हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था, मुंबई की 234 वीं मासिक काव्य गोष्ठी सम्पन्न

हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था, मुंबई की 234 वीं मासिक काव्य गोष्ठी सम्पन्न
 
मुंबई। हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था, मुंबई द्वारा न्यु सी व्यु, न्यु रविराज कॉम्लेक्स,जेसल पार्क भाईंदर (पूर्व) में 234 वीं मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन डॉ.उमेश चन्द्र शुक्ल के संयोजन में किया गया। इस अवसर पर संयोग साहित्य पत्रिका के संपादक मुरलीधर पाण्डेय की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि श्रेयस्कर मासिक पत्रिका के संपादक डॉ.कृपाशंकर मिश्र ने "कभी सम्मान की समिधा में जलकर देख लेना तुम" रचना पढ़ी तो डॉ.उमेश चन्द्र शुक्ल ने "सच को गर सच लिखा नहीं तो, झूठे कलम की जय मत बोलो" और "अपनी ख्वाहिशों को तुम उड़ान भरने दो, जिंदा है अगर ख्वाहिशें तो मर नहीं सकते।", मार्कंडेय त्रिपाठी,साहित्य सेवा संस्थान के संस्थापक,भोला नाथ तिवारी भारतांचली  ,अवधेश विश्वकर्मा ने ग़ज़ल "बस इल्तिज़ा है इतनी,इक प्यार की जिंदगी इहलाम कीजिए।", विजय नाथ मिश्र ने पढ़ा "निगल चुकी है हवाएं जहरीली बनाने की", अमरनाथ द्विवेदी, विनोद मिश्र ,माता कृपाल उपाध्याय, राजेश दुबे अल्हड़ असरदार ने  " भगवाधारी के शासन में साधु मारा जाता है" रचना पढ़ी एवं श्रीनाथ शर्मा ने गीत पढ़ें " नया गीत कोई रचा नहीं हूंँ, बहुत दिनों से हंँसा नहीं हूंँ।" आदि कवियों ने काव्य पाठ किया। मार्कंडेय त्रिपाठी ने सरस्वती वंदना करके कार्यक्रम का आरम्भ किया, काव्य गोष्ठी का संचालन प्रो. डॉ उमेश चन्द्र शुक्ल ने किया एवं अतिथियों के प्रति आभार डॉ चन्द्र भूषण शुक्ल ने व्यक्त किया। इस अवसर पर मानव निर्माण मासिक पत्रिका के संपादक महावीर शर्मा, पत्रकार धर्मेन्द्र पाण्डेय, जयप्रकाश मिश्र,मुकेश तिवारी वस‌ई, श्रीराम कृष्ण मिश्र वस‌ई आदि गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष ऊंचाई प्रदान की।

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