*संघर्ष अब भी जारी है*

*संघर्ष अब भी जारी है*
      सनातनियों का संघर्ष चोली दामन के जैसा है|जो कि आदि काल से लेकर आज तक अनवरत जारी है|हर युग हर काल में यह संघर्ष चलता रहा है|कभी आसुरी शक्तियों से तो कभी बाहरी शक्तियों से|सनातनी अपना पर्व अपनी पूजा अपना अनुष्ठान आदिकाल से लेकर आज तक निर्विघ्न रूप से कभी भी पूर्ण नहीं कर पाये हैं|कुछ न कुछ विघ्न हमेशा पड़ता ही रहता हैं|वहीं आसुरी शक्तियाँ अपना हर कर्म सदैव बड़ी आजादी पूर्वक पूरा करती आई हैं और आज भी निर्विघ्न करती जा रही हैं|लेकिन सनातनी आज भी संघर्षरत है|अपनी अस्मिता के लिए|अपनी पहचान के लिए|अपनी संस्कृति के लिए|अपनी पूजा के लिए|आज भी उसका संघर्ष जारी है|
       जब मुस्लिम नहीं थे तब असुरों द्वारा हवन यज्ञ विध्वंस किये जाते थे|साधु संत मारे जाते थे|जब मुस्लिमों का उदय हुआ,तब से ये लोग सनातनियों का कोई भी आयोजन सफल नहीं होने देते|चाहे राम जन्मोत्सव हो चाहे हमारे किसी भी सनातनी महापुरुष का जन्मोत्सव हो|मुसलमान कभी भी उसे निर्विघ्न पूरा नहीं होने देते|अभी कल की ही घटना है|जो महाराष्ट्र के नागपुर में घटी|महाराष्ट्र ही नहीं पूरे भारत के सनातनियों के गौरव भगवद्पद प्राप्त सकल हिन्दवी स्वराज्य के नायक परम प्रतापी मुस्लिम आक्रांताओं के आँख की किरकिरी छत्रपति महाराज वीर शिवाजी के जन्मोत्व शोभायात्रा पर आराजक मुसलमानों द्वारा पत्थरबाजी की गई,जिसमें राज्य की क्षति तो हुई ही हुई|कई निर्दोष सनातनी इसलिए घायल किए गये कि वो अपने दैवत की शोभायात्रा में गये थे|इसका मतलब क्या समझा जाय|क्या सनातनी अपने ही देश में अपना पर्व स्वतंत्रता पूर्वक नहीं मना सकते|
       आजादी के पहले क्या होता था इसका हमलोगों को कुछ ठीक से पता नहीं है|क्योंकि जो इतिहास हम लोगों को बताया या पढ़ाया गया,उसकी सत्यता संदेह के घरे में है|उसका हर पन्ना पता नहीं क्यों झूठा लगता है|लेकिन आजादी के बाद ऐसा कोई ही सनातनी पर्व रहा होगा जिसे पूरा करवाने में सरकार के पसीने न छूटे हों|और निर्विघ्न पूरे हुए हों|तथा जिसमें दो चार सौ निर्दोष सनातनियों की बलि न चढ़ी हो|वहीं आज तक कभी भी नहीं सुनने पढ़ने देखने में आया कि किसी भी मुस्लिम पर्व में किसी भी प्रकार का विघ्न पड़ा हो|या सरकार को उसे पूरा कराने के लिए मसक्कत करनी पड़ी हो|वो हज जाते हैं कुछ नहीं होता|हम अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं तो बम बरसते हैं|वो ताजिया निकालते हैं तो कुछ नहीं होता,हम शोभायात्रा निकालते हैं तो पत्थर बरसते हैं|वो रोज दिन में पाँच बार अजान देते हैं,कुछ नहीं होता,हम एक दिन रामायण पढ़ते हैं तो बवाल होता है|इन सब बातों पर जब गौर करते हैं,गहराई से अध्ययन करते हैं तो सोंचने पर विवश होना पड़ता है कि क्या सच में 1947 में भारत और सनातनी आजाद हुए थे|
        गहनता से देखने समझने पर पता चलता है कि सनातनी भले लड़े मरे मगर आजाद सिर्फ और सिर्फ मुसलमान हुए|जिसका जीता जागता प्रमाण है,हमारे मंदिर|हमारे मंदिरों से कर लिया जाता है|जो आक्रांता मुगलों की व्यवस्था थी|मस्जिदों को अनुदान दिये जाते हैं|सनातनियों की धार्मिक शिक्षा पर बैन है|मुसलमानों को मदरसे दिए गये हैं|उनको धार्मिक शिक्षा की पूरी आजादी है|तो हम कैसे मान लें कि 1947 में सनातनी भी आजाद हुए थे|
