मुरलीधर और राजकुमारी के योगेंद्र के योग को सलाम

मुरलीधर और राजकुमारी के योगेंद्र के योग को सलाम
मुरलीधर और राजकुमारी के योगेंद्र के योग को सलाम।

बृहन्मुंबई महानगर पालिका शिक्षण एफ/उत्तर विभाग अंतर्गत न्यू सायन मनपा हिंदी शाला क्रमांक 1 सायन मुंबई 400022 के बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं सर्वगुण संपन्न, आदर्श शिक्षक  योगेंद्र मुरलीधर सिंह हैं।

"कर्म ही जिसकी रीत है, सत्प से जिसको प्रीत है। अंत में उसकी जीत है, समय भी उसका मीत है।।"

योगेंद्र सिंह का जन्म भारत देश के उत्तर प्रदेश प्रांत के ऐतिहासिक आजमगढ़ जनपद की लालगंज तहसील के ग्राम व पोस्ट नरसिंहपुर ब्लॉक पल्हना नामक ग्राम्यांचल में कलकत्ता  हेस्टिंग जूट मिल में लेखाधिकारी पद से सेवानिवृत्त,स्नेहिल तथा मृदुल स्वभाव से ओत-प्रोत पिता स्मृतिशेष मुरलीधर सिंह तथा सरलता सज्जनता, ममता एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति, धार्मिक स्वभाव से समृद्ध माता राजकुमारी सिंह के यहां दो भाइयों तथा तीन बहनों के बीच सबसे बड़े सुपुत्र के रूप में 30 जून 1966 को हुआ। "होनहार विरवान के होत चीकने पात" उक्ति को चरितार्थ करते हुए माता-पिता इन्हें पाकर धन्य हो गए।

