दिव्यालय के आभासी पटल पर आध्यात्मिक वक्ता जया राव जी का हुआ साक्षात्कार

दिव्यालय के आभासी पटल पर आध्यात्मिक वक्ता जया राव जी का हुआ साक्षात्कार 
         दिव्यालय साहित्यिक यात्रा के पटल पर यूट्यूब के माध्यम से विश्वविख्यात दर्शन शास्त्र व आध्यात्मिक वक्ता जया राव जी का शानदार साक्षात्कार वृहस्पतिवार दिनांक २५ मई २०२३ को शाम सात बजे से लंदन से पटल उपसचिव आ. किशोर जैन जी द्वारा लिया गया जिसमें मानव मात्र की आम समस्याओं व इस भौतिकवाद जगत में जीवन पथ पर कैसे अग्रसर हो मनुष्य सफल हो सकता है , पर चर्चा की गई ।
         सर्वप्रथम आ, किशोर जैन ने प्रश्न किया कि —-भग्वद्गीता के श्लोक उसका दर्शन मानव के लिये क्यों उपयुक्त है व इनको अपनाकर हम जीवन में कैसे सफल हो सकते हैं ?
      आ. जया राव  ने बहुत ही सहज शब्दों में सभी शंकाओं का समाधान करके हुये बताया कि आज भौतिकवाद जगत सफलता के चरम पर है। किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिये मानव को स्पष्टवादी, रचनात्मक होना चाहिये । कार्य करने के लिये नित नवीन आविष्कारों व तरीक़ों पर विचार करना चाहिये जिसके लिये मानव-मन का चित्त शांत रहना होगा एवं शांत चित्त के लिये गीता का मनन व पठन आवश्यक है। वेदांती व गीता भी विज्ञान का  ही रूप है जो हमें सफलता की ओर उन्मुख करने में सहायक होते हैं ।
     उन्होंने आगे कहा कि गीता पर अनेक शोध व व्याख्यान भी हुये हैं जिसका सार यही है कि प्रतिदिन गीता के निरंतर पठन व अभ्यास से ही इंसान अपने आप को पहचानने में समर्थ होगा साथ ही उस परमसत्ता से भी रूबरू हो पायेगा व सफलता के द्वार पर होगा ।
       आ. किशोर जैन ने आगे पूछा—-हम अपने कार्यक्षेत्र में कैसे उत्कृष्ट कार्य कर सफल हो सकते हैं ?
उन्होने जवाब दिया कि—अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट बनने के लिये सर्वप्रथम स्वधर्म, प्रतिभा  अपनी काम करने की प्रकृति के बारे में जानें । जिस कार्य में आपकी रुचि हो ?
उसे ही अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे तभी आप जीवन में सफल हो पायेंगे । मान लीजिये किसी की रूचि संगीत में है पर किसी कारणवश वह टेनिस खेलने लगे तो वह उसमें पूर्ण सफल नहीं हो पायेगा जितना संगीत के क्षेत्र में। मानव प्रतिभा ईश्वरीय देन है, बस उसे उजागर करना ही सर्वोपरि है ।
      आगे किशोर जैन ने प्रश्न किया—यदि हम जीवन में आनंद प्राप्त करना चाहते हैं तो कार्य व ज़िंदगी में कैसे संतुलन बनायें व अपने विजन को कैसे विस्तृत करे?
    उनका जवाब था—-गीता में कृष्ण ने कहा है कि स्वयं को सदैव उच्चतम दृष्टि से देखें। जीवन में त्याग, समर्पण व आध्यात्मिक दर्शन के अभाव में सुख व समृद्धि नहीं मिल सकती। अपनी उर्जा को व्यर्थ न गँवायें । स्व की सोच को तिलांजलि देकर सर्वे सुखिनः भवन्तु के सूत्र को जीवन का आधार बना कर हर क्षेत्र में अग्रसर हों तभी हमें सुख का अनुभव होगा । यदि हम सिर्फ़ कार्यक्षेत्र पर ही अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे तब भी जीवन सुखी नहीं रहेगा क्योंकि फिर व्यक्तिगत जीवन में आनंद नहीं मिलेगा । अतः दोनों के मध्य सामंजस्य स्थापित कर ही आगे बढ़ सकते हैं ।
          किशोर जैन ने प्रश्न किया कि—-क्या हम अपनी बुद्धि से सही निर्णय ले सकते हैं एवं हम कैसे जानें कि हमारा निर्णय सही है ?
       तब उन्होंने बताया कि जिस कार्य के प्रति हर पूर्णरूपेण समर्पित हो जाते हैं तो वह कार्य हमारे लिये सहज हो जाता है । जो हम करते हैं एवं सोचते हैं कि यही सही है एवं उस कार्य को पूरी लगन व निष्ठापूर्वक करता है तभी मनुष्य की सोच उसे कार्य के लिये प्रेरित करती है एवं वह सफलता के सोपान पर चढ़ता जाता है ।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक  मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।
मीडिया प्रभारी :: मंजु बंसल

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