हृदयांगन के साहित्य महोत्सव में बही काव्य रस की धारा

हृदयांगन के साहित्य महोत्सव में बही काव्य रस की धारा
देहरादून 
हृदयांगन साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक पंजीकृत संस्था मुंबई की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के तारतम्य में आयोजित अमर -पुष्कर साहित्य महोत्सव में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।इसी के मध्य साहित्य जगत के विभिन्न मनीषियों को विद्यावारिधि सम्मान से सम्मानित भी किया गया।शनिवार २५ फरवरी २०२३ को यह महफिल सर्वे चौक स्थित आई आर डी टी प्रेक्षागृह में में सजी, जिसमें काव्य रस प्रवाहित हुआ। कार्यक्रम का आरंभ मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार के सचिव कार्यक्रम कार्यान्वयन उत्तराखंड शासन माननीय दीपक गैरोला‌ जी ने  टपकेश्वर महादेव मंदिर के महन्त श्री श्री १०८ कृष्णागिरि जी महाराज की पावन उपस्थिति मे ने दीप प्रज्वलित कर की। इसके बाद श्रीमती अनुपम शुक्ला (लखनऊ), ने सरस्वती वंदना से किया तत्पश्चात बाल कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। बाल कलाकारों में  चिरंजीव मलय अच्युत अलख के गीत बांसुरी एवं तबला वादन कुमारी सौम्या का कत्थक नृत्य कु० ईशानी कु० आराध्या की रामायण गायन दर्शकों द्वारा खूब सराही गई।तत्पश्चात महोत्सव का दूसरा चरण व्याख्यान माला की शुरुआत हुई जिसकी अध्यक्षता जाने माने साहित्यकार डा० प्रेम शंकर त्रिपाठी ने की जो कोलकाता से पधारे। प्राप्त जानकारी के अनुसार संस्था के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी विनय शर्मा दीप ने बताया कि २७ कवियों के सम्मेलन के प्रथम एवं द्वितीय सत्र में देश के विभिन्न राज्यों से आए कवियों ने अपनी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। जिसमें मनोज मानव जी ने कहीं चांदी कहीं चमचे हैं, संजीव ने अगर हम लोग भी डरने लगेंगे,आओ मिलकर हम उनको नमन करें, नीरज कान्त सोती जी ने क्या पता कल अपने हाथ जोड़ पाएंगे या नहीं कविता प्रस्तुत की। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डा० अलका अरोड़ा जी ने तथा संचालन गुजरात अहमदाबाद से आये प्रसिद्ध गजलकार एवं मंच संचालक श्री विजय तिवारी ने की।द्वितीय सत्र की अध्यक्षता रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी 'प्रलयंकर' ने एवं संचालन का भार उत्तर प्रदेश बाराबंकी से राम किशोर तिवारी ने संभाला।प्रख्यात मिश्रा, जमुना प्रसाद पाण्डेय,व्याख्या मिश्रा,मीरा रामनिवास,विजय तिवारी,पूजा गोयल,अजीत सिंह राठौर,रमेश चंद्र माहेश्वरी,शारदा प्रसाद दुबे शरतचन्द्र,अरूण प्रकाश मिश्र अनुरागी अशोक निर्दोष जज,नीरज कान्त सोती, शशांक चतुर्वेदी,मनोज मानव,संजीव कुमार, कृष्ण कुमार पाठक,मंजू जौहरी,अलका अरोड़ा, विद्युत प्रभा चतुर्वेदी 'मंजू', रितु श्रीवास्तव, श्रीमती संतोषी दीक्षित एवं विधुजी ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।इस अवसर पर संस्था के संस्थापक अध्यक्ष महोदय विधु भूषण त्रिवेदी विद्या वाचस्पति,अध्यक्ष डा० विद्युत प्रभा चतुर्वेदी 'मंजू' कार्यक्रम संयोजक डा०अलका अरोड़ा आदि उपस्थित रहे।इससे पूर्व व्याख्यान माला में पाश्चात्य देशों की संस्कृति का भारतीय सनातन संस्कृति एवं नव पीढ़ी पर बढ़ता दुष्प्रभाव पर मंथन व चिंता व्यक्त की। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कवियत्री विद्युत प्रभा चतुर्वेदी 'मंजू'की वंदना के स्वर, कवियत्री मधु प्रसाद जी की प्रदक्षिणा करता है मौसम,कवि शारदा प्रसाद दुबे की कंचन कलश,कवियत्री मीरा रामनिवास की सूरज प्यासा लौट जाता है,डा० अरुण प्रकाश अनुरागी की दिव्य ज्ञान एवं हमारी गंगा,विधु भूषण त्रिवेदी की मां तुम्हें प्रणाम आदि पुस्तकों विमोचन पीठाधीश्वर यश्रीय श्री १०८ महन्त श्री कृष्ण गिरी के कर कमलों से द्वारा।  सम्मान समारोह के दौरान सभी विद्वतजनो को विद्यावारिधि सम्मान एवं श्री रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी प्रलयंकर् को छन्द सम्राट कवि भूषण  सम्मान एवं श्रीमती अनुपम शुक्ला को लता मंगेशकर स्मृति गायन सम्मान से नवाजा गया।प्रयोजक के रूप में मयंक चतुर्वेदी,स्वामी एवं हदयांगन परिवार की अहम भूमिका रही।

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