इनकी प्राथमिक शिक्षा- जूनियर बेसिक विद्यालय नरसिंहपुर, उच्च प्राथमिक शिक्षा- सीनियर बेसिक विद्यालय नरसिंहपुर, हाईस्कूल की शिक्षा श्री भवनाथ इंटरमीडिएट कॉलेज लहुंवाकला, लालगंज आजमगढ़, इंटरमीडिएट की शिक्षा श्रीकृष्ण गीता राष्ट्रीय इंटरमीडिएट कॉलेज  लालगंज आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) से संपन्न हुई।तत्पश्चात  बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग में शिक्षक पद पर कार्यरत अपने चाचा स्मृतिशेष  सितारा सिंह के सानिध्य में अग्रिम शिक्षा की प्राप्ति हेतु वर्ष 1987 में इनका आगमन मायानगरी मुंबई में हुआ। शिक्षक प्रशिक्षण /डी. एड .की उपाधि इन्होंने वर्ष 1988-89 में जोशी बाग डी. एड .कॉलेज कल्याण (महाराष्ट्र) से प्राप्त किया। शिक्षा प्राप्ति के पश्चात तथा मनपा शिक्षण विभाग में नियुक्ति के पूर्व, वर्ष 1989 से अगस्त 1992 तक वे प्राइवेट विद्यालय कल्याण (महाराष्ट्र) में लगभग तीन वर्षों तक सहायक शिक्षक के रूप में अध्यापन कार्य किया।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग में इनकी नियुक्ति दिनांक 09 सितंबर 1992 को आगरवाड़ी मनपा हिंदी शाला(स्कूल) मानखुर्द मुंबई में प्रशिक्षित शिक्षक के पद पर हुई।यहाँ  6 महीने अर्थात  29 अप्रैल 1993 तक शिक्षण कार्य करने के पश्चात इनका स्थानांतरण एफ/उत्तर विभाग की केंद्र शाला (स्कूल) जोगलेकरवाड़ी मनपा हिंदी शाला(स्कूल) सायन मुंबई 400022 में 29 अप्रैल 1993 को हुआ।  सात वर्षों तक शैक्षणिक सेवा के पश्चात  30 अप्रैल 2000 को पुनःइनका  स्थानांतरण न्यू सायन मनपा हिंदी शाला(स्कूल) क्रमांक-1 सायन में हुआ।  01.05.2000 से 29.04. 2011 तक न्यू सायन मनपा हिंदी शाला(स्कूल) क्रमांक-1 तथा 30 अप्रैल 2011 से 25 जून 2012 तक क.दा.गा. मनपा हिंदी शाला(स्कूल) क्रमांक-2 में निष्काम, लगन एवं समर्पण भाव से इन्होंने सफलतापूर्वक शिक्षण कार्य संपन्न किया। विभागीय नियमानुसार पुनःइनका स्थानांतरण  26 जून 2012 को न्यू सायन मनपा हिंदी शाला(स्कूल) क्रमांक 1 में हुआ।यहीं से  सक्रियता पूर्वक वरिष्ठ शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए 01 अगस्त 2023 से यह  4 महीने 15 दिनों तक प्रभारी प्रिंसिपल 
 के रूप में सफलतापूर्वक अपनी अप्रतिम शैक्षणिक सेवाएं प्रदान किया। वर्ष 1992 से अब तक यह शिक्षक सभा के सक्रिय सदस्य तथा वर्तमान समय में सहसचिव (जॉईंट सेक्रेटरी )के रूप में भी 
शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों के हित में सफलतापूर्वक कार्य किया। गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक सेवा तथा विद्यार्थियों का कुशल मार्गदर्शन एवं अध्यापन करते हुए वर्तमान शाला(स्कूल) न्यू सायन मनपा हिंदी शाला क्रमांक 1 से विदा हो रहे हैं।यह लेखनी तथा आवाज की समृद्धि के साथ- साथ विद्यार्थियों तथा विद्यालय की गुणवत्ता विकास हेतु सतत सक्रिय भूमिका का निर्वहन करते रहे। विद्यार्थियों के वाचन लेखन तथा अभिव्यक्ति क्षमता के विकास के साथ-साथ उनकी वक्तृत्व स्पर्धा, शाला बाह्य परीक्षा, बालकोत्सव , सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वच्छता अभियान, विभिन्न जयंती समारोह तथा महाराष्ट्र शासकीय प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक माध्यमिक शिष्यवृति परीक्षा के मार्गदर्शन में इनकी भूमिका सदैव अग्रगण्य पाई गई।इनके तथा शाला परिवार के कुशल मार्गदर्शन से महाराष्ट्र राज्य शासकीय शिष्यवृत्ति परीक्षा गुणवत्ता श्रेणी में  प्रतिवर्ष कतिपय विद्यार्थी गुणवत्ता श्रेणी में भी चयनित हुए हैं। संपूर्ण सेवा काल में इनके उल्लेखनीय शिक्षण कार्यों के फलस्वरूप  पुरस्कारों एवं सम्मान पत्रों से समय -समय पर अलंकृत किया गया है। उक्त उपलब्धियां इनके शैक्षणिक तथा प्रशासनिक जीवन के कीर्तिमान को परिलक्षित करती हैं।ये अपने सेवा काल में सदैव एक आदर्श शिक्षक की भूमिका का निर्वहन कर चुके हैं।

