पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता को लगा जोर का झटकाबेहिसाबी संपत्ति मामले की जाँच रद्द करने से कोर्ट का इंकार

पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता को लगा जोर का झटका

बेहिसाबी संपत्ति मामले की जाँच रद्द करने से कोर्ट का इंकार
ठाणे। मीरा भायंदर के पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता का विवादों के साथ चोली दामन का संबंध रहा है। गोवा में कॉन्फ्रेंस को लेकर सवालों में  घिरे मेहता को ठाणे सत्र न्यायालय द्वारा जोर का झटका लगा है। ठाणे जिला सत्र न्यायालय ने उनकी बेहिसाबी संपत्ति से जुड़े मामले को रद्द करने से इंकार कर दिया है। दरअसल ठाणे एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा वर्ष 2022 में नरेंद्र मेहता तथा उनकी पत्नी सुमन मेहता के खिलाफ दाखिल किए गए आय से अधिक मामले मे एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा (ए )समरी (अपराध  जाँच को रोकने ) का अहवाल सादर किया था.गौरतलब है कि पहली बार मेहता के नगरसेवक बनने के दौरान वर्ष 2002 में एंट्री करप्शन ब्यूरो ने जाल बिछाकर उन्हें अवैध निर्माण के लिए  25 हज़ार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। जिसमे निचली अदालत ने तो उन्हें बरी कर दिया था लेकिन मुंबई उच्च न्यायालय मे इसे चुनौती दी गयी और यह मामला अभी भी  हाईकोर्ट मे प्रलंबित चल रहा है।मामले मे शिकायतकर्ता राजू गोयल का आरोप था की पार्षद,विपक्ष नेता महापौर, और तत्कालीन भाजपा के पूर्व विधायक, नरेंद्र मेहता और उनकी पत्नी सुमन मेहता ने अपने पद का दुरुपयोग कर भारी मात्रा में बेहिसाब संपत्ति अर्जित की है।ऐसी शिकायत लोकायुक्त के पास की गयी थी जिसके बाद लोकायुक्त के आदेश पर 10 मई 2016 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच हुई।करीब छह साल बाद 19 मई 2022 को नवघर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया.आरोप था की  अगस्त 2002 से 2017 तक  सिर्फ किराना का दुकान  चलाने वाले  नरेंद्र मेहता ने जनप्रतिनिधि बनने के बाद उनकी पत्नी सुमन मेहता ने  करोड़ों की कंपनियों के मालिक तक का सफर कैसे तय किया और साइकिल से चलकर इस मुकाम तक पहुंचने का दावा करने वाले नरेंद्र मेहता ने अपनी पत्नी को बर्थडे गिफ्ट मे लेम्बोर्गिनी कैसे गिफ्ट किया ?इन्ही सभी शिकायत का संज्ञान लेकर  पूर्व भाजपा विधायक के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने मामला दर्ज किया था, लेकिन जांच सही दिशा में नहीं की गई थी. पुलिस ने मेहता को इस अपराध से बरी करने के लिए अदालत में एक गैर-सारांश दायर किया। हालांकि, कोर्ट ने पुलिस की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है और  उन्होंने पुलिस को इस पद और शक्ति का दुरुपयोग कर बेहिसाब संपत्ति जुटाने के एक बड़े अपराध की उचित जांच करने का आदेश दिया है।  कोर्ट ने माना कि  सेवन इलेवन होटल्स, सेवन गिवेन और सेवन इलेवन कंस्ट्रक्शन, सेवन इलेवन द्वारा संचार, सेवन इलेवन कॉर्पोरेशन कंपनी  उनकी हैं और वे और उनके परिवार  के लोग प्रमुख शेयरधारक हैं। महत्वपूर्ण है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ही नरेंद्र मेहता का एक  वीडियो भी जारी हुआ था और निर्दलीय उम्मीदवार से हार के बाद उन्होंने राजनैतिक संन्यास की घोषणा भी कर दी थी, परंतु राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते फिर सक्रिय हो गए।  जिस तरह से उन पर भ्रष्टाचार सहित कई और मामले दर्ज़ है और उन पर अदालती कार्रवाई चल रही है और  जिस तरह से अदालत ने  इस केस में पुलिस प्रशासन पर फटकार लगाते हुए इस मामले को गंभीरता से लेने और उचित जांच करने का आदेश दिया है। उससे  ना सिर्फ मेहता बल्कि एंटी करप्शन ब्यूरो की परेशानी भी बढ़ गयी है।

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