     1947 में नहीं वरन सनातनियों के साथ हमेशा ही अत्याचार हुआ है और होते आ रहा है|पहले खुलकर था 1947 के बाद छद्म हो गया|1947 में जब हम आजादी का जश्न मना रहे थे|और झूम झूम कर गा रहे थे,|विजयी विश्व तिरंगा प्यारा|तब हम सनातनियों के साथ कितना बड़ा छल किया गया था,देख ही नहीं पाये|सनातनियों को समाप्त करने के लिए कथित राष्ट्रपिता और कथित राष्ट्र चाचा ने कितना बड़ा कुचक्र रचा,उस समय आजादी मिलने की खुशी में सनातनी समझ ही नहीं पाये|आजादी मिली देश को विखंडित करने की शर्त पर|देश टूटा|धार्मिक आधार पर पाकिस्तान बना|सनातनी एक तरफ और गैर सनातनी एक तरफ हुए|मगर पूरी तरह नहीं किये गये|कुछ सनातनद्रोहियों को इधर रोंक लिया गया|कोढ़ की तरह दर्द भुगतने के लिए|और कुछ सनातनियों को उधर छोड़ दिया गया मरने के लिए|जिसका दुष्परिणाम आज हम सबके सामने है|पाकिस्तान में आज हिन्दू नाम मात्र के बचे हैं|दूसरे टुकड़े बांग्लादेश में मारे जा रहे हैं|देश का बंटवारा करने वाली कांग्रेस आज भी मुसमानों के लिए लड़ती है|मगर सनातनियों के लिए नहीं|यही बात कांग्रेस को संदेह के घेरे में लाती है|और सोंचने पर विवश करती है कि क्या कांग्रेस ने हम सनातनियों के साथ छल नहीं किया है|कांग्रेस का एक कारनामा और देखिए|मुसमानो को निजी कानून दिए|भारत से गये मुसलमानों की जमीन को शत्रु सम्पत्ति न घोषित कर वक्फबोर्ड बनाकर उसपे उनके कब्जे को बरकरार रखा|वहीं पाकिस्तान में सनातनियों की सारी जायदाद पर मुसलमानों का कब्जा हो गया|ये सनातनियों को समाप्त करने की चाल नहीं तो और क्या है?इससे तो यही बात साबित होती है कि कांग्रेस ने बहुत ही सोंची समझी रणनीति के द्वारा धीरे धीरे भारत को भी मुस्लिम देश बनाने के लिए अग्रसर थी|इसीलिए हर वो कार्य किया जो सनातन को कमजोर कर सके|और मुसलमानों को मजबूती दे सके|इसीलिए सनातनियों के बीच में आरक्षण के जरिए जाति पाति ऊँच नीच की खाईं खोदी|जिससे ये आपस में लड़ते मरते रहे|और इसमें धुर्त कांग्रेसी  सफल भी रहे|आज तक सनातनी उसी में उलझे एक नहीं हो पा रहे|बल्कि अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारते हुए सनातनी होकर भी सनातनद्रोही बने हैं|जिसका लाभ सनातन द्रोही खूब उठा रहे हैं|और यहाँ फल फूल रहे हैं|सनातनियों की जनसंख्या वृद्धि न हो इस लिए एक विवाह और दो बच्चों का नियम बना दिए|वहीं मुसलमानों को अनेकों शादियाँ और अनेकों बच्चे पैदा करने की छूट दे रखी है|ये सब सनातन को मिटाने की गाँधी नेहरू की बहुत ही गहरी और कुत्सित चाल थी|और बहुत हद तक सफल भी हुए हैं|कांग्रेस आज भी उसी प्रक्रिया पर चल रही है|मगर सनातनी आज भी पूरी तरह उसके चंगुल से नहीं निकल पा रहे हैं|कांग्रेस की इन्हीं धुर्तता और धोखे के चलते ही आज भी सनातनी संघर्षरत है| और पता नहीं कब तक यह संघर्ष जारी रहेगा|
    कहने को तो आज केन्द्र और राज्य में सनातन प्रेमियों की सरकार है|लेकिन स्थितियाँ आज भी जस की तस हैं|आज भी सरकारों को सनातनी पर्व को निर्विघ्न पूरा कराने में पसीना छूट रहा है|जो विगत में था|जिसका जीता जागता सजीव प्रमाण कल नागपुर की घटना है|गैर सनातनी हर मुस्तैदी के बाद भी सफल हो जाते हैं|वो अपनी उपस्थिति हर बार दर्ज करा देते हैं|और चिढ़ाते हुए कहते हैं कि कुछ भी कर लो हम सनातनियों के किसी भी पर्व को शांतिपूर्वक पूरा नहीं होने देंगे|हम हर बार पत्थर बरसायेंगे|तुमको जो उखाड़ना है उखाड़ लो|
     ऐसा इसलिए है कि कांग्रेस द्वारा बनाये गये नियम उन्हें संरक्षण देते हैं|सनातनी जयचंद और अम्भीक उनकी मदद करते हैं|उनकी सुरक्षा के लिए उनसे आगे वो खड़े मिलते हैं|आज तक मैने कभी नहीं देखा कि सनातनी सनातनद्रोही कभी भी सनातनियों पर हुए अत्याचार पर चूँ तक बोले हों|जिससे सनातनद्रोही मजबूत होते जा रहे हैं|और सनातन कमजोर होते जा रहा है|अपने वजूद को बचाने के लिए उसका संघर्ष आज भी जारी है|
पं.जमदग्निपुरी

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  2. बहुत विचारणीय है बंधु ...

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