सरलता, सहजता, सहनशीलता, नियमितता, विनम्रता, क्रियाशीलता, सृजनात्मकता, कल्पकता, स्वानुशासन, आज्ञाकारिता, परोपकारिता, कर्तव्यबोध तथा समर्पण जैसे नायाब
गुण इनके व्यक्तित्व के ओजस्वी पहलू हैं।
उसको रुखसत तो किया था,मालूम न था।सारा घर ले गया घर छोड़ कर जाने वाला।
पारिवारिक पृष्ठभूमि में इनका विवाह  31.05.1985 को सौभाग्यकांक्षिनी पुष्पा सिंह के साथ हुआ।वे एक सफल गृहिणी के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, सांस्कारिक तथा पारिवारिक गुणों से पूर्णतया ओत-प्रोत हैं।इनके होनहार इकलौते आज्ञाकारी सुपुत्र तथा दो सुपुत्रिया है। सभी संतानों का विवाह करके ये अपने प्रमुख उत्तरदायित्वों से मुक्ति पा चुके हैं। इनके आज्ञाकारी अनुज  उपेन्द्र कुमार सिंह एम.एस.सी (केमिस्ट्री)से हैं।उच्च शिक्षा प्राप्ति के पश्चात  नई दिल्ली कैंसर विभाग की एक दवा कंपनी में नेशनल मैनेजर पद पर कार्यरत हैं।उनकी धर्मपत्नी मधुलिका सिंह बी.ए. , बी. एड. की उपाधि से अलंकृत हैं। इनकी इकलौती सुपुत्री सुश्री रूपाली सिंह मीडिया जनरलिस्ट के पद पर आसीन हैं। इनके इकलौते सुपुत्र  गणेश कुमार सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्ति में संलग्न हैं। बड़ी सुपुत्री  रूबी सिंह बी.ए.,बी.एड. की शिक्षा प्राप्त करके जनक कुमारी राजकीय जूनियर हाई स्कूत जौनपुर में शिक्षिका पद पर कार्यरत हैं। द्वितीय सुपुत्री  रुची सिंह बी. ए. ,डी. एड की शिक्षा प्राप्त करके एक आदर्श गृहिणी है। बड़े दामाद  सतीश सिंह का स्वयं का ईट भट्ठे का व्यापार है। द्वितीय दामाद  ऋषिराज सिंह बी. ई इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त करके रियाध सऊदी मेट्रो रेल में ओ.सी.सी. चीफ कंट्रोलर के रूप में कार्यरत हैं। बड़े बहनोई  रमेश कुमार सिंह गिरिजाशरण इंटरमीडिएट कॉलेज मूर्खा ,डोभी जौनपुर में प्रवक्ता पद पर कार्यरत हैं। द्वितीय बहनोई डॉ. जंग बहादुर सिंह जनक कुमारी इंटरमीडिएट कॉलेज जौनपुर में प्रधानाचार्य पद पर आसीन हैं जबकि तृतीय बहनोई  भारत सिंह मल्टीनेशनल कंपनी में नेशनल मैनेजर पद पर कार्यरत हैं।इनके इकलौते सुपुत्र आशुतोष कुमार सिंह बीकॉम,एम.बीए.  की उपाधि प्राप्त करके मल्टीनेशनल कंपनी मुंबई में जोनल मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। आज्ञाकारी ,होनहार पुत्रवधू  प्रिया सिंह बी.ए.,बी.टी.सी. तथा टीईटी  शिक्षा  एवं उपाधि से अलंकृत है तथा एक सफल गृहिणी के रूप में अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। इनके दो वर्षीय रुद्रांश सिंह नामक एक पौत्र तथा राज्य वर्धन सिंह एवं शिवांश सिंह नामक दो नाती एवं सानवी सिंह नामक एक नतिनी भी हैं। इनके तथा इनके चाचा एवं चेचेरे भाइयों को मिलाकर चार विभूतियां मनपा शिक्षण विभाग मुंबई में शिक्षकीय सेवा में कार्यरत रहे। इस प्रकार इनका  संपूर्ण परिवार मर्यादित संस्कारों, उच्च कोटि की तकनीकी शिक्षा तथा रोजगार एवं व्यवसाय से समृद्ध है।
इनके लिए शहरयार साहब की ये लाइन याद आ रही है।हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्यूं है,अब तो हर वक्त यही बात सताती है मुझे।
बृहन्मुंबई महानगर पालिका शिक्षण विभाग में 31 वर्ष 09 माह तथा 21 दिन की दीर्घकालिक अखंड तथा निष्कलंक सेवा पूर्ण करते हुए  यह 01 जुलाई 2024 से सम्मानपूर्वक सेवा निवृत्त हो रहे हैं। मनपा शिक्षण विभाग के सभी विद्यार्थी, पालक, शिक्षक, आदरणीय अधिकारी एवं जन प्रतिनिधि तथा सभी शुभ चिंतक मित्रगण परम पिता परमाला से जीवेत शरदः शतम के साथ इनके सुखकारी, समृद्धकारी तथा आरोग्यकारी जीवन की शुभ तथा मंगल कामना करते हैं।

"मन मंदिर में ध्वनित हो रहा, कर्मवीध का चंदन। दो शब्द भावना के देकर हम करते हैं अभिनंदन।।"
मेरी कलम और प्रिंसिपल विश्वनाथ तिवारी , देवेंद्रकुमार सिंह के आशीर्वाद से मैं कर पा रहा हूँ तुम्हें और तुम्हारे कार्यों को  सलाम।तुम हो हम सभी का अभिमान।

-चंद्रवीर बंशीधर यादव(लेखक शिक्षाविद् एवं महाराष्ट्र के सामाजिक चिंतक हैं।)
संपर्क-20/बी,यादवेश को.हा.सो.,देवकी शंकर नगर,लेक रोड,तुलशेत पाडा,भांडुप ,मुंबई-400078
भ्रमणध्वनी क्रमांक-9322122480

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