाया–
"माँ कितनी अकेली हो, औलाद भले दुख दे
दुनिया के मुकाबिल वो खुशहाल बताती है।"
मनोज अबोध ने ग़ज़ल पढ़ी–
"कुछ जुगाडू तंत्र से पाकर तो बाकी लोग
ऑन लाइन मिल गए सम्मान से खुश हैं"
जौनपुर से पधारे वरिष्ठ कवि गिरीश श्रीवास्तव गिरीश ने भावपूर्ण अनेक छंद सुनाए, मुक्तक और ग़ज़ल से श्रोताओं की वाहवाही लूटी–
"
सितारे कैद हैं मुट्ठी में मेरी
कहा किसने कि खाली हाथ हूँ मैं
मेरे जलवे से रौशन है ये महफ़िल
गज़ल के बज़्म की औक़ात हूँ मैं "
अंत में, कार्यक्रम के अध्यक्ष अशोक जाजोरिया ने सभी कवियों का आभार व्यक्त किया।
गिरीश जी सम्मान के काबिल हैं।
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