मन की बात _पत्रकारिता*
*मन की बात _पत्रकारिता*
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प्रजातंत्रात्मक देशों में अगर चौथा आधार स्तंभ कोई है या होता है तो वह है पत्रकार और पत्रकारिता।
कार्यपालिका,व्यवस्थापिका,न्यायपालिका उसके बाद कोई आवाज उठा सकता है तो वह होता है पत्रकार।
समय बदला, समय के साथ लोग बदले,आवश्यकताएं बदली,समस्या व समाधान करने के तरीके बदले नही बदला तो केवल पत्रकार। पत्रकारिता करने के तरीके डिजिटल हो गया है परंतु आज भी उनका काम जनहित हेतु आवाज उठाना है।सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करते हैं,सही और गलत को मथनी बनकर मथने का कार्य करते हैं और उसमे से घृत ही निकालते हैं।
आज के पत्रकार मौखिक डिबेट करवाते हैं,लिखित अखबार चलाते हैं, डिजिटल कैमरा के द्वारा आडियो, वीडियो रिकार्डिंग करवाते हैं ताकि भविष्य के लिए हथियार बना सके कोई अपने जबान से मुकर न जाएं,डिजिटल वेब चलाते है जमाने के साथ चलते हैं।
जीवन की भाग दौड़ में सुख _दुख सब कुछ भूलकर अपना व्यक्तिगत स्वार्थ को त्याग कर अपना जीवन भी अगर दांव पर लगाता है तो वह है पत्रकार।
सच और झूठ की खोज में सुबह से शाम तक, गली मोहल्ले, आफिस,
नेता, अभिनेता, खिलाड़ी, बिजनेश मैन, अधिकारी, कर्मचारी घटना, दुर्घटना, होनी अनहोनी, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक सभी मुद्दों पर कोई लड़ता है और जनता से अगर तू _तू, मैं _मैं करता है तो वह है कोई पत्रकार।
जीवन के जिन वर्षो में वह कलम पकड़ता है उस दिन के बाद कभी ऐसा नहीं आता जिस दिन वह अवकाश लिया हो बस समाज हित में एक कर्म योद्धा बनकर हर पल अंधेरों में भी दिए की तरह स्वयं जलते रहता है वह है कोई पत्रकार।
क्या_ क्या नही कर सकता कलमकार चाहे तो वह युद्ध को शांति में बदल सकता है और शांति को युद्ध में , विश्व के सभी देशों में रहने वाले लोगों, समाज प्रमुखों और आम जनता की दशा और दिशा को अगर कोई बताता है तो वह है पत्रकार , किसी भी देश की सीमाओं को भी अगर कोई बदल सकता है तो वह है पत्रकार।
बम, बारूद, बंदूक, हथियार और पैसों के बल पर कब तक राज करोगे जिस दिन कोई कलम का सिपाही तुम्हारी सच्चाई जनता के सामने ला कर रख देंगे उस दिन तिहाड़ जेल के अंदर चले जाओगे, तुम्हारा अस्तित्व मिट जायेगा वह अगर कोई कर सकता है तो वह है पत्रकार।
वो तो प्रजातंत्रात्मक देश में रहते हैं,जिसकी अपनी मर्यादाएं होती है उसकी कलम चाहे तो विकास लिख सकती है और चाहे तो विनाश वह होता है पत्रकार।
आजकल कुछ कम पढ़े लिखे लोग बिना पत्रकारिता किए हुए लोग केवल अखबार की एजेंसी, आई कार्ड, मोबाइल, कैमरा, माइक लेकर आम जनता, अधिकारी कर्मचारी, नेता, गांव के पंच, सरपंच, जनपद, जिला सदस्य, पंचायतों के सचिवों को चमकाते रहते हैं। कोर्ट, थाने के चक्कर लगाते रहते हैं और उन लोगों को ब्लैक मेल करते हैं और उनसे पैसों की मांग करते हैं, अवैध वसूली करते हैं अपनी गाड़ियों में प्रेस लिखवाकर अवैध गांजा, शराब, जुआ, सट्टा बाजार चलाते हैं।
जिसके कारण एक ईमानदार पत्रकार बदनाम हो रहा है। पत्रकारिता की दुनिया बदनाम हो रही है ऐसे लोगो पर सरकार, पुलिस प्रशासन और पत्रकार संघों को कड़ी कार्यवाही करवाना चाहिए।
पत्रकारिता तो अंतर आत्म की आवाज होती है।सच और झूठ की फरियाद होती है।वह कोई पैसा कमाने का तरीका या व्यापार नहीं होता है।
सभी कलम के पुजारियों को प्रणाम करता हूं।नमन करता हूं।
तुलेश्वर कुमार सेन
सलोनी राजनांदगांव
*हिंदी पत्रकारिता दिवस*
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प्रजातंत्र के चौथा आधार ।
किसी भी देश के पत्रकार।।
प्रिंट,इलेक्ट्रानिक मीडिया।
करते हैं जनता का उपकार।।
जीवन में सुख_दुख आते हैं।
जनता की साथ निभाते हैं।।
अपना सब कुछ भूलकर वह।
जीवन तक दाँव पर लगाते हैं।।
सच और झूठ के लिए प्रतिदिन।
अपने घर से निकल जाते हैं।।
गली मोहल्ले,आफिसों के रोज।
वह तो कई चक्कर लगाते हैं।।
घटना दुर्घटना,होनी अनहोनी।
सामाजिक और राजनीतिक।।
खेलकूद फिल्मी दुनिया की।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक।।
एक दिन नही लेता अवकाश।
साल के तीन सौ पैंसठ दिन।।
कर्म योद्धा बनकर वह अपना।
जागते रहता हर पल हर दिन।।
नमन है कलम के सिपाहियों को।
जो दशा_ दिशा बदल सकते हैं।।
अपनी एक आवाज पर देश की।
सीमा पर नक्सा बदल सकते हैं।।
बम, बारूद, बंदूक से कब तक।
तुम आम जनता को डराओगे ।।
जिस दिन सच लिख दिया मेरे।
कलमकारों ने समझो मिट जाओगे।।
वो तो हम प्रजातंत्र में रहते हैं।
जनता का,जनता के लिए है।।
जिस दिन रास्ता बदल दिए।
उसी दिन परिवर्तन करते हैं।।
तुलेश्वर कुमार सेन
सलोनी राजनांदगांव
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