वाराणसी (लमही ग्राम) उत्तर प्रदेश की यात्रा-संजय सिंह चंदन

वाराणसी (लमही ग्राम) उत्तर प्रदेश की यात्रा-संजय सिंह चंदन
विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार, साहित्य शिरोमणि सम्राट, कलम के जादूगर, महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी जिनके कलम के शब्द आज़ादी आंदोलन की चिंगारी थी, वैसे हिंदी जगत के पुरोधा, महापुरुष " मुंशी प्रेम चंद " जी की जन्म स्थली वाराणसी जनपद के  लमही गांव में आज भी आज़ादी की सत्य गाथा लिख रही है  उक्त बातें एक साक्षात्कार में " प्रेम चंद स्मारक न्यास - लमही, वाराणसी के अध्यक्ष सुरेश चंद्र दुबे जी ने सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच, मुंबई ( पंजीकृत) के  राष्ट्रीय संस्थापक संजय सिंह" चंदन "  जी से बताया  !! सुरेश दुबे जी  पूर्ण कालिक रूप से समर्पित होकर " मुंशी प्रेम चंद जी के सभी दुर्लभ साहित्यों " का संग्रह कर 
स्मारक को अपनी ओर से भव्यता प्रदान करने मे जुटे हैं,  ! आज प्रेम चंद्र जन्म स्थल से  " साहित्य सम्राट मुंशी प्रेम चंद की भूमि को शत शत नमन नमन कर आशीर्वाद प्राप्त किया संजय सिंह चंदन ने और कई संग्रह को अपने स्मरण के लिए अपने कैमरे में कैद किया  , ताकि उनके दुर्लभ स्मृति को जन जन को पहुँचाया जा सके, इस अवसर पर सुरेश चंद्र दुबे जी अध्यक्ष " प्रेमचंद न्यास - लमही वाराणसी उ. प्र. ने संजय सिंह चंदन को " प्रेमचंद जी " रचित पुस्तकें  " कफन " , प्रेमचंद की 51 अनमोल कहानियाँ और " सोजे वतन " -जिसे ब्रिटिश हुकूमत ने हजारों हजार प्रतियाँ प्रेस से छीनकर सड़कों पर जलाकर आज़ादी की आवाज़ दबाने की पूरी कोशिश की  , यह पुस्तकें संजय सिंह चंदन जी को समर्पित किया  ! 
संजय सिंह " चंदन " ने काफी देर तक " मुंशी प्रेमचंद जी की स्मृतियों मे खोने के बाद ऐसे महान कलम के जादूगर के प्रति, विश्व के महान साहित्य सम्राट को  भारत का सबसे बड़ा स्वाधीनता संग्राम सेनानी बताया और उनके त्याग, देश भक्ति और समर्पण से सभी पीढ़ी को सिख लेने और उनके साहित्य को आत्मसात करने का अपील किया, संजय सिंह चंदन ने बताया आर्थिक रूप से जर्जर होते हुए संघर्ष और आंदोलन मे लगे रहना, आज़ादी के लिए " उर्दु, हिंदी, अंग्रेजी तीनों ही भाषाओं में अपनी कलम की चिंगारी से " आज़ादी की प्रेरणा " देना, सरकारी नौकरी को ठोकर मार कर देश की समर्पित सेवा करना उस काल के वास्तविक आज़ादी के दिवाने की खूली किताब थें मुंशी प्रेम चंद जी   ! आज स्वाधीनता आंदोलन में शामिल लोग सत्ता का सुख भोग रहें हैं और एक एक कर स्वयं ही अपने को " भारत रत्न " घोषित कर या कराने मे स्व्यमभू हो गए हैं, क्या ये तथाकथित  राजनीतिज्ञ  " मुंशी प्रेमचंद " को सिर्फ विश्व का साहित्यकार भर नहीं मानते, क्या इनके क्रांति, समर्पण, त्याग और सादगी के चरणों के धूल के बराबर भी हैं क्या आज के राजनीतिज्ञ कतई नहीं  !  सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच के राष्ट्रीय संस्थापक ने उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों से मांग किया की पहले मुंशी प्रेम चंद का इतिहास पढें फिर उस विपरीत काल मे उनके आंदोलन और क्रांति का शोध करें तब तय करें " भारत रत्न " का असली दावेदार कौन है  ! संजय ने मांग किया की जल्द से जल्द " विश्व के महान क्रांतिकारी " साहित्य सम्राट, कलम के जादूगर " मुंशी प्रेमचंद " को " भारत रत्न " दिया जाए और उनके दुर्लभ साहित्य को सभी स्कूल, कॉलेज मे प्रमुखता से अध्ययन में जोड़ा जाए, उनके क्रांति का इतिहास बताया जाना चाहिए , मुंशी प्रेमचंद भारत के अनमोल रत्न हैं !  संजय सिंह चंदन को दुबे जी ने  बताया कि हाल में ही महामहिम राज्यपाल- राजस्थान, श्रीयुत कलराज मिश्र जी ने भी " प्रेमचंद स्मारक और जन्म स्थल का अवलोकन किया था और मुंशी प्रेमचंद के देश के लिए किये गए त्याग से बहुत प्रभावित हुए थे   ! 

संजय सिंह "चंदन "  ने  कहा कि मुंशी प्रेमचंद की जन्म स्थली को " हिन्दी साहित्य जगत का अनमोल तीर्थ "  माना जाना चाहिए

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