यथार्थ बोध ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, हौसला प्रसाद सिंह अन्वेषी
यथार्थ बोध
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, हौसला प्रसाद सिंह अन्वेषी
यथार्थ बोध तो
वे भी करते हैं
अपना यथार्थ बोध कहकर
जो खिलाफ हैं
यथार्थ बोध के।
और वे भी
जो चलते हैं
रास्ते पर
यथार्थ बोध के।
फिर भी नहीं जानते
वास्तविकता
यथार्थ बोध की ।
परत दर परत
भीतर जाकर
जब हम
देखते हैं
वास्तविकता
यथार्थ की
एक सही यथार्थ
दबा पड़ा है
वहीं दबाव में
पूंजीवाद के
वास्तविकता बनकर ।
जो संचालित करता है
पूरे यथार्थ बोध को
अपने
चरित्र से
प्रगल्भ होकर।।
अन्वेषी 31 7 23
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