नयी नवेली दुल्हन अपने सैनिक से कहती हैं ।।



नयी नवेली दुल्हन अपने सैनिक से कहती हैं ।।
जा रहे हो सरहद पर साजन ,
सीमा ,सीमा तोड़ आई है ।।
चार बच्चे कि अम्मा , भेद लेने आई  है ।।

ये वीर मेरे ,तु धीर मेरे 
 सीयाचीन के तुम प्रहरी
सो न जाना  जागे रहना 
साजीश पड़ोसियों कि  गहरी ।।
उनके इरादे नेक नहीं , ,२बार 
  देखो अब काश्मीर में निखार आई है 
चार बच्चों कि अम्मा देखो , 
भेद लेने आई हैं।।

जो दाने दाने को मोहताज  ,
दान वीर वो बनते आज,
 कितनों का लहु बहा कर
छल कपट से वो आये न   बाज , 
 बोल चाल मे  करे कमाल , २ 
मुझेको न भायी है 
चार बच्चों कि अम्मा 
,,,भेद ,,,,,,

है सनातन धर्म मेरा, 
  जानने आये जो मर्म मेरा
   सीना ताने हद पर  फेरा ,
जहां लगे शिव जी का डेरा,
 सुनो मेरे सैनिक वीरा  , २ 
मैं न  तनिक घबराई है ।।
चार बच्चों कि अम्मा देखो ।
भेद लेने आई है 
जा रहे हो सरहद पर साजन ,, 
    सीमा, सीमा  ,तोड़ आई है।।।

मौलिक रचना इंदु भोलानाथ मिश्रा मुम्बई

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