मानव देह का उपयोग जनकल्याण कार्यों में करें– शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ

मानव देह का उपयोग जनकल्याण कार्यों में करें– शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ 
मुंबई।  लोखंडवाला कांप्लेक्स, कांदिवली पूर्व में स्थित डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मैदान में 25 दिसम्बर से 1 जनवरी 2023 तक प्रतिदिन सायं 3 बजे से 7 बजे तक अनंत श्री विभूषित काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद  तीर्थ के मार्गदर्शन में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन  स्वामी जी ने उपस्थित विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात मानव देह की प्राप्ति होती है । इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों मे ना करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित करना चाहिए।स्वामी जी ने कहा कि जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। रावण का अत्याचार बढ़ा तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अवतार लिया और कलयुग में बढ़ते अत्याचार को रोकने के लिए संतो का अवतरण हुआ।
स्वामी जी ने श्रीकृष्ण अवतार की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण जैसे पुत्र का अवतार तब होगा जब आप सत्य निवेशी बनेंगे। अर्थात आप सत्य की साधना करेंगे। मां देवकी ने सत्य की साधना की। सत्य की साधना कष्टदायी हो सकती है, लेकिन इसके फल के रूप में हमें श्रीकृष्ण ही प्राप्त होंगे। वह हमारे जीवन को आनंद से भर देंगे। भगवान कृष्ण सभी समस्याओं के समाधान हैं। उनके मार्गदर्शन में जीवन अगर चलने लगा तो जीवन का हर मार्ग आनंद से भर जाएगा। प्रभु कृष्ण भक्तों के प्रार्थना रूपी निर्मल झील में प्रतिदिन स्नान करते हैं। प्रार्थनाएं तो भाषा शून्य होती है, इसके लिए भाव जरूरी है।उन्होंने कहा कि जब तक हमारा जीवन राम की तरह नही रहेगा तब तक श्री कृष्ण कथा हमे समझ में नही आयेगी। भागवत कथा एक एैसी कथा है जिसे सुनने ग्रहण करने से मन को शांति मिलती है अपने शरीर में भरी मैल को साफ करने के लिए अगर इसे मन से ग्रहण करें तो यह अमृत के समान है इसमें अपने अंदर का मैं, अहंकार खत्म करना चाहिए। मानव का सबसे बड़ा दुश्मन हमारे अंदर बैठा अहंकार है श्रीमद् भावगत कथा अपने मन में बँठा "मैं" और अहंकार को खत्म करने का उचित दर्शन है। 
स्वामी जी ने कहा कि कलयुग में ईश्वर से जोड़ सकने का कार्य सिर्फ़ गुरु ही कर सकता है इसलिए योग्य गुरु की तलास हर व्यक्ति को करना चाहिए। योग्य गुरु के बताए योग्य मार्ग पर चलने से मनुष्य सदैव प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। उक्त जानकारी काशी धर्म पीठ के प्रवक्ता डॉ दयानंद तिवारी ने दी